प्रयागराज। नसों में खून के थक्के जमना ( डी.वी.टी ) एक खतरनाक रोग है , जो जानलेवा साबित हो सकती है। इसके कारण शरीर को लकवा भी मार सकता है।
उक्त बातें मेदान्ता मेडिसिटी अस्पताल, गरूग्राम के वरिष्ठ चिकित्सक कार्डिओ वैसकुलर सर्जन डाॅ. राजीव पारख ने इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन में रविवार की सुबह आयोजित एक वैज्ञानिक संगोष्ठी ‘ रक्त नलिकाओ में खून के थक्के जमने ’ के उपचार पर अपने व्याख्यान में चिकित्सकों से कही।
उन्होंने बताया कि मधुमेह के मरीजों मेें सावधानी न बरतने , अनियंत्रित डाइबिटिज होने पर पैरों की नसों में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। पैरों में लगातार लम्बे समय तक दर्द की समस्या पैदा हो सकती है और जो डी.वी.टी ( डीप वेन थ्रोम्बसिस ) रोग के लक्षण हो सकते हैं इसके लक्षण आमतौर पर दिखायी नहीं देते हैं। कई बार अंगो में सूजन, दर्द और लाली जैसे बहुत सामान्य लक्षण दिखायी देते है जिन्हें लोग नजर अंदाज कर देते हैं। इसके कारण शरीर को लकवा भी मार सकता है। गर्भावस्था के दौरान इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। डाॅ. राजीव ने डाईबिटिक फुट के विषय में बताया कि मधुमेह के मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए और पैर में चोट लगने से बचाना चाहिए। क्योंकि अक्सर पैर की अंगुलियां मुड़ने के पश्चात उसमें घाव हो जाता है जो दर्द रहित भी हो सकते हैं। इसको नजर अंदाज करने की स्थिति में घाव से होेने वाला संक्रमण हड्डी तक पहंुचकर सड़न पैदा कर सकता है और पूरे पैर में यह संक्रमण फैल सकता है। ऐसी स्थिति मेें पैर को काटना भी पड़ सकता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता एएमए अध्यक्ष डाॅ. आरकेएस चैहान एवं संचालन सचिव डाॅ.राजेश मौर्या और वैज्ञानिक सचिव डाॅ.आशुतोष गुप्ता ने किया। संगोष्ठी में शहर के अधिकांश चिकित्सक डाॅ.अनिल शुक्ला, डाॅ. जे.के मिश्रा, डाॅ. वी.के मिश्रा, डाॅ.राधारानी घोष, डाॅ.अमिताव घोष डाॅ. जी.एल गुप्ता, डाॅ.नीरज त्रिपाठी, डाॅ.शरद साहू, डाॅ.नागेश्वर मिश्र, डाॅ.अनूप चैहान, डाॅ.अभिनव अग्रवाल सहित अन्य कई चिकित्सक मौजूद रहे।