पश्चिमी सरहदों पर बाड़ ही लगा रहीं हैं हमारी सुरक्षाओ में सेंध

गृहमंत्री की यात्रा के दौरान चाक चौबंद खुफिया तंत्र रहेगा शायद नाकाम….

बाड़मेर/ राजस्थान- पश्चिमी सरहद पर स्थित बाड़मेर जैसलमेर जिला सीमा पार बैठे भारत के पुराने दुश्मनों की निगाहों में खूब चढ़ा हुआ है। उन्होंने जैसलमेर जिले भर में विशेषकर पोकरण फायरिंग रेंज के नजदीकी इलाके और सरहदी इलाकों में भारत की सामरिक व गोपनीय जानकारियां हथियाने के लिए जासूसों की बड़ी खेप तैयार कर ली है। एक के बाद एक ऐसे कई संदिग्ध तत्व भारतीय खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे भी चढ़ रहे हैं, लेकिन यह आशंका भी है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने सरहदी इलाकों में अनेक नयें पुराने तस्करी करने वाले लोगों की स्लीपर सेल तैयार कर रखे हैं। जो हनी या मनी ट्रेप में फंसकर भारत विरोधी हरकतों को अंजाम दे रहे हैं। पिछले दो-तीन सालों के दौरान ऐसे कई मामले अब तक सामने आए हैं। सुकून का विषय यही है कि सरहदी इलाकों में सेना के साथ साथ अन्य केंद्रीय व राज्य की खुफिया एजेंसियां ऐसे तत्वों पर कड़ी निगाहें रखे हुए हैं लेकिन फिर भी चूक होना गभीर बात है।

आइएसआइ की नजरों में वे लोग बहुत जल्दी से चढ़ जाता है, जिनकी पहुंच हमारे सेनाए, सीमा सुरक्षा बल आदि सैन्य बलों के प्रतिष्ठानों तक होती है। वह चाहे किसी भी रूप में हो। ऐसे लोगों को हनी ट्रैप में फांस कर या फिर पैसों का लालच देकर उनसे भारतीय सुरक्षा से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण सूचनाएं मांगी जाती हैं। जानकारी के अनुसार पहले उनसे बहुत साधारण किस्म की सूचनाएं ली जाती हैं, फिर धीरे-धीरे अहम जानकारियां हासिल करने का प्रयास किया जाता है। जैसलमेर जिले से सौ किलोमीटर दूर स्थित पोकरण सहित अन्य फायरिंग रेंज के आसपास के ग्रामीण ओर जनप्रतिनिधि भी आइएसआइ के निशाने पर रहते हैं, क्योंकि उनके पास हमारी सेनाओ, सीसुब ओर अन्य के अभ्यास से जुड़ी सटीक सूचनाएं होती हैं।

बाड़मेर जैसलमेर जिलों के सीमावर्ती इलाकों के निवासियों की व्यापक रिश्तेदारियां सीमापार पाकिस्तान में हैं। ऐसे में बड़ी तादाद में लोग वैध वीजा लेकर सरहद पार पाकिस्तान आते जाते रहते हैं लेकिन कोराना भड़भड़ी के चलते पिछले दो-तीन साल से रेलगाड़ियों ओर हवाई सेवाओं का संचालन बंद हैं। सरहदी इलाकों के क्षेत्र से पाकिस्तान जाने वाले लोगों पर वहां की खुफिया एजेंसियां आइएसआइ नजरें जमाए रहती है। वह उन्हें बरगलाकर या लालच देकर या डरा.धमकाकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कई बार तैयार कर लेते हैं।

बाड़मेर जिले में पड़ोसी राज्यों पंजाब के पुराने तस्करों और थोड़े से लाभ के लालच में लोगों को बरगलाकर बाड़मेर जैसलमेर जिलों के सरहदी इलाकों में दुपहिया वाहनों ओर अन्य वाहनों पर हेरोइन लेने के लिए भेजना भी पुलिस थानों की मुस्तैद जांच-पड़ताल करने पर सवालिया निशान छोड़ रहे हैं।घाघ पुराने तस्करों द्वारा पुलिस तंत्र को भी नाकों चने चबवा दिए हैं। किसी भी पुलिस थाने का सजग बीट कास्टेबल अपने इलाके का पुलिस तत्र का सबसे जिम्मेदारी अधिकारी होता है लेकिन आजकल मिलीभगत के चलते सब एक दूसरे पर जिम्मेदारियों डालकर अपनी डफली ओर अपने राग अलापते रहते हैं।

विभिन्न सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल के अभाव को दूर करने के लिए कई प्रयास किए जाने के बाद भी अभी तक पूर्णरूप से सामंजस्य कायम नहीं हो पाया है। सरकारी एजेंसियां एक दूसरे से अपनी कार्रवाई को ज्यादातर साझा ही नहीं करती। स्थानीय पुलिस को तो कई बार कुछ भी जानकारी नहीं दी जाती, क्योंकि ज्यादातर पुलिस तंत्र के बीट कांस्टेबलों को अपने क्षेत्र की गतिविधियों की जानकारी होने के बावजूद भी मिलीभगत करके वाहवाही बटोरते हैं,की हम आपका ख्याल रखते हैं और आप भी हमारे लिए आजीवन सोने का अडा देने वाली मुर्गी हो भाई ….

राज्य व केंद्र सरकार के अधीन आने वाली सरकारी एजेंसियों में आपसी तालमेल अब भी बहुत कम बना हुआ है।जब भी कोई तस्करी करने वाले लोगों को पकड़ा जाता है तब सभी अपनी अपनी पीठ थपथपाते हुए नजर आते हैं। सरहदी इलाकों में खुफिया तंत्र शायद नाकाम रहे हैं पिछले छः महीने में कोई तारबंदी पार कर खुल्लेआम आ जा रहा है तो कोई हेरोइन पार कर रहे हैं। जैसे नाथी का बाड़ा है या फिर हमारे देश की मजबूत सरहद जहां पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। पिछले दिनों बाड़मेर जिले के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई खबरों के मुताबिक दिन दहाड़े हेरोइन की बाइस पैकेट को भारतीय सरहद पर फेंका गया था तो फिर रात्रि में तो हमारे सुरक्षा व्यवस्था के हालात रामभरोसे होने चाहिए। पिछले दिनों गिरफ्तार तस्करों द्वारा पुलिस रिमांड में केवल एक खाली कट्टा बरामदगी दिखाकर वाह-वाही लूटने में लगे हुए हैं कहीं ना कहीं गड़बड़ी जरूर हुई है यह सोचने वाली बात है। या तो तस्करों का तंत्र-मंत्र मजबूत है या फिर पुलिसिया कार्रवाई ?

पिछले दो-तीन दशकों के दौरान सरहदी इलाकों में जासूसी का सिलसिला जोर पकड़े हुए है। पाकिस्तान निवासी नंदलाल गर्ग के जैसलमेर में रहते हुए आइएसआइ के लिए जासूसी करते हुए धरे जाने के बाद से सीआइडी और अन्य एजेंसियों को एक के बाद एक जासूसी में लिप्त तत्वों अथवा आइएसआइ के स्लीपर सेल के तौर पर कार्यरत लोगों के खिलाफ सफलता मिलती रही है। इस तरह सम क्षेत्र के चंगाणियों की बस्ती के बाशिंदे सदीक खां को पाकिस्तान के लिए रेल पकडऩे से पहले जोधपुर रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था। उसकी निशानदेही पर कई देशविरोधी तत्वों को पकड़ा गया। पिछले महिने ही
सरकार के नुमाइंदो की यात्रा के समय में जासूसी के संदिग्धों की खेप जैसलमेर जिले के पोकरण फायरिंग रेंज के आसपास पकड़ी गई है।

– राजस्थान से राजूचारण

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