मध्यप्रदेश,देवास- नगर निगम में संपत्तिकर का नाया खाता खुलवाने के लिए पहुंच रहे संपत्तिकर दाताओं को बार-बार राजस्व विभाग के चक्कर काटना पड़ रहे हैं। नया संपत्तिकर खाता खुलने में जहां देरी हो रही है, वहीं निगम के राजस्व में भी कहीं न कहीं कमी आ रही है। वैसे से कुछ संपत्तिकर दाता समय पर निगम में टैक्स जमा करना नहीं चाहते हैं और जो नए संपत्तिकर दाता खाता खुलवाने के बाद टैक्स जमा करना चाहते हैं, उनके खाते नहीं खुल पा रहे हैं। नया खाता नहीं खुलने में राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी सरकार की तरफ से आए नए सॉफ्टवेयर को दोषी ठहरा रहे हंै।
दरआसल सरकार ने गत २ जुलाई से ई-नगरपालिका सॉफ्टवेयर शुरूआत की है। शहर के जितने भी संपत्तिकर दाता हैं, उनका संपत्तिकर इसी सॉफ्टवेयर के मार्फत जमा होना है। पूर्व में नगर निगम का सॉफ्टवेयर था, जिसमें आसानी से नए खाते खुलने के साथ ही टैक्स भी जमा हो रहे थे। निगम के राजस्व विभाग के करीब चार ऑपरेटर, नए सॉफ्टवेयर को अभी तक भी पूरी तरह से सीख नहीं सके हैं। नए खाते खुलने में ऑपरेटरों को नया सॉफ्टवेयर का नॉलेज नहीं होना भी सामने आ रहा है। नगर निगम की सीमा में आने वाले भवन, भुखंड व दुकानों के कई संपत्तिकर दाताओं के नाम निगम के राजस्व विभाग में नहीं है। पुराने खातों के नाम पर ही संपत्तिकर भरवाया जा रहा है। कई मामलों में देखा गया है कि अगर कोई प्लॉट खरीदी-बिक्री करता है तो शुरूआत में जिस प्लॉट मालिक का नाम निगम के राजस्व विभाग में दर्ज है, उसके ही नाम की रसीद कटवाकर संपत्तिकर भरा जा रहा है। इस तरह के वह खातेदार हैं, जो प्लॉट खरीदकर बेचने का काम करते हैं।
१५० से अधिक आवेदकों के आवेदन पेंडिंग
नगर निगम में नए संपत्तिकर के खाते खुलवाने के लिए 150 से अधिक लोगों के आवेदन पेंडिंग पड़े हुए हैं। प्लॉट, मकान व दुकान मालिक अपने नाम से खाता खुलवाकर जल्द से जल्द संपत्तिकर भरना चाहते हैं। समय पर संपत्तिकर जमा करने पर लोगों को अतिरिक्त पैनल्टी नहीं भरना पड़ती है। संपत्तिकर का खाता होने के बाद अगर खातेदार की जमा रासीद कहीं गुम हो गई तो उसे सालों पुराना टैक्स भी जमा करना पड़ेगा, जो पूर्व में जमा कर चुका है। हाल ही में एक मामला सामने आया था, जिसमें ग्राम जामगोद के रहने वाले सुरेंद्रसिंह का मात्र 11 रुपए टैक्स बकाया था। इसके बाद भी नगर निगम की राजस्व टीम ने उनके प्लॉट के सामने बोर्ड लगा दिया था कि इस प्लॉट पर संपत्तिकर बकाया है। इसलिए प्लॉट को नगर निगम के आधिपत्य में लिया जाता है। इस मामले की शिकायत संपत्तिकर दाता ने निगम से की तो तत्काल ही बोर्ड हटवाया गया था। इस तरह के कई मामले हैं, जिसमें लोगों के नाम अलग-अलग हैं। वहीं सालाना जमा करने वाली राशि में भी भारी अंतर है।
सबसे ज्यादा टैक्स वसूली
गौरतलब है कि वर्ष 2017-18 में नगर निगम ने अब तक के सबसे ज्यादा टैक्स वसूली करने का रिकॉर्ड बनाया है। निगम ने संपत्तिकर व नलकर से करीब २३ करोड़ रुपए की वसूली की थी। इस वसूली में तेजी नए आए आयुक्त विशालसिंह के समय से शुरू हुई है। अब उनके ही कार्यकाल में नए खाते खुलने में देरी होना सोचनिय विषय है। राजस्व अधिकारी की माने तो नए खाते खुलवाने वाले सही दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं, इसलिए उनके खाते पेंडिंग कर रखे हैं।यह भी जानें नए संपत्तिकर खाते खुलवाने के लिए भवन, भुखंड के संपूर्ण दस्तावेज लाना अनिवार्य।
नए सॉफ्टवेयर में दस्तावेजों की स्केनिंग कर पीडीएफ बनने के साथ ही अन्य कार्य में लग रहा समय। बार-बार नेट बंद होने से भी परेशानी।
– गत वर्ष करीब 23 करोड़ रुपए का राजस्व वसूला गया।
– संपत्तिकर व जलकर से करोड़ों रुपए का टैक्स अभी है बकाया।
– सबसे ज्यादा वसूली लोक अदालत के दौरान निगम के टैक्स में होती है।40 करोड़ के करीब वर्ष 2018-19 का टॉरगेट तय किया है।150 लोग नए संपत्तिकर खाते खुलवाने के लिए लगे लाइन में।
– नए संपत्तिकर खाते खोलने में नया सॉफ्टवेयर से समय लग रहा है। कुछ नए खातेदार संपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर रहे, जिनके खाते रोके गए हैं। संपूर्ण दस्तावेज देने के बाद ही खाते खुलेंगे। राजस्व वसूली में हमारी टीम तेजी से कार्य कर रही है।
विशालसिंह निगमायुक्त देवास।
राजेश परमार , आगर मालवा