उत्तराखंड/लैंसडाउन : पहाड़ो में अक्सर पशुओं पर बीमारी होने के कारण पशु दम तोड़ देते हैं कारण पशु चिकित्सालय दूर होना। ग्रामीण पशु पालक यदि चिकित्सक से संपर्क करते हैं तो चिकित्सक दूर या पैदल या फिर किराया गाड़ी भाड़ा की वजह से मौके पर नही जाते और इसी वजह से कई पशु मर जाते हैं
बात रिखणीखाल विकास खंड की है जहाँ पर पशु चिकित्सिक ने बकरियो के उपचार को ग्राम नावेतली जाने से अपना पल्ला झाड़ा,कहा कि दूर है तथा सड़क नही है।फिर फोन काटकर स्विच ऑफ कर दिया।
ये वारदात है रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम नावेतली की वहाँ श्रीमती बीरा देवी की बकरी चोट लगने के कारण दो दिन से बीमार है उसके पेट मे बच्चा है तथा बच्चा मरने की आशंका है।बीरा देवी के पुत्र दीनदयाल सिंह रावत जो कि भारतीय वायु सेना मे कार्यरत है अभी वे भुज,गुजरात मे तैनात है।तो दीनदयाल सिंह रावत ने पशु चिकित्सक कोटडीसैण को भुज,गुजरात से फोन लगाया कि मेरे घर मे बकरी बीमार है कृपया उसका दवाई दारू व उपचार के लिए ग्राम नावेतली आ जाइये तो डॉक्टर साहिबा ने मना कर दिया कहा कि आपका गाँव दूर है तथा सड़क भी नही है और फोन काट दिया स्विच ऑफ कर दिया।
फिर कही से पशु चिकित्सक रिखणीखाल का फोन नम्बर लिया जो नेटवर्किंग के अभाव मे बात नही हो सकी।तब थक हारकर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पौड़ी श्री एस के सिंह से बात की तो उन्होने कहा मै कोटडीसैण की डॉक्टर से बात करता हू।अब बात हुई या न हुई।लेकिन शाम तक भी डॉक्टर नही पहुंचा।
बीरा देवी के पुत्र दीनदयाल सिंह रावत ने कहा कि मै एक सेवारत सैनिक हू चौबीस घंटे ड्युटी कर रहा हूँ और ये लोग उपचार करने मे असमर्थता जता रहे है।क्या इनको वेतन नही मिलता।क्या इन पर किसी का नियंत्रण नही है?
– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल