रुड़की/हरिद्वार- नगर में विधायक के हिसाब से देखा जाए तो यह आदर्श स्थिति है। यह वह समय है जब नगर की राजनीतिक-प्रशासनिक दिशा एकतरफा है। पिछले छह महीने से विधायक के लिए नगर में कोई चुनौती नहीं है और उम्मीद भी नहीं कि अगले कम से कम छह महीने तक इस स्थिति में कोई बदलाव आएगा। चूँकि लोकसभा की पूर्व संध्या है इसलिये सरकार पर भी दबाव है विकास की मद में बजट जारी करने का। नगर विधायक प्रदीप बत्रा चाहें तो इसका भरपूर लाभ उठा सकते हैं और शहर में न केवल अपनी सोच को सही ढंग से लागू कर सकते हैं बल्कि शहर की उम्मीदों पर भी खरा उतर सकते हैं।
प्रदीप बत्रा की सक्रियता के मद्दे-नज़र यह तो कहा नहीं जा सकता कि वे कर्महीन विधायक हैं। उनकी सक्रियता को तो गली-मोहल्लों चौराहों पर उनकी विज़िट, कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति और खुद उनके द्वारा आयोजित होने वाले इवेंट्स से जाना जा सकता है। फिछले 10 सालों में अन्य जन-प्रतिनिधियों के साथ होती आयी उनकी झड़पें इस बात को रेखांकित करती हैं, जैसी भी हो, उनकी कम से कम कोई सोच तो है जिस पर अन्य लोग सहमत नहीं हो पाते या फिर वे अन्य लोगों के साथ सहमत नहीं हो पाते। अब स्थिति उनके अनुकूल है। हालात ने उनके सारे विरोधियों को या कोल्ड स्टोर में लगा दिया है या फिर उनके आगे नतमस्तक होने को मजबूर कर दिया है। वे आस्तिक व्यक्ति हैं और शायद यह उनकी भक्ति का ही परिणाम है कि आज उनके सामने कुछ कर-गुजरने का निर्बाध मौक़ा है। यह भी एक हकीकत है कि नगर में अतिक्रमण की स्थिति गंभीर है और यह भी कि पूरे प्रदेश के प्रशासन पर अतिक्रमण हटाने का हाई कोर्ट का दबाव है। प्रशासन इस पर कार्यवाही करता है तो व्यापारी आक्रोशित होते हैं। ऐसे में एकमात्र जन-प्रतिनिधि होने के नाते प्रदीप बत्रा व्यापारियों और प्रशासन के बीच पुल बन सकते हैं। वे कोई ऐसा रास्ता निकल सकते हैं जिससे हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन भी सुनिश्चित हो, अतिक्रमण हटने से जनता को राहत भी मिले और व्यापारी भी व्यापक हितों का धयान रखते हुए संतुष्ट महसूस करें। बत्रा की क्षमताओं को देखकर कहा जा सकता है कि वे ऐसा कर सकते हैं। उनके पास नवरत्न भी हैं, अर्थात, परामर्श देने के लिए शुभचिंतक भी हैं। ज़ाहिर है कि अगर वे यह काम कामयाबी से कर पाए तो उनके कार्यकाल की यही एक बहुत बड़ी उपलब्धि बन जायेगी।
– रूडकी से इरफान अहमद की रिपोर्ट