आजकल चुनाव बड़ी कुत्ती चीज है। जीतने के लिए प्रत्याशी हर हथकंडा इस्तेमाल करने से नही चूकता । साम- दाम-दंड आदि सब फार्मूलों का इस्तेमाल चुनावो में थोक के भाव किया जाता है ।पिछले दिनों पांच राज्यों में चुनाव का माहौल पूरे शबाब पर था ओर आज परिणाम भी आपको शानदार लगा होगा। चुनावों के दौरान हर प्रत्याशी मतदाताओ को लुभाने की जुगत भिड़ा रहा था । कोई भूत का लेखा जोखा बता रहा है तो कोई भविष्य का ।
खबर आई कि हमारा पडोसी घसीटा अचानक चल बसा । घसीटा बिल्कुल सीधा-सादा और राजनीति से परहेज रखने वाला साधारण सा इंसान था । घसीटा की मौत का किसी को गम नही था । गम यह था कि इसकी मौत से कैसे फायदा उठाया जाए । चुनाव में एक वोट की भी बहुत कीमत होती है । इसलिए सारे प्रत्याशी उसकी मौत को भुनाने की तरकीब भिड़ाने लगे । सोशल मीडिया पर प्रत्याशियों और उसके समर्थको द्वारा ब्रेकिंग न्यूज की तरह श्रद्धांजलि अर्पित की जाने लगी । कुछ ही घंटों में घसीटा लोगों में वीआईपी बन गया ।
मृतक घसीटा की शवयात्रा देखने योग्य थी । प्रत्याशी और उनके समर्थक यूनिफार्म (शवयात्रा की यूनिफार्म सफेद कुर्ता और पायजामा होती है) पहने शवयात्रा में सम्मिलित हुए । घर वालो से ज्यादा शोक प्रत्याशियों के चेहरे पर नजर आ रहा था । कपाल क्रिया सम्पन्न होने तक तमाम प्रत्याशी अनुशासित सिपाही की तरह डंटे रहे । कोई भी उम्मीदवार हाथ मे आया यह मौका गंवाना नही चाहता था ।
तीये की बैठक के बाद एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन धूमधाम से किया गया । घसीटा की आदमकद फ़ोटो और अनेक बैनर लगाए गए जिन पर उसको एक कर्मठ, प्रतिभाशाली और समर्पित व्यक्ति बताया गया । चुनाव में खड़े उम्मीदवारों ने घसीटा को महान बनाने में कोई कसर नही छोड़ी ।
अध्यक्ष पद के एक उम्मीदवार गंगाराम कुछ बोलते उससे पहले ही उसके आंसू छलक पड़े । रुंधे गले से बोले – घसीटा मेरा पथ प्रदर्शक था, मेरा बड़ा भाई था और…..फिर हिचकी लेकर बोला – घसीटा की मौत समाज के लिए ही नही, मेरे लिए भी व्यक्तिगत अपूरणीय क्षति है । ज्ञातव्य है कि तीन दिन पहले ही यह उम्मीदवार घसीटा से बार रूम या फिर शराब माफियाओं के अड्डे पर उलझ पड़ा था । दोनों एक दूसरे को मार-पीटने पर आमादा हो गये थे । खैर ! अंत मे उम्मीदवार ने घोषणा की कि मेरे चुनाव जीतने पर घसीटा की स्मृति में एक सभागार हमारे द्वारा बनाया जाएगा ।
एक शेर पढ़कर उन्होंने आसन ग्रहण किया ।
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया
अगले उम्मीदवार हेतरामजी तो पहले चुनावी प्रत्याशी के भी बाप निकले । ऐसी एक्टिंग की कि अमिताभ बच्चन भी देख लेता तो उसे खुद पर ग्लानि होती । जेब से सफेद झक रुमाल निकाला । आंखों से छलक रहे घडियाली आंसुओ को पोछते हुए बोले – घसीटाजी की जितनी तारीफ की जाए,वो कम है । वे पुरुष नही, हमारे महापुरुष थे । कुछ और बोलते उससे पहले आंखों से आंसुओ की अश्रु धारा फिर से बहने लगी । अंत मे यह कह कर उन्होंने अपना स्थान ग्रहण किया कि मेरे जीतने के बाद बार रुम का नाम “घसीटा जी बार रुम रखा जाएगा । चूंकि पहले वाले ने शेर पढ़ा था, इसलिए इनको पढ़ना भी लाजिमी था ।
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए
एक अन्य प्रत्याशी भड़काऊ राम जी ने घसीटा के साथ बिताए दिल को दहलाने वाले संस्मरण सुनाकर माहौल को और ज्यादा गमगीन कर दिया । भड़काऊ राम जी ने कहाकि स्व.घसीटा जी आदर्शता की साक्षात प्रतिमूर्ति थे । उन्होंने भी वादा किया कि चुनाव में विजय मिलने के बाद संस्थान का नाम होगा-घसीटा । मेरी ओर से उस महान आत्मा को यह तुच्छ भेंट होगी ।
चुगलखोरी और हर बार चुनाव लड़ने के रोग से ग्रस्त ब्रम्हानंद जी जिन्हें आठ बार चुनाव हारने के गौरव हासिल है, ने सर्वप्रथम घसीटा जी के फोटो पर पुष्पांजलि अर्पित की । फिर फफक फफक कर रोने लगे । इतना ही बोल पाए कि इस महान आत्मा के लिए मेरे पास कोई शब्द नही है । ब्रम्हानंद जी का फफक फफक कर रोने से कई लोगो की आंखे नम होगई । जितना दुःख ब्रम्हानंद जी चेहरे पर टपक रहा था, उतना तो मृतक घसीटा के घरवालों के चेहरे पर भी नही दिखाई दिया ।
अपने आपको कवि कहलाने वाले दीपक जुगाड़ू जिन्हें भी हर चुनाव में खड़े होने का चस्का लगा हुआ है । आज तक कभी अपनी जमानत तक नही बचा पाए है । बावजूद इसके इस बार भी पूरे जोश-खरोश के साथ चुनाव मैदान में डटे हुए है । उन्होंने अपने मित्र की स्मृति में एक शेर पढ़कर बात प्रारम्भ की ।
अब नहीं लौट के आने वाला
घर खुला छोड़ के जाने वाला
सच कहूँ, घसीटा मेरा सबसे अजीज दोस्त था । दोस्त क्या जिस्म का एक हिस्सा था । अब मैं किसके साथ बीड़ी के सुट्टे लगाऊंगा । हम दोनों का जिगराना इसी बात से लगाया जा सकता है कि हम दोनों एक बीड़ी से काम चलाते थे । घसीटा के बिना मैं अपाहिज और अपंग सा होगया हूँ । सच मे वह फरिश्ता था ।
करीब एक दर्जन प्रत्याशियों ने घसीटा जी के शौक सभा मे बोलते हुए उन्हें महान कर्मयोगी, निष्ठावान, कुशल प्रशासक, विनम्र, उत्साही, कार्य के प्रति समर्पित, निर्भीक, निष्पक्ष, आदर्श विचारक, ईमानदार, लगनशील और समाज को नई दिशा देने वाला आदर्श महापुरुष बताया ।
मेरी ओर से भी इस पुण्यात्मा को विनम्र और भावभीनी श्रद्दांजलि । बस । इससे ज्यादा और कुछ नही लिख पाऊंगा । घसीटा जी की याद में मैं भाव विह्वल होगया हूँ ।
– महेश झालानी