बरेली।डॉक्टर साहब मेरे बेटे की नशे की लत ने जिंदगी तबाह कर दी है, हर प्रकार से समझा लिया लेकिन ये मान नही रहा है, अच्छी खासी नौकरी करता था, संग साथ ने लड़के को नशे की लत लगवा दी अब घर के बर्तन तक बेच कर नशा कर रहा है। इसकी लत छुड़वा दो… हम आपको कोई कहानी नही सुना रहे हैं बल्कि ये सच्ची दास्तां है जो कि हर रोज जिला अस्पताल स्थित ओएसटी केंद्र पर देखने को मिल रही है। यहां नशे की लत से बर्बाद हो रहे मरीजों के जीवन बचाने के लिए कभी कोई मां स्टाफ से मिन्नतें कर रही है तो कभी दूध मुंहे बच्चे को गोद में लिए पत्नियां अपना सुहाग बचाने को स्टाफ के हाथ-पैर जोड़ रही होती है। बीते माह जिला अस्पताल मे ओपीओईड सब्स्टीट्यूशन थेरेपी (ओएसटी) सेंटर का आरंभ हुआ है। तब से यहां पर 40 मरीजों का पंजीयन हो चुका है लेकिन हैरत की बात ये है कि इन मरीजों मे युवा अधिक है। इनकी उम्र 25 से 40 साल के बीच है। जो कि सुई के माध्यम से नशा करने के आदी हैं और लंबे समय से इंजेक्शन के माध्यम से नशा कर रहे है। तमाम प्रयासों के बाद जब परिजन नशे से दूर नहीं कर पाए तो उन्होंने ओएसटी की शरण ली है। ओएसटी मे तैनात स्टाफ नर्स संजीव शर्मा ने बताया कि केंद्र पर आने वाले अधिकांश युवा इंजेक्टेबल ड्रग यूजर्स हैं। किसी न किसी कारण से इन्हें नशे की लत लगी। कुछ मरीज सालों पहले नौकरी पेशा करते हुए हंसी खुशी जीवन यापन कर रहे थे लेकिन नशे की लत ने उन्हें पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। हालांकि केंद्र पर ऐसे मरीजों को परिवार के साथ समय व्यतीत करने और नशे से उनके जीवन और परिवार को हो रहे नुकसान को भी बताया जाता है। इसके साथ ही दवा भी दी जा रही है। समय से फॉलोअप पर आएं इसके लिए टीम निगरानी भी कर रही है। नशे के आदी लोगों में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, क्षय रोग समेत कई बीमारियां हो सकती है। तीन मरीज एचआईवी से ग्रसित भी मिल चुके हैं। उन्हें इस नशे से होने वाले संभावित खतरे, जीवन संकट, परिवार की स्थिति, आर्थिक नुकसान, सामाजिक उपेक्षा और जीवन यापन में तकलीफ के बारे में बताया जाता है, ताकि उनकी इच्छाशक्ति मजबूत हो और नशा छोड़ने को आगे आएं।।
बरेली से कपिल यादव