राजस्थान/बाड़मेर- ऑपरेशन विषयुग्म चलाकर एक ओर तो अन्तर्राष्ट्रीय ड्रग्स तस्करी के बड़े वांछित तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान तक नशे के व्यापार की जड़े जमाए अपराधी की धरपकड़ के साथ ही महत्वपूर्ण कार्यवाही के तहत कुल पैतालीस हजार के अपराधियों को धर दबोचा।
पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि नशे के विरुद्ध कार्रवाई में अतिरिक्त महानिदेशक एम एन दिनेश के महत्वपूर्ण मार्गदर्शन एवं दिशा निर्देशन के बाद एक प्रभावी कड़ी के रूप में लगातार ATS और ANTF की संयुक्त टीमों ने कार्यवाही करते हुए सीमा पार से राजस्थान में तस्करी के एक मुख्य सूत्रधार को जोरदार तरीके से दस्तयाब करने में सफलता हासिल की है तो दूसरी तरफ मारवाड़ एवं गुजरात में नशे की आपूर्ती के मुख्य सुत्रधार को धर दबोचा है।
कुख्यात अपराधी निवासी- सातलिया, बीजावल, पुलिस थाना गड़रा रोड़, जिला बाड़मेर का रहने वाला है जोकि बचपन से ही पढ़ाई में कमजोर रहा है परन्तु कुछ कर गुजरने की चाह ने क्या से क्या बना दिया और किन्ही कारणों से आरोपी का नाम गुप्त रखा गया है। साथ ही
अपराधी के हौसले इतने बुलन्द कि सीमा पार से नशे को पंजाब एवं भारत की राजधानी तक पहुँचाना और युवा पीढ़ी को पूर्णत्तः बर्बाद करने में तनिक भी नहीं हिचका।
अपरधी अपने पिता की राह पर चलकर नशे के कारोबार में इस तरह खूब गया कि नाबालिग उम्र से ही नशे को युवा पीढ़ी को परोसकर अधिक से अधिक कमाने की चाह उसे ले डूबी। अपराधी चालाक एवं शातिर प्रवृति का होने के साथ साथ निडर भी था जिसने अपने पिता के जेल जाने के बाद कारोबार को देश की अलग-अगल सीमाओं जैसे पंजाब, जैसलमेर, बीकानेर तक फैलाया। लम्बे समय तक सीमावर्ती क्षेत्र में खुफिया एजेन्सियों को अपने जाल में फसाकर पाकिस्तान से नशे के कारोबारियों नशे को पकड़वाने का गच्चा देता रहा और इसी आड़ में अपना धन्धा पनपाता रहा और इसी आड में अपना धंधा पनपाता रहा। बेखटके सीमापर के तस्करों से संपर्क स्थापित करता रहा है।
विकास कुमार ने बताया कि सीमापर से लंबे समय तक चले नशे के कारोबार के खेल के बारे में विस्तार से बताया कि आरोपियों के लिए न तो माल अपना न ही बेचने का झंझट था, बस सीमा पार से हेरोईन को पैकेट रिसीव कर सुरक्षित रखना था एवं सुरक्षित माल को पंजाब व दिल्ली के सरगनाओं के हवाले करना होता था। ऐसा खेल लम्बे समय तक खेला शातिरो ने और जमकर नशा परोसते रहै और हेरोईन के प्रति पैकेट आरोपियों को एक लाख रूपये का कमीशन मिलता था । आरोपी की एक बुआ की शादी लगभग तीस वर्ष पूर्व पाकिस्तान में हुई थी। उस बुआ से सम्पर्क के नाम पर आरोपी का पिता तारबन्दी होने के पूर्व बेरोकटोक पाकिस्तान जाकर माल लाता और आपूर्ति करता था।तारबन्दी होने के बाद धन्धा मन्दा पड़ा तो टेलीफोन से सम्पर्क हुआ। तारबन्दी के पार पैकेट फेंके जाते और ऊँट की चराई के नाम पर आस-पास घूमता आरोपी का पिता माल उठा लेता। आरोपी के फोन से पंजाब व दिल्ली के सरगनाओ से सम्पर्क किया जाता। पंजाब व दिल्ली में कई सरगना बन के आते और माल उठा ले जाते। उन सरगनाओ का आरोपी अपना मौसा बनाकर लोगो से मिलवाता था और ज्यादातर कोडवर्ड की भाषा में तुम्हारा कपड़ा आ गया है, सिलाई के पैसे लाओ और कपड़े ले जाओ। यह आरोपियों के परस्पर संपर्क का कोड वर्ड था ताकि कोई फोन सुने तो भी पता न चले कि क्या बात हो रही। माल आते ही पंजाब व दिल्ली के सरगनाओं से संपर्क कर यह कोड वर्ड दिया जाता था। वह अपने आप समझकर आ जाते और कमीशन देकर माल ले जाते।
विकास कुमार ने कहा कि कभी सीकर, कमी झुन्झुनु, कभी जैसलमेर के नम्बर लेकर पुलिस को गच्चा देता रहा साथ ही दिल्ली सीमा पर औद्योगिक क्षेत्र में पहचान छिपाकर रह रहा था। एटीएस की तकनीकी टीम के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि किसी व्यक्ति का सोशल मीडिया प्राईवेट अकाउन्ट झुन्झुनु का है जो कि भारत पाकिस्तानी सीमा पर बसें बाड़मेर क्षेत्र में लगातार सम्पर्क में हैं। तकनीकी टीम के एक सदस्य को शीघ्र ही झुन्झुनु रवाना किया जाकर खुफिया तरीके से पता करवाया तो मालूम चला कि वह संदिग्ध व्यक्ति दो दिन पहले ही झुन्झुनु से नीमराना का कहकर यहा से निकल गया। मानवीय आसूचना के संकलन से तकनीकी टीम को नीमराना के पास बनी फैक्ट्रियों में बनी चाय की दूकान पर किसी संदिग्ध का होना ज्ञात हुआ।जिस पर टीम ने निगरानी रखना प्रारम्भ किया तो थोड़ी ही देर में सामने बनी फैक्ट्री से निकला और टीम को देख कर भागने की कोशिश की पर टीम के सदस्यों के चंगुल से भागने मे नाकामयाब रहा और टीम को बड़ी सफलता हासिल हुई।
विकास कुमार ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी पर बीस हजार रूपये का ईनाम था।अपराधी जोगाराम उर्फ जोगेन्द्र पुत्र भगाराम जाति जाट निवासी चवा हाल बलदेव नगर बाडमेर पुलिस थाना रिको एरिया क्षेत्र बाड़मेर नशे को
मध्यप्रदेश से बाड़मेर तक नशे की खेप पहुंचाने वाला चढ़ा एएनटीएफ के हत्थे। पिछले आठ वर्षों से युवा पीढ़ी को नशे की खेप उपलब्ध करवाकर मारवाड़ के सीधे-साधे लोगो को किया नशे का आदी कर कई घर बर्बाद किया। तस्करी के कार्य से अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों को भी रोजगार करने के लिए ट्रक दिलवाया और बाड़मेर में पचपदरा में रिफाईनवरी का प्रोजेक्ट शुरु होने के बाद आरोपी जोगाराम उर्फ जोगेन्द्र ने रिफाईनरी प्रोजेक्ट क्षेत्र में बहुत संख्या में स्थानीय और बाहरी मजदूरों के आने से उसके नशे का सामान आसानी से बिकने लगा। पहले अपने दोस्तो से नशे की खेप खरीदता और अच्छे कमीशन के साथ बैचता, फिर अपने दोस्तो के साथ मेवाड़ तथा मध्यप्रदेश से लाने लगा नशे का सामान।
नशे की खेप सीधे मेवाड़ से लाना अपने साथियों को नागवार गुजरा उन्होने शिकायत कर 2023 में तीन साल पहले कल्याणपुर थाने में बेजा गाड़ी में भरा हुआ डोडा पोस्त पकड़वा दिया। इस दौरान आरोपी फरार हो गया, एएनटीएफ चौकी बनने के बाद जिस साथी ने गाड़ी पकड़वाई उसी ने आरोपी की जानकारी एएनटीएफ को दी।
राजस्थान से फरार होकर गुजराल में शरण ली आरोपी ने और वहा भी व्यापार की आड़ में नशे का जाल फैला दिया।
शातिर जोगेन्द्र औद्योगिक क्षेत्रो में अपना व्यापार फैलाता एवं व्यापार की आड़ में नशे का व्यापार निष्कंटक चलाता।
जोगेन्द्र महीने दो महीने में गुजरात से अपने घर चुपके से आता, घरवालों से मिलता एव चुपके से फरार हो जाता।
हमेशा अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी को घर से दो किमी दूर एक गुप्त ठिकाने पर छुपा देता और फिर दबे पांव अपने घर आता था और उस गुप्त ठिकाने की मुखबीर से भनक पाकर एएनएनटीफ की टीम वहा टोह लगाती रही। लंबे समय के बाद शातिर कल शाम गुजरात से आकर स्कार्पियो की छुपाने की कवायद के दौरान एएनटीएफ ने धरदबोचा।
विकास कुमार, महानिरीक्षक पुलिस, एटीएस, राजस्थान, जयपुर ने बताया कि उक्त कार्रवाई में शामिल समस्त टीमों को विशेष कार्यक्रम के दौरान एटीएस मुख्यालय में सम्मानित किया जाएगा।
महानिरीक्षक पुलिस विकास कुमार द्वारा बताया कि किसी भी आमजन को किसी भी अपराधी या अन्य सूचना जो कि अपराधी से संबंधित है, उसे एटीएस नियंत्रण कक्ष नम्बर 0141-2601583 एवं वाट्सएप नंबर 9001999070 पर सूचना दी जा सकती है। उक्त सूचना देने वाले व्यक्ति की गोपनीयता का पूर्णरूप से ख्याल रखा जाएगा। ATS एवं ANTF की टीमें राजस्थान में नशे के काले कारोबार को पूर्णतः निर्मूल करने के लिए कटिबद्ध हैं एवं इस दिशा में जनता का सक्रिय सहयोग अपेक्षित है।
– राजस्थान से राजूचारण
