मुज़फ़्फ़रनगर- पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों से जनता को राहत दिलाने के मकसद से सरकार ने दामों में कटौती का जो कदम उठाया था, वह अब बेअसर हो चुका है। सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ये दोनों पेट्रोलियम उत्पाद रोजाना महंगे हो रहे हैं। इनकी कुछ पैसे की रोजाना की बढ़ोतरी ने इन्हें फिर से उसी स्तर पर पहुंचा दिया है। लोगों को जो फौरी राहत दिखनी शुरू हुई थी, वह एक पखवाड़े से भी कम में गायब हो गई और सरकार का कदम ऊंट के मुंह में जीरा भी साबित नहीं हुआ। ऐसे में सवाल है कि महंगे होते तेल से जनता को कैसे राहत मिलेगी! इस वक्त जो हालात बने हुए हैं उनसे जरा भी संकेत नहीं मिल रहे कि आने वाले कुछ महीनों में पेट्रोल और डीजल सस्ते मिलेंगे। महंगाई कमर तोड़ रही है। अभी तो देश के सामने तात्कालिक समस्या यह खड़ी है कि चार नवंबर के बाद भारत ईरान से कच्चे तेल का आयात किस तरह से कम करता है। अमेरिका ने भारत सहित अपने सभी सहयोगी देशों पर इस बात के लिए दबाव बनाया हुआ है कि वे रूस, ईरान, उत्तर कोरिया जैसे देशों के साथ कोई कारोबार न करें। जो भी देश ऐसा करेगा अमेरिका उसके खिलाफ भी कदम उठाएगा। ऐसे में भारत को तेल आयात के विकल्प और इस संकट से होने वाली मुश्किलों का समाधान खोजना है।