राजस्थान/बाड़मेर- जोधपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि नशे के सौदागरों को जमीन सूंघाने का महाअभियान परवान चढता हुआ अपने चरम पर पंहुंच रहा है। एक के बाद एक धमाकेदार धावों से ध्वस्त हो रहा नशावीरों का तहखानी साम्राज्य के खिलाफ साईक्लोनर का स्कोर पहुँचा 98 पर …. साईक्लोनर सेल की तूफानी आंधी में मादक द्रव्य तस्करी के बड़े-बड़े स्तम्भ एक के बाद एक धराशायी हो रहे।इस बार ऑपरेशन रेड प्रेयरी चलाकर नशे का बड़ा सौदागर पचास हजार रुपये का ईनामी सूत्रधार भजनलाल का नशा साम्राज्य किया नेस्तनाबूत।
कुमार ने कहा कि लगातार अगली कड़ी के रूप में इस बार ऑपरेशन रेड प्रेयरी चलाकर कुख्यात वांछित तस्कर भजनलाल व उसके साथ “एक के साथ एक बोनस के रूप में कुख्यात फरार आरोपी रूपाराम को राजसमन्द के नाथद्वारा से धर दबोचने में कामयाबी मिली है।आरोपी भजनलाल पुत्र नारायण राम जाति विश्नोई उम्र 35 साल निवासी बाछला पुलिस थाना धोरीमन्ना, जिला बाड़मेर पर पचास हजार रूपये का ईनाम घोषित था तथा वह डेढ वर्षों से फरार चल रहा था।भजनलाल नशे की दुनिया का बेताज बादशाह बनने का सपना संजोये पिछले ग्यारह वर्षों से तस्करी के धन्धे में रचा बसा था।भजनलाल के विरुद्ध राज्य के विभिन्न चार जिलों में अब तक आठ प्रकरण प्रकाश में आ चुके हैं।साथ पकडे गये अपराधी रूपाराम पुत्र किशनाराम जाति विश्नोई उम्र 26 साल निवासी भवानीपुरा चालकना पुलिस थाना सेड़या, जिला बाड़मेर के विरूद्ध भी आधा दर्जन प्रकरण दर्ज है।रूपाराम तीन राज्यों में सक्रिय अपराधी रहा है तथा उस पर मध्यप्रदेश गुजरात व राजस्थान में प्रकरण दर्ज है।रूपाराम मध्यप्रदेश से पैरोल से फरार चल रहा है तथा गुजरात के दो प्रकरणों में 4 साल से वांछित भी है। दोनों आरोपियों के विरूद्ध मादक द्रव्यों की तस्करी, वाहन चोरी, आर्म्स एक्ट, फर्जी नम्बर प्लेट, छीनझपट इत्यादि के अनेकानेक प्रकरण दर्ज है।
भजनलाल प्रत्येक सप्ताह एक बार नशा यात्रा कर मध्यप्रदेश, चित्तोड़ से राजस्थान तक छोटे वाहन में 3 से 4 क्विंटल डोडा चूरा लाया करता था। इस प्रकार पिछले एक साल में करीब 150-170 क्विंटल (15 से 17 टन) डोडा चोरा राजस्थान के मारवाड़ इलाके में आपूर्ति कर खपा चुका था। ज्ञातव्य है कि यह क्रम पिछले 10 साल से चल रहा था। एक नशा यात्रा में करीब 2 से 2.5 लाख का मुनाफा कमा कर सालाना आमदनी से 1 से 1.5 करोड़ करता था भजनलाल। साल में सौ दिन काम ढाई सौ दिन आराम और 1 से 1.5 करोड़ का ईनाम।
कुमार ने कहा कि बेहद शातिर भजनलाल एक ही वाहन को दुबारा काम में नहीं लेता था।पहले तो गुजरात, राजस्थान व मध्यप्रदेश में वाहन चुराने का काम किया पर सीसीटीवी का नेटवर्क लगने लगे व परेशानी होने लगी तो दिमाग लगाया।अब वह गुजरात व मध्यप्रदेश के काले बाजार से सेकण्ड हैण्ड वाहन खरीदत्ता, उसके इंजिन नम्बर व चेसिस नम्बर घिस देता और एक बार प्रयोग में लेकर उसी कीमत पर नशे के छोटे सौदागरों को बेच देता। इंजिन नम्बर व चेसिस नम्बर घिसने से पुलिस गाड़ी पकड़ भी लेती तो उसे चोरी का वाहन मानती और गाड़ी के मालिक तक पहुंच कर खरीदने वाले का नाम पता नही जान पाती।
हर नशा यात्रा में भजनलाल जाते समय सांवरिया सेठ का तो वापसी पर नाथद्वारा मे धोक लगाना नही भूलता था।उसका मानना था कि सांवरिया सेठ व नाथद्वारा महाराज की कृपा उसे नशे की दुनिया का बेताज बादशाह बनायेगी।लेकिन पकड़े जाने पर भजनलाल ने क्रम उल्टा करना महंगा पड़ने की बात कही।शातिर व कॉईया अपराधी भजनलाल बेहद सतर्कता व चालाकी के साथ काम करता था। वन तो एक वाहन दुबारा प्रयोग में लेता, न एक दिन से ज्यादा एक मोबाईल चलाता, न एक स्थान पर एक दिन से ज्यादा रूकता न ही एक मार्ग से लगातार यात्रा करता।पिछले चार महिने से साईक्लोनर टीम हाथ पांव मारती रही पर वह एक सलाखे की तरह प्रकट होकर ओझल हो जाता। मादक द्रव्य तस्करी की साप्ताहिक यात्रा बदस्तूर जारी रही।परेशान साईक्लोनर सैल ने भजनलाल के साथियों पर डोरे डालने व जाल बिछाना शुरू किया तो आखिरकार सफलता उसी मार्ग से आई।
कुमार ने कहा कि जिस तरह भजनलाल ने कुख्यात तस्कर विरदाराम सियोल की शार्गिदी में ड्राईवरी कर अपनी आपराधिक यात्रा शुरू की थी और स्वछन्द सम्राट बन बैठा था।कुछ वैसा ही सपना संजोये बैठा था इस बार भजनलाल का करीबी और पड़ौसी सहयोगी जो भजनलाल का ड्राईवर बनकर उसके साये की तरह चलता था।पिछले वर्ष सड़क दुर्घटना में कंधे तुड़ा लेने के बाद भजनलाल की शारिरिक गतिविधियों धोड़ी थमी तो उक्त करीबी के दिमाग में कीड़े बुलबुलाने लगे और स्वतंत्र साम्राज्य की भूख प्रबल हो उठी।
काफी लम्बे समय से सहयोगी की भूमिका में तंग आया हुआ शारिरिक रूप से दुर्बल भजलाल को अपने कंधो पर ढोता हुआ फिर भजनलाल के कुख्याति के कारण पुलिस की पैनी नजर से परेशान वो भजनलाल से पिंड छुड़ाकर अपना स्वतंत्र अस्तित्व बचाने में मचल उठा।कोढ़ में खाज की तरह दोनो के बीच एक फूल दो माली की कथा भी परवान लेने लगी। इधर शारीरिक रूप से कमजोर हुये भजनलाल ने अपने एक और करीबी रूपाराम को अपना अस्थायी उत्तराधिकारी बनाने के लिये प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया था। रूपाराम मध्यप्रदेश में पैरोल पर फरार होकर भजनलाल का करीबी शागिर्द बन बैठा था।कुछ प्रेमिका के समझाने, कुछ साईक्लोनर टीम का कहर तो कुछ स्वतंत्र अस्तित्व की अभिलाषा, कुछ रूपाराम से प्रतिस्पर्धा की जलन, चारो ने उक्त करीबी को साईक्लोनर का अहम सम्पर्क सूत्र बना दिया।कार्यकलापो के तौर तरीके प्रकाश में आते ही साईक्लोनर टीम ने दबोचने की पटकथा लिखकर जाल बुनना शुरू किया।
कुमार ने कहा कि भजनलाल प्रत्येक सप्ताह एक ट्रिप मध्यप्रदेश चितौड़गढ़ लगातार माल लाने से पहले सांवलिया सेठ की धोक और लौटते वक्त नाथद्वारा में चरण वन्दना कर आर्शीवाद जरूर लेता था।उक्त मुखबिर एक वाहन में भजनलाल, रूपाराम को लेकर तस्करी यात्रा पर हमेशा की तरह निकल पड़ा। इस बार की योजना पहले नाथद्वारा दर्शन फिर ठिकाने पर जाने की थी।योजना के मुताबिक मुखबिर ने नाथद्वारा पहुंचकर भजनलाल व रूपाराम को अपने करीबी के होटल “कमल होटल में टिका दिया। अगले दिन दर्शन की बात तय हुई और खुद गाड़ी लेकर एक सम्पर्क सुत्र से सौदा करने के बहाने खिसक गया।मुखबिर से सिग्नल मिलने ही साईक्लोनर की टीम ने नाथद्वारा के कमल होटल पर दबिश डाल दी। कमल होटल के कमरा नम्बर 102 में आराम फरमा रहा, सहयोगी की प्रतीक्षा कर रहा भजनलाल अपने सहयोगी रूपाराम के साथ आसानी से पुलिस के चंगुल में आ गया।पूछताछ करने पर अपने उक्त करीबी सहयोगी को बचाने के लिए भजनलाल स्वयं का बस से नाथद्वारा बताकर उक्त सहयोगी के प्रति वफादारी निभाता रहा। उसे क्या पता था कि उसका वही विश्वासी उसके साथ विश्वासघात कर अपनी स्वतंत्र यात्रा पर कबका निकल चुका था।अपराध की दुनिया शायद ऐसी ही होती है एक दूसरे का साम्राज्य कदम-कदम पर ही अपना साम्राज्य स्थापित होता है।
कुमार ने कहा कि अभियान का नाम अभियान का नाम भजन से प्रेयर एवं लाल से रेड लेकर ऑपरेशन का नाम रेड प्रेयरी रखा गया।भजनलाल के चितौड के भदेसर इलाके में एक उँची पहाड़ी पर अपना नियंत्रण कक्ष बना रखा था।पहाडी मन्दिर की पिछली दीवार के पास एक झरोखे पर एक स्थायी मोबाईल रख रखा था भजनलाल ने।गैंग के सदस्य अगर पहाडी पर पहुंचते तो मैसेज बॉक्स में ड्राफ्ट में संदेश छोड देते थे। जब भजनलाल वहां पहुंचता तो वह सारे ड्राफ्ट संदेश पढकर आगामी योजना बना लेता। मंदिर का पुरोहित समय-समय पर उक्त मोबाइल को चार्ज कर सक्रिय रखता।उक्त मोबाइल का स्वामी कोई नहीं होता पर वह केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष का कार्य करता।अगर किसी गैंग सदस्य को कोई आपातकालीन संदेश भेजना होता तो वह उक्त फोन से भजनलाल की पत्नी को संदेश भेज सकता था।
कुमार ने कहा कि बाडमेर कुख्यात तस्कर बिरदाराम सियोल की शागिर्दी में सीखा था नशे के कारोबार का ककहरा।आईटीआई की पढ़ाई बिरदाराम एवं भजनलाल ने साथ की थी तथा एक ही हॉस्टल में रहे थे। जब बिरदाराम अपराध की दुनिया में कुलाचे भरता सीढ़िया फाँद रहा था तब शागिर्द भजनलाल उसका कुशल चालक हुआ करता था।शातिर भजनलाल ने जल्दी ही अपना स्वतंत्र साम्राज्य स्थापित कर लिया।भजनलाल के अनुसार बिरदारान के साम्राज्य के चार प्रमुख खम्भे थे जिन्होने बाद में अपना पृथक गैंग बना लिया था।उक्त चार खम्भे में से तीन की गर्दन तक साइक्लोनर सैल के हाथ पहुंच चुके हैं। चौथा अभी भी रडार पर पकड़ से दूर हैं।हाल ही में कुख्यात बिरदाराम की सम्पति जब्ती के अगले दिन सड़क दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गयी।
कुमार ने कहा कि अपराध की दुनिया शायद विश्वासघात की नींव पर ही खड़ी होती हैं, विश्वास के खोखले धरातल पर पनपता साम्राज्य विश्वासघात की शख्त चट्टान से टकराकर चूर चूर हो जाता है, ऐसा ही कुछ भजन लाल के साथ ही हुआ।वर्ष 2014 में जिस पेट्रोल पम्प पर नौकरी करता था भजनलाल, उसी पेट्रोल पम्प पर 3 जुलाई, 2014 को हथियारों से लैस होकर तोडफोड कर 10 लाख से ज्यादा की राशि की लूट कर अपराध की दुनिया में कदम रखा था भजनलाल ने।जिस गुरू बिरदाराम के कारोबार का ककहरा पढ़ाया, उसी गुरू से विश्वासघात कर स्वतंत्र गैंग बनाकर गुरू से ही प्रतिस्पर्धा में शामिल हो गया भजनलाल।आखिरकार समय सिपहसालार का पहिया वैसे ही घूमा और भजनलाल के सबसे विश्वस्त सिपहलसार ने ही विश्वासघात कर भजनलाल की लंका ढहा दी। रेंज स्तरीय साईक्लोनर टीम के उ.नि. कन्हैयालाल, प्रमीत चौहान उनि, देवाराम उनि, नेमाराम उनि, कानि. अशोक कुमार, राकेश कुमार, भागीरथ, मांगीलाल, गोपाल जाणी, भंवर कमाण्डो, किशोर, देवाराम, शेखर, झूमर, राकेश, जोगाराम शामिल रहे। सम्पूर्ण कार्यवाही का नेतृत्व प्रमीत चौहान उनि एवं ऑपरेशन में तकनीकी आसूचना अशोक कुमार एवं मानवीय आसूचना गोपाल जाणी की अहम भूमिका रही है।
– राजस्थान से राजूचारण