सहारनपुर- क्या खूब कहा है किसी ने बहुत चंचल बहुत खुशनुमा सी होती है बेटियां,नाज़ुक सा दिल रखती है ,मासूम सी होती है बेटियां ,बात- बात रोती हैं नादान सी होती हैं बेटियां, नेमत से भरपूर खुदा की रहमत है बेटियां ,घर भी महक उठता है जब मुस्कुराती है बेटियां पापा की लाडली होती है बेटियां, बेटियां यह हम नहीं यह तो खुदा कहता है कि जब मैं बहुत खुश होता हूं तो पैदा होती है बेटिया तो वहीं बेटियों पर कितना जुल्म ढा रहे हैं मैं पैदा होने से पहले ही उनको मार रहे हैं, गली मोहल्ले में पैदा कर कर छोड़ रहे हैं, क्या अधिकार है हमें उन्हें मारने का ,एक तिनका भी पैदा नहीं कर सकते तो फिर मारने वाले कैसे बन जाते हैं?लगभग हर साल तीस लाख कन्या भ्रूण हत्याओ का पाप हम ढोते हैं !अब बेटियां किस क्षेत्र में पीछे हैं? मां बाप के सम्मान में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ती, दिल से सेवा करती हैं ! पति के घर जाती है तो पति सेवा के साथ-साथ सास- ससुर की सेवा में जुट जाती हैं! दो परिवारों के बीच के मध्य कड़ी बन जाती हैं यह बेटियां! रिश्ते को बखूबी निभाती हैं ,यह बेटियां! फिर बेटों से कम कहां रह गई हैं यह बेटियां! बेटियां हमारे जिगर का टुकड़ा होती है ,बेटो से ज्यादा मां-बाप की कद्र करती है यह बेटियां! आजकल के बेटे मां-बाप को खून के आंसू रुलाते हैं,व्रद्ध मां-बाप बेटे की तरफ निहारते रहते हैं कि बेटा दो बात सही ढंग से कर ले, लेकिन तरसते रहते हैं! अधिकांश समाज का ऐसा ही हाल है! सवाल बेटों की आलोचना का नहीं बेटियों के अस्तित्व का है जिनका देश में लिंगानुपात १००० पुरुषों के मुकाबले ९०० का रह गया है!यदि हम बेटियों को जन्म नहीं देंगे तो फिर मां-बहने, व बहुएं कहां से मिलेगी? जिन बेटों की चाह में हम मरे जा रहे हैं उनके लिए बहुए कहां से लाएंगे? यह हमारे लिए सोचने का एक गंभीर विषय है देश के लिए चिंतन का सबसे बड़ा मुद्दा है ! हां यही रहा तो देश में बेटियां गुम हो जाएंगी! श्रद्धा ,प्रेम ,सेवा एवं त्याग के प्रतीक यह बेटियां हम कहां से लाएंगे? आज इनकी हत्या करने में हमें जरा भी शर्म और झिझक महसूस नहीं होती !थोड़ा सा भी खयाल नहीं आता की यह हमारे जिगर का टुकड़ा है !हम आज का एक लोथडा समझकर गिरा देते हैं! बेटे की चाह में बेटियों का कत्ल करा देते हैं दुनिया में आने से पहले ही उनको मरवा देते हैं! शर्म फिर भी हमको नहीं आती, बेशर्मी का लबादा ओढ़कर कब तक हम यह जघन्य अपराध करते रहेंगे! कौन रोकेगा बेटियों की हत्या? पहल के लिए खुद हमें आगे आना पड़ेगा !सरकार या कानून से इसे नहीं रोका जा सकता! युवा वर्ग आगे आए और पहल करें !संस्थाएं भी काम करें और युवाओं को साथ लेकर चले! हम युवक-युवतियां प्रतिज्ञा करें कि हम किसी भी कीमत पर अब यह पाप नहीं होने देंगे !लेकिन क्या वास्तव में हम ऐसा करेंगे?
-सुनील चौधरी ,सहारनपुर