बरेली/लखनऊ- निकाय चुनाव मे पार्टी द्वारा टिकट की घोषणा होते ही खुद को प्रत्याशी न बनाने पर पार्टी से जुड़े कई लोगो ने बगावत का विगुल फूंक दिया ।ऐसे लोगों को पहले पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा मान मुनब्बल भी की गई जिसमे से कुछ ने बगावत न करके पार्टी के फैसले का स्वागत किया और पार्टी के प्रति वफादारी भी निभाई लेकिन कुछ ने बगावत के स्वर बरकरार रखते हुए पार्टी के विरूद्ध निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे चुनाव लडा तो कुछ ने अपनी पत्नियों को भी चुनाव मैदान में उतारा।जिन पर पार्टी के वरिष्ठ आकाओ द्वारा कार्यवाही की बात कही गई तो कितनो को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से ही हाथ धोना पड़ा।
चुनाव से पूर्व बागियों पर भारतीय जनता पार्टी ने कार्यवाही कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की घोषणा की थी।लेकिन कुछ के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई।क्या नगर निगम में पार्टी से बागी होकर लड़े पार्षद प्रत्याशियों पर या इन बागियों का साथ देने बाले पार्टी से जुडे लोगो पर अब भारतीय जनता पार्टी कोई कार्यवाही करेगी या फिर यह बातें हवा हवाई ही हो लगीं थी जनता में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। अब इस पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं यह चर्चाएं आए दिन सरेआम होती जा रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी से बागी होकर लड़े प्रत्याशी अब नॉमिनेट होने की तैयारी में है अगर ऐसा होता है तो इसका क्या असर होगा।2024 के चुनाव पर क्या इसका सकारात्मक प्रभाव पडेगा। अगर ऐसा होता है तो पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता अपने आप को ठगा सा महसूस करेगें।अब देखना यह है कि इन बागियों पर क्या कार्यवाही करेगी पार्टी।बता दें कि बागियों को निकाय चुनाव में शिकस्त खानी पड़ी है जनता ने यह एहसास करा दिया कि पार्टी के प्रति जनता का अपना विश्वास होता है। अपना अलग वजूद होता है प्रत्याशी का नहीं ।भारतीय जनता पार्टी ही देश में एक ऐसी पार्टी बनकर उभरी है जो कि एक सिंगल चेहरे नरेंद्र दामोदर दास मोदी पर दांव लगाकर कामयाब होती चली आ रही है चाहे नोटबंदी हो या कोई अन्य कड़ा फैसला जनता पर इसका कोई असर नहीं वह तो सिर्फ मोदी के नाम पर वोट करती चली आ रही है वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात करे तो जनता के दिलो पर राज कर रहें है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ।प्रत्याशी चाहे जो कोई हो । वही हालात अब यह है यूपी ही नहीं अपितु अन्य प्रदेशों में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यो की सराहना होती है ।
निकाय चुनाव में 17 के 17 मेयर एक शानदार तरीके से जितवाकर लाना आज तक के उत्तर प्रदेश के चुनाव इतिहास में अजूबा बन गया है वही बागी होकर लड़े प्रत्याशियों पर पार्टी की ओर से अभी तक कोई कार्यवाही न होने से पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता दबी जुबान से कहते दिखते है कि कार्यवाही होनी होती तो अब तक हो जाती । 24 के चुनाव को लेकर जनता के बीच आए दिन यह चर्चाएं आम हो गई हैं कि क्यों पार्टी बागी होकर चुनाव लड़ने के बाद भी बागियों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही इन हालातों को देखकर लगता है कि मौका देखकर कोई भी कहीं भी किसी भी पार्टी में अपने धल बल के बूते कोई भी स्थान प्राप्त कर सकता है।बागी प्रत्याशी पार्टी से निकाले जाने के भय से स्थानीय नेताओ के साथ लखनऊ तक चरण बंदना मे जुट गए है। किसी भी स्तर पर चाहे पार्टी के नामित पार्षद की बात हो या पार्टी मे कोई पद की हथियाने का भरकस प्रयास कर रहे है अब देखना यह है कि पार्टी का इन बागियों के प्रति क्या रूख रहता है। यदि इनको अभयदान मिलता है तो यह तय है कि आज पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता अपने आपको ठगा महसूस जरूर करेगा।यदि ऐसा हुआ तो इसका असर भी पार्टी को 2024 के चुनाव मे दिखेगा।