बरेली- फतेहगंज पश्चिमी बंदरों के आतंक से बच्चों का घरों से निकलना दूभर हो रहा है. बंदरों का झुंड इंसान पर हमला करने से थोड़ा भी नहीं खौफ खाते। राजकपूर गुप्ता ने बताया कि यह बन्दर पहले इतने कस्बे में नही थे अब कोई बाहर से छोंड़ गया है तभी तो बंदरों की बढ़ती संख्या से लोग परेशान हैं। बंदरों के हमले में बहुत लोग घायल व चोटिल हो चुके हैं। यही नही लोगों का छत्त पर जाना व गलियों में निकलना भी दुस्बार हो रहा है। प्रियंका सक्सेना ने बताया कि बन्दरों के डर से बच्चों का स्कूल, ट्यूशन जाना, व महिलाओं का छत्त पर कपड़ा सुखाना, सब्जी व घरेलू सामान लाना भी मुश्किल हो गया है। अभियान चलाकर बंदरों को पकड़ कर दूर जंगलों में छुड़वा दिया जाये।प्रेमपाल गंगवार ने बताया महिलाओं की तो बंदरों ने नींद हराम कर दी है कस्बे के साथ साथ गांवो में भी बंदरों ने लोगों की नींद उड़ा रखी है.बंदरों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. बच्चे ,बूढ़े और महिलाओं को तो घरों से बाहर निकलने में भी डर सताता है। बंदर न केवल नुकसान कर रहे हैं, बल्कि काटने में भी पीछे नहीं हैं।कस्बे में एक दो चार नहीं बल्कि हजारों बंदर हैं. नुकसान करने के बाद जब इंसान इनका पीछा करता है, तो एक छत से दूसरी छत पर अटखेलिया करते हुए, बंदर समान लेकर भाग जाते हैं और इंसान हाथ मलता रह जाता है बंदरों का आतंक, बढ़ता ही जा रहा है पहले नही थे इतने।रेड रोजिज पब्लिक स्कूल जे प्रबन्धक अजय सक्सेना ने बताया कई बार प्रसाशन से लिखित में शिकायत कर चुके है हमारा स्कूल है बन्दर बच्चों को रास्ते से निकलने नही देते झुंड बना कर रास्ते मे बैठ जाते है।प्रशासन को लोगों की कोई परवाह नहीं है, बार-बार शिकायत करने के बावजूद बन्दरों को पकड़ने का अभियान आज तक भी नहीं चलाया गया बंदरों की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है,कस्बे के लोगों ने बंदरों को पकड़ने की मांग की है।
– बरेली से सौरभ पाठक की रिपोर्ट