नागल/ सहारनपुर – विकास खण्ड क्षेत्र की एकमात्र बजाज हिंदुस्तान शुगर मिल गागनौली का गन्ना भुगतान जनपद में अब तक सबसे पीछे चल रहा है । जिस कारण क्षेत्र का किसान बुरी तरह से परेशान हैं । वैवाहिक मुहूर्त आ जाने के कारण उसे अपने दैनिक खर्चों के अलावा बच्चों की फीस आदि को लेकर दर-दर भटकना पड़ रहा है । अपनी फसलों के दाम का भुगतान नहीं होने के कारण उसके सिर पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है . .। उधर सरकारी विद्युत बिल एवं किसान क्रेडिट कार्ड बैंक कर्ज आदि की अदायगी की तलवार भी उसके सिर पर लटकी हुई है। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी एवं भारतीय किसान यूनियन ने प्रदेशभर में गन्ना किसानों के मूल्य भुगतान को लेकर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर धरना प्रदर्शन कर दबाव बना था ।पर वह भी कारगर साबित नहीं हुआ ,और इन संगठनों को दिया गया आश्वासन भी झूठा ही साबित हुआ। गांगनौली शुगर मिल ने अभी तक मात्र 24 फरवरी तक का गन्ना मूल्य भुगतान ही भिजवाया है। जबकि नए पेराई सत्र की शुरुआत हुये पन्द्रह दिन बीत गए हैं। उत्तर प्रदेश में अन्नदाता किसान दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ उसे खेतीकिसानी एवं अपने फसलों को उगाने एवं बचाने के लिए खाद बीज एवं कीटनाशकों पर खर्च का बंदोबस्त करना है । दूसरी ओर उसके अपने परिवार के लालन पालन एवं दैनिक खर्चों के साथ साथ अब वैवाहिक सीजन एवं लड़कियों के विवाह आदि की तैयारियों के लिए भी धन की आवश्यकता है।जनपद का किसान इन दिनों विषम परिस्थितियों में फस गया है। मिलों में गन्ने की पूरी क्षमता से पेराई नहीं हो रही । जिससे ज्यादातर गन्ना खेतों में ही खड़ा है। गेहूं की बुवाई का समय निकलता जा रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का 14 दिन में गन्ना भुगतान का दावा हवा हवाई साबित हुआ है । गत वर्ष का भी भुगतान नहीं हो सका है। जिले भर के ज्यादातर किसानों ने अपना गन्ना ओने पौने दामों पर चरखी कोल्हू में बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है । सरकार की बेरुखी से जहां गन्ने का भुगतान नहीं हो रहा है ,वहीं ऐसे में किसान सीजन होने के बावजूद गेहूं की फसल की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं । ऐसे में गन्ना खेतों में खड़ा हुआ है ,जबकि गेहूं की फसल की बुवाई 1 नवंबर से शुरू हो जाती है । अब किसान पशोपेश में फंसा हुआ है ,कि आखिर खेतों में खड़े गन्ने की फसल को कैसे काट कर और कहां ले जाए। वर्तमान में जो भी चीनी मिलें जनपद में चल रही हैं। वह भी अपनी पूरी क्षमता से नहीं चलाई जा रही । और गन्ना पर्चीयो के लिए किसान मारा मारा फिर रहा है। वह कभी मिल के चक्कर काटता है, और कभी .कभी गन्ना समिति के अधिकारियों की मनुहार करता है ।और गन्ना पर्ची के ऊपर गन्ने का वेट तो डाला जा रहा है ,पर गन्ने का रेट क्या होगा वह अभी नहीं डाला जा रहा। ऐसे में किसानों की बेचैनी बढ़ी हुई है । किसान इसे लेकर आशंकाओं से घिरा हुआ है। किसान संगठन यह मांग कर रहे हैं कि ,गन्ना पर्ची पर गन्ना मूल्य निर्धारित किया जाए । आज किसान अत्यंत परेशानी में है ,क्योंकि पैसा नहीं होने पर वह गेहूं की फसल की बुवाई नहीं कर पा रहा है । उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल गन्ना मूल्य निर्धारित कर पर्चियो पर गन्ना मूल्य अंकित करवाना चाहिए । जिले में सबसे ज्यादा बजाज शुगर मिल गंगनौली पर ही किसानों का पिछले वर्ष का गन्ना मूल्य लगभग 100 करोड रूपया अभी तक बकाया है। और गत दिनों केन कमिश्नर उप गन्ना आयुक्त डीसी मिश्रा एवं जिला गन्ना अधिकारी केएम मणि त्रिपाठी ने गाँगनौली चीनी मिल में आकस्मिक निरीक्षण कर नए व पुराने चीनी के स्टाक को सूचीबद्ध किया ।क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चीनी मिलों को दिया जा रहा सॉफ्ट लोन भी गांगनौली बजाज शुगर मिल को नहीं मिल पा रहा है।इसे लेकर जिला प्रशासन की पेशानी पर भी बल पडें हुए हैं।ऐसे में उतर प्रदेश सरकार की मँशा के अनुसार कैसे30 नवम्बर तक पिछले गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जाऐ।और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दी गई समय सीमा के अनुसार क्षेत्र के गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान कराया जा सके।चुनावी साल होने के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य भुगतान अहम भूमिका रखता है।
– सुनील चौधरी सहारनपुर