राजस्थान/बाड़मेर- बाड़मेर शहर की सड़कों का बहुत बुरा हाल है, जगह-जगह पर गड्ढे हो गए हैं। जिन पर लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो गया है। बावजूद कोई भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। इस स्थिति में राहगीरों को आए दिन आवागमन करने के दौरान बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। इसको ठीक करवाने को लेकर लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों समेत सम्बंधित अधिकारियों को शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से स्थिति जैसी की तैसी बनी हुई है। सड़क मार्ग के किनारे लगी हुई रोड़ लाइटों को ठेकेदारी प्रथा से रखरखाव जरूर होता है लेकिन एक दर्जन से ज्यादा विधुत पोलों पर रोशनी की जगह पर अन्धकार मिलेगा कारण वहाँ पर रोड़ लाइट्स ही नहीं है।
प्रदेशभर में खराब रोड इंजीनियरिंग के चलते लगातार सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है। राजस्थान में प्रतिदिन रोड एक्सीडेंट में मरने वालों की औसत संख्या तैतीस के करीब है। प्रदेश से निकलने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों व स्टेट हाइवे सहित अन्य सड़कों पर करीब छ: सौ ब्लैक स्पॉट बने हुए हैं। इन पर होने वाले हादसों में हर वर्ष औसत ग्यारह हजार से अधिक लोगों की जान जा रही है।
बाड़मेर शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था का ढर्रा सुधारने के लिए जिम्मेदार जैसे परिवहन विभाग और जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की ओर से सड़क हादसों को रोकने के लिए कोई उचित प्रबंध नहीं किया जा रहा है। एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, आरएसआरडीसी, जैसी सड़क बनाने वाली एजेंसियां बजट कम करने के लिए रोड इंजीनियरिंग में कई तकनीकी खामियां छोड़ रही हैं, इसी कारण सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकारी रूपयों को पानी की तरह बहाने के लिए जरूर कॉलेजों, शिक्षण संस्थानों में बच्चों व विद्यार्थियों यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। राज्य सरकार व परिवहन विभाग सिर्फ यातायात पखवाड़ा मनाकर पहले एक सप्ताह और आजकल एक महिने तक खानापूर्ति कर लेते है लेकिन वो गुणवत्तापूर्ण सड़क हमारे शहर में कहाँ पर बनीं हुईं है जहाँ पर कोई दुर्घटना ना होती हो। ओवर स्पीड और रोड इंजीनियरिंग में खामियों के चलते सबसे ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। वहीं सबसे ज्यादा दुपहिया वाहन चालक दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं अवलोकन करते तो जरूर पता चलता बाड़मेर जिला मुख्यालय के आपातकालीन वार्ड में शाम को मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ जाता है।
बाड़मेर शहर की सड़कों की स्थिति दिन प्रतिदिन बदहाल होती जा रही है। शहर के लगभग सभी मुख्य मार्ग जर्जर हो चुके हैं। वहीं बीच-बीच में नगर पालिका द्वारा कहीं पर छोटे बड़े पैंचवर्क किया जाता है। लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह पुरानी स्थिति में आ जाते हैं। सड़कों की जर्जर स्थिति को लेकर कई सामाजिक संगठनों द्वारा ज्ञापन सौंपा व शासन को जिम्मेदारियों का अहसास दिलाने की कोशिश की। लेकिन नगर पालिका प्रशासन का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया। जर्जर सड़कों के कारण ही बदहाल सड़क हादसों का आंकड़ा भी आजकल सरकारी अस्पतालों में जरूर बढ़ता जा रहा है।
सबसे ज्यादा व्यवस्त जेल रोड़, जो कि एक दर्जन से ज्यादा नाले और नालियों सहित बेढंगी अवरोधकों के कारण ही जर्जर हो चुकी है। दिनभर सैकड़ों अधिकारियों सहित हजारों लोगों की लाइफलाइन ये सड़क मार्ग महात्मा इश्वरदास चारण छात्रावास और जिला कलेक्टर आवास होकर मुख्य बाजार सहित कलेक्ट्रेट जाने के लिए का मुख्य रास्ता है। यहां से हर रोज करीब चार हजार छोटे बड़े वाहनों का आवागमन होता है। लेकिन पिछले एक दशक से सड़क मार्ग का निर्माण नहीं होने से रोड पर कई स्थानों पर दो-दो फीट गहरे गड्ढे जरूर हो गए हैं। जिनकी वजह से अक्सर बाइक या साइकिल सवार गिरकर घायल होकर सीधे जिला मुख्यालय पर अस्पताल जाते हैं।
– राजस्थान से राजूचारण