पुलिस से अनभिज्ञ लोगों का एक ही सवाल, पुलिसकर्मी के जीवन में दस अंको का विशेष महत्व क्यों : अरविंद जागिड़

राजस्थान/बाड़मेर- दस अंक का विशेष महत्व क्यों होता है हमारी पुलिस में इस सम्बन्ध में बेदाग़ छवि के साथ ही मिलनसार व्यक्तित्व के धनी पुलिस उप अधिक्षक एस सी एस टी सैल बाड़मेर अरविंद जागिड़ ने बताया कि एक पुलिसकर्मी की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि समुदाय सुरक्षित रहे और अपने क्षेत्र में अपराधियों को दंडित किया जाए । वे कानून लागू करके, अपराध से लड़कर, अपराधों को रोककर और बेहतर व्यवस्था बनाए रखकर ऐसा करते हैं। पुलिस को अक्सर प्राकृतिक आपदाओं या अन्य आपातकालीन स्थितियों में भी बुलाया जाता है।

जागिड़ ने बताया कि हमारे जोधपुर सम्भाग में पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय, जोधपुर की स्थापना वर्ष 1975 में पुनर्गठन योजना के तहत की गई थी। यह प्रशिक्षण संस्थान जीवन सिंह के बाग मंडोर रोड, जोधपुर में स्थित है। पहले यह संस्थान पुलिस लाइन जोधपुर में स्थित था और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक, राजस्थान, जयपुर के निर्देशानुसार वर्ष 1983 में पुलिस लाइन से इस परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया था। पूर्व में इस संस्थान की भूमि एवं भवन का स्वामित्व चिकित्सा विभाग के “मानसिक चिकित्सालय” के पास था, जिसे पुलिस विभाग ने चिकित्सा विभाग से 15,45,889/- रुपये में खरीदा था, जिस पर तत्कालीन खेमचंद तेजवानी का कब्जा था। कमांडेंट, पी.टी.एस., जोधपुर 06.09.1980 को प्राप्त हुए।

जागिड़ ने कहा कि आजदी के तुरंत बाद पश्चिमी सरहदों पर स्थित1040 किलोमीटर लंबी भारत-पाक सीमा पर कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर समस्या बन गई। 1949-50 में सीमा की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र पुलिस बल के संयुक्त बलों को सौंप दिया गया, जो 1952 तक जारी रहा।1952 में राजस्थान सरकार ने एक विशेष बल बनाने का फैसला किया, जिसे न केवल सीमा पर तैनात किया जा सके, बल्कि डकैती की समस्या से निपटने में सिविल पुलिस की सहायता भी की जा सके। इसके परिणामस्वरूप राजस्थान सशस्त्र पुलिस बल की स्थापना हुई।

जागिड़ ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान प्रशिक्षण केंद्रो में सबसे ज्यादा प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पुलिसकर्मीयों को बेहतर सिखलाई के साथ ही मानवीय मूल्यों का विशेष महत्व दिया जाता है और प्रशिक्षण के बाद में वो किसी भी क्षेत्र में अपनी दक्षता का परिचय देते हैं।आरएसी का पहला मुख्यालय और प्रशिक्षण केंद्र 1952 में भरतपुर में स्थापित किया गया था और पांच बटालियनों ने वहां प्रशिक्षण प्राप्त किया। राजस्थान सशस्त्र बल की पहली 5 बटालियनों में कुछ सैनिक शामिल थे, जिनमें से कुछ राज्य बलों से और कुछ राजस्थान के बाहर के स्थानों से थे। प्रत्येक बटालियन में छ: कंपनियाँ थीं और एक कंपनी बटालियन मुख्यालय में रहती थी। इन बटालियनों को फिर श्रीगंगानगर, रायसिंहनगर, बाड़मेर और जैसलमेर के सीमावर्ती क्षेत्रों में भेजा गया। डकैती की रोकथाम के लिए जयपुर के घाट गेट पर एक इकाई तैनात की गई थी। अपनी स्थापना के एक वर्ष के भीतर, आरएसी ने सीमा पर और राज्य के भीतर अपने विभिन्न कर्तव्यों को सफलतापूर्वक पूरा करके अपनी योग्यता साबित की।

आरएसी 1958 तक एक अस्थायी बल के रूप में जारी रहा, उसके बाद इसे स्थायी बना दिया गया। उस वर्ष से लेकर 1970 के दशक के अंत तक स्थिति और ज़रूरत के हिसाब से आरएसी की और बटालियनें बनाई गईं।

जागिड़ ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ दो युद्ध और चीन के साथ एक युद्ध देखा और जम्मू-कश्मीर, नेफा और मिजोरम में अशांति थी। इन संवेदनशील क्षेत्रों में आरएसी बटालियनों को भेजा गया और उनके साहस और कार्यकुशलता के लिए प्रशंसा अर्जित की। 1962 में, प्रत्येक इकाई से दो कंपनियों को हटा दिया गया और 6वीं बटालियन का गठन किया गया। बाद के वर्षों में और बटालियनें बनाई गईं।बाद में, इनमें से सात आरएसी बटालियनों को सीमा सुरक्षा बल में और दो को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में मिला दिया गया। आरएसी के अस्तित्व के 52 वर्ष पौराणिक कहानियों, वीरतापूर्ण मुठभेड़ों, वीर पुरुषों और उनके साहसपूर्ण साहस से भरे हुए हैं।

जागिड़ ने कहा कि चयनित आरएसी कंपनियों को दिया जाने वाला प्रशिक्षण आवश्यकताओं के अनुसार तय किया जाता है। आरएसी की तीन कंपनियां हैं, जिनमें विभिन्न आरएसी बटालियनों से विशेषज्ञ तैराकों को शामिल किया गया है और उन्हें बाढ़ राहत कार्य के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य में राज्य अर्धसैनिक बल के रूप में आरएसी की पन्द्रह बटालियनें कार्यरत हैं, जिनमें केवल महिला कांस्टेबलों द्वारा गठित एक विशेष बटालियन, जिसे हाड़ी रानी महिला बटालियन कहा जाता है, तथा एमबीसी की एक बटालियन शामिल है। आरएसी की पन्द्रह बटालियनों में से ग्यारह बटालियन राजस्थान में तथा तीन दिल्ली में तैनात हैं।

सभी इकाइयाँ

प्रथम बटालियन – जोधपुर

द्वितीय बटालियन – कोटा

तृतीय बटालियन – बीकानेर

चौथी बटालियन – जयपुर

पांचवी बटालियन – जयपुर

छठी बटालियन – धौलपुर

सातवीं बटालियन – भरतपुर

आठवीं बटालियन – दिल्ली

नौवीं बटालियन – टोंक

दसवीं बटालियन – बीकानेर

ग्यारहवीं बटालियन – दिल्ली

बारहवीं बटालियन – दिल्ली

तेरहवीं बटालियन – जेल सुरक्षा

चौदहवीं बटालियन – भरतपुर

– राजस्थान से राजूचारण

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