आज के तकनीकी युग में ॠतु परिवर्तन के बारे में तो सब भूल ही चुके हैं. पता नहीं चलता कब सर्दी खत्म हुई है और कब बसंत शुरू होता है. जब घर में छत चूती है तभी पता चलता है कि मानसून की पहली बारिश आ गया. अख़बार खोलो तो ग्लोबल वार्मिंग पता चलती है और टी. वी. खोलो तो संसद की कड़कड़ाहट और गर्जना. आम जनता में किसी को राशन की फ़िक्र है, किसी को बॉस का बताया विज्ञापन टारगेट पूरा करना है, और किसी को नौकरी का कांट्रेक्ट ख़त्म होने की चिंता है. एक महँगाई ही ऐसी है जिसकी चिंता सभी को सताए जा रही है. युवा हृदयों को प्यार के मौसम की चिंता रहती है तो विद्यार्थियों को अपनी परीक्षा के सीजन की।
अब देखिए आजकल फरवरी ओर फिर मार्च महिना आएगा और मानों या फिर ना मानो परीक्षा का सीजन जरूर आ गया. इस सीजन में भी सभी की अपनी-अपनी चिंताए हैं. किसी को पता करना है कि पर्चा किसने बनाया है, किसी को पता करना है कि कापी कहाँ और किसके पास में जाने वाली हैं, किसी खुरापाती को नकल के लिए कोई नई तकनीक ईजाद करनी है, तो कोई अपने रिश्तेदारों और नेताओं के भरोसे बैठा है. इन सभी के बीच एक छोटा सा तबका उनका भी है जो सिलेबस खोलकर सिर्फ ओर सिर्फ अपनी तैयारी के साथ आने वाले पेपर का उत्तर लिखने के लिए सालों से रफ कापियाँ में मिलान कर रहे हैं।
परीक्षा में बार बार सरकार द्वारा नकल रोकने के बारे में इतना लिखा-पढ़ा जा चुका है मगर मामला अभी भी जस का तस है. दबंग लोग खुले आम अपने लोगों को नकल करवा रहे हैं और शिक्षक वर्ग तो “बेचारा मास्टर” है उसकी कहीं पर चलती कहाँ है. अक्सर कहा जाता है कि ऐसे प्रश्नपत्र बनाए जाएँ कि विद्यार्थी किताबें लेकर बैठें तब भी सिर्फ़ मेहनती और दिमाग़ वाले ही पूरा पर्चा हल कर पाएँ. मगर इस पर आज तक अमल नहीं हो पाया. हमारी पुलिस लगाकर देख लिया उससे भी हल नहीं निकला अब तो एक भारतीय सेना का आसरा बचा है. हमारे देश में हर मर्ज की रामबाण औषधि भारतीय सेना है. युद्ध हो तो आर्मी, आतंकवादी कार्यवाई हो तो आर्मी, दंगा हो तो आर्मी, बाढ़ का प्रकोप हो तो आर्मी, भूकंप आए तो आर्मी. एक परीक्षाओं में नकल रोकने का काम बचा है तो इसके लिए भी आर्मी बुला ली जाए. ऐसे पिछले साल बिहार में भारतीय सेना ने परीक्षाओं में नकल रोककर अपनी काबिलियत तो दिखा दी है. फिर भी यदि भारतीय सेना बुलाने का तरीका आपको मंजूर न हो तो मेरी तरफ से कुछ सुझाव हैं।
नकल गिरोहों से साठगांठ करने वाले सभी परिक्षार्थियो सहित सहयोगी हो उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर मुक़दमा चलाया जाए ओर उनके चल अचल संपत्ति को सरेआम निलाम करने के दौरान ध्वस्त किया जाए और उन्हें जेल में मोबाइल फोनों पर गिरोह को चलाने पर पाबंदी लगायेगी ओर
. जो विद्यार्थी आजकल नकल करके अपने शिक्षकों, देश की शिक्षा पद्धति और शैक्षणिक प्रशासन को धोखा दे रहा है क्या वह कल अपने देश को धोखा नहीं दे सकता है ? जहरीला फल बनने से पहले ही यदि फूल तोड़ लिया जाए तो बेहतर है।
आजकल कई विद्यालयों में कक्षा अटेंड करने वाले विद्यार्थी तो कम होते हैं मगर परीक्षा देने वाले विद्यार्थी कई गुना ज़्यादा होते हैं. नतीजे में जगह जगह पर किराए की टेबल-कुर्सी मंगाकर तंबू के नीचे परीक्षाएं करवाई जाती है. किराए का खर्च कम करने के लिए मजबूरन परीक्षार्थियों को पास-पास बैठाना पड़ता है. इस दशा में कोई परीक्षार्थी आसपास की कापियों में तान्क-झाँक न करे इसलिए उनकी आँखों के दोनों तरफ उसी तरह की रोक लगाई जाए जैसी घोड़े की आँखों पर पट्टी लगाई जाती है।
आजकल जगह जगह पर सरकारी नौकरी देने के नाम पर बेरोजगार स्टुडेंट्स को गारंटी देने वाली कोचिंग सेंटर चलाने वाले सरकारी नौकरी करने वाले अधिकारियों ओर कर्मचारियों की सम्पत्तियां जब्त होना चाहिए ताकि नकल गिरोहों पर नकेल कसने में राहत मिल सकती है ओर परीक्षाओं के दौरान आधुनिक युग में हाइटेक प्रणाली के सभी सचार यत्रो को एक दिन पहले से ही बन्द किया जाए चाहे सरकारी हो या फिर निजी कम्पनियों का, एक दो दशक पहले ही की तरह परीक्षाओं का सफलता पूर्वक सम्पूर्ण होगी l
परीक्षाओं के दौरान विद्यालय परिसर में आसपास मडराने वाले बाहर के शरारती तत्व प्रवेश न कर पाएँ इसके लिए उन्हें डराने को वहाँ काले नाग छोड़े जाएँ. यह कार्य, कुशल सपेरों की मदद से किया जा सकता है. इस काम के लिए उन शेर और भालुओं की मदद भी ली जा सकती है जो सर्कस में काम न कर पाने के कारण आजकल बेरोज़गार हो गए हैं. परीक्षा हाल में परीक्षार्थियों को बंद कर इन जानवरों को विद्यालय परिसर में छोड़कर मेन गेट भी बंद कर दिया जाए. आशा है बेरोजगारी दूर करने के लिए जानवरों की इस सेवा पर एनिमल राइट्स वालों को कोई आपत्ति नहीं होगी।
बेरोजगार स्टुडेंट्स की परीक्षाकाल के दौरान संसद, विधान सभा आदि के सत्र आयोजित किए जाएँ. प्रभावशाली राजनैतिक नेता इनमें व्यस्त रहेंगे तो परीक्षा के दौरान राजनैतिक हस्तक्षेप की आशंका कम रहेगी।
जिस तरह खनिज सम्पदा जैसे बजरी, पत्थर,रोडी, जहाँ तहा पर दारू के ठेके या टोल बेरियर प्राइवेट पार्टीज को दिए जाते हैं उसी तरह नकल रोकने का ठेका भी उस इलाक़े के प्रभावशाली व्यक्तियों को दिए जाएँ. परीक्षा केंद्र पर जब पहुँचे हुए लोग लाठी लेकर खड़े होंगे तो मज़ाल है वहाँ नकल हो जाए।