पूर्णिया/बिहार- पूर्णिया की बिहार के सबसे पुराने और ऐतिहासिक जिलो में गिनती आती है। यहाँ से अच्छे राजनेता चुनकर ससंद और विधानसभा में पहुंचे हैं पर किसी की नजर अभी तक इस ओर आकर्षित नही हो पाई । सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां से रोज बंगाल,असम और झारखंड के लिए बसे चलती है ।
बिहार का पूर्णिया जिला भले ही स्मार्ट सिटी की गिनती में आता हो पर अभी भी यहाँ विकास की गति धीमी है।पूर्णिया से पूरे बिहार के लिए हर रोज सैकड़ों बसे चलती है । हजारो लोग रोज यहाँ से बिहार के सभी जिलों के लिए सफर करते है। पर यहाँ की बस स्टैंड की हालत इतनी बिगड़ गई है कि हमेशा यात्री को परेशान होना पड़ता है। कभी धूप से तो कभी गर्मी से । होली बीतने के बाद गर्मी के साथ साथ बारिश का भी मौसम आने वाला हैं पर पूर्णिया बस स्टैंड में कही भी यात्री की सुविधाओं के लिए ठहरने का उत्तम इंतजाम नही है। खुले में बना ये बस स्टैंड हमेशा से यात्रियों के लिए परेशानी का सबब रहा है ना तो कही यात्रियों के सर छुपाने के लिए शेड लगा है और ना ही आराम करने की समुचित व्यवस्था। जिसके कारण यात्रियों को चाय की दुकान या फिर किसी छोटे मोटे बने होटलो में शरण लेना पड़ता है। और दुकानदारों की खरी खोटी भी सुननी पड़ती है। बारिश के मौसम में तो यहां और भी हाल बुरा हो जाता हैं , पूरे स्टैंड पर लगभग एक फिट तक पानी जमा हो जाता हैं और साथ ही कीचड़ भी।
सबसे ज्यादा परेशानी तो उन यात्रियों को झेलनी पड़ती है जो परिवार लेकर सफर के लिए बस का घंटो इंतजार करते है। कभी धूप तो कभी बरसात की मार झेलते हैं। कीचड़ होने के बाद तो यात्रियों का स्टैंड में खड़ा होना या फिर चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता हैं।इन सबके बावजूद इस बस स्टैंड की दुर्दशा पर किसी भी जन प्रतिनिधि का ध्यान आकर्षित न होना बताता है कि उन्हें जनता की दिक्कतों की कितनी परवाह है।
-शिव शंकर सिंह,पूर्णिया/ बिहार