कुशीनगर- प्राचीन काल मे गुरुकुल और उससे पहले अरण्य जंगलो मे हमारे ऋषि शिक्षा और संस्कार की लौ जला कर समाज को सुधारने का काम किय करते थे। आज भौतिकता के चकाचौंध मे सीधे उल्टा हो चुका है ।उस समय गुरुकुलो से रामकृष्ण, विवेकानंद निकलते थे आज सीधे उल्टा है हर अभिभावक अपने बच्चे को डाक्टर ईनजिनियर, वैज्ञानिक, अधिकारी बनाना चाहता है लेकिन विद्वान बनाना कोई नही चाहता ।
उक्त बातें शनिवार को गुरवलिया दोघरा मार्ग पर स्थित डायस एकेडमी के नव निर्मित भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए वतौर मुख्य अतिथि अखिल भारतीय संगठन मंत्री इतिहास संकलन योजना के डाक्टर बालमुकुंद पाण्डेय ने व्यक्त की। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और विद्यालय के छात्राओ द्वारा सरस्वती गीत के साथ हुआ। तत्पश्चात विद्यालय के प्रबंध तंत्र द्वारा अतिथियों को अंग वस्त्र एवं तिलक लगाकर सम्मानित किया गया फिर विद्यालय के निर्मित भवन पर बनी शिला पट्टीका का उद्धाटन वैदिक मंत्रो के साथ अतिथियो द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते कसया के भाजपा विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि बच्चे अपने माता-पिता से संस्कार और अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त कर विद्यालय आते है अध्यापक उसे तराश कर निखार लाने का काम करते हैं। आप अपने बच्चों को विश्व स्तर के भाषाओ का ज्ञान कराए लेकिन मातृ भाषा को मत भुलिऐ।हमें ऐसी शिक्षा पर जोर देना चाहिए जहाँ मम्मी पापा के जगह संस्कार से उपार्जित शिक्षा पाकर आप का बच्चा माताजी-पिताजी कह सके।
कार्यक्रम के दौरान अतिथियो और डायस एकेडमी के स्थापना वर्ष के पहले नामांकित छात्र गोलु शाही द्वारा वृक्षारोपड़ किया गया ।अन्त मे डायस एकेडमी गुरवलिया के संस्थापक अध्यापक पी एन मिश्र ने आगन्तुको के प्रति अपना आभार प्रकट करते हुए कहा की आप के सहयोग से आज यह शिक्षण संस्थान प्रकृति के गोद मे रह कर वट वृक्ष के रूप पल्लवित पुष्पित होता रहे।
इस अवसर पर संरक्षक पूर्व प्रधान जयन्त कुमार शाही प्रधान संघ के तहसील अध्यक्ष नन्दलाल तिवारी प्रबंधक सुधीर कुमार सिंह धीरज कुमार शाही हनुमान सेना के पूर्वांचल प्रभारी विनोद कुमार यादव प्रधान दिनेश सिंह नीरज पाठक अजय मिश्रा डी डी एन मिश्र भगवती दत्त मिश्र ड़ाक्टर डी एन कुशवाहा के अलावा काफी संख्या मे अभिभावक अध्यापक बच्चे उपस्थित रहे संचालन मनन मिश्र ने की ।
– अंतिम विकल्प न्यूज के लिए जटाशंकर प्रजापति
बच्चों को विवेकानंद नहीं डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं अभिभावक: डा० बालमुकुंद
