प्रयागराज – श्री निरंजनी अखाड़ा ने बड़ा कदम उठाते हुए बड़े हनुमान मंदिर के छोटे महंत व योगगुरु स्वामी आनंद गिरि को बाघम्बरी मठ व निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य योगगुरु स्वामी आनंद गिरि पर की गई कार्रवाई की पुष्टि खुद परिषद अध्यक्ष ने की है।
महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य होने के कारण योगगुरु को अखाड़े के सबसे मजबूत लोगों में माना जाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ समय से गुरु और शिष्य के बीच में मतभेद किसी न किसी रूप में दिखता रहा। हालांकि सार्वजनिक मंच पर कभी न तो महंत नरेंद्र गिरि ने योगगुरु के खिलाफ टिप्पणी की और न ही स्वामी आनंद गिरि ने कभी महंत नरेंद्र गिरि पर किसी प्रकार का बयान जारी किया।
हरिद्वार में संन्यास परंपरा के उल्लंघन में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की कार्यकारिणी ने संत आनंद गिरि को अखाड़ा से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। संत आनंद गिरि पारिवारिक मोह-माया में लौट गए थे। 13 मई को रुड़की हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने श्यामपुर कांगड़ी में संत आनंद गिरि का निर्माणाधीन तीन मंजिला आश्रम सील किया था।
अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी के मुताबिक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का पंच परमेश्वरों को पत्र मिला था। पत्र में संत आनंद गिरि के संन्यास परंपरा के उल्लंघन का जिक्र किया था।
महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि योगगुरु ने नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार कुम्भ में अपने पूरे परिवार को बुलाया था। जबकि अखाड़े की परंपरा के अनुसार परिवार से सम्बंध नहीं रखा जा सकता है। माता-पिता का सम्मान किया जा सकता है, लेकिन अखाड़े की एक परंपरा है। एक माह पूर्व दी गई चेतावनी के बाद भी जब वे नहीं माने तो उन्हें पहले बाघम्बरी मठ से हटाया गया। बाद में शुक्रवार को अखाड़े से निष्कासन की कार्रवाई की गई है। इस बारे में जब स्वामी आनंद गिरि से पूछा गया तो उन्होंने फिलहाल किसी टिप्पणी से इनकार कर दिया है।