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नासूर बना आवारा गोवंश का चौक राजमार्गों पर जमावड़ा

राजस्थान/पाली- जिले में आवारा पशुओं की समस्या नासूर बनती जा रही है, लेकिन प्रशासन इसे लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिख रहा। आए दिन आवारा पशुओं की धमालचौकड़ी की चपेट में आकर निर्दोष लोग अपनी जान गवाने को मजबूर है। प्रशासन ने आवारा पशुओं की धरपकड़ के कोई ठोस प्रयास नहीं किए। आमजन का मार्ग पर चलना मुश्किल हो गया है। विशेषकर दुपहिया वाहन चालक,पाली जिले का ऐसा कोई गांव शहर मार्ग या चौराहा नहीं, जहां आवारा पशुओं का जमावड़ा नही लगा दिखे। पाली प्रशासन इससे भलीभांति वाकिफ है, लेकिन इसका स्थाई समाधान करने की इच्छा शक्ति नही दिखा रहा।एक-दाे दिन के लिए दिखावटी अभियान चलाकर इतिश्री कर दी जाती है। ठोस समाधान नहीं होने से स्थिति जस की तस बनी हुई है। पाली प्रशासन आवारा गोवंश के रेडियम पट्टी लगाने में विश्वास करते हैं।लेकिन स्थाई समाधान के लिए बजट का अभाव हमेशा खलता है। राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है , जहाँ गायो के संरक्षण के लिए मंत्रालय बना है। लेकिन बजट के अभाव में सब फाइलों में ही रह गया। मुख्यमार्गों पर उन्मुक्त विचरण करते इन आवारा पशुओं के कारण कितने ही परिवार के चिराग बुझ गए। मार्ग पर लड़ते पशुओं की वजह से कई बार शहरवासी चोटिल होने के साथ उनके वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके लिए कुछ हद तक केन्द्र सरकार का मई 2017 में संसोधित “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम1960” भी जिम्मेदार है। इसके अंतर्गत पालतू गोवंश को मांस बिक्री के लिए बेचना पूर्णतया प्रतिबंधित है। जिसके फलस्वरूप पशुपालक बिनपयोगी गोवंश को आवारा विचरण करने के लिए छोड़ देते हैं। जो आमजन के लिए सिरदर्द बन गया है।

सादड़ी पाली से दिनेश लूणिया

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