धूमधाम से मनाया कायस्थ चेतना मंच ने भगवान चित्रगुप्त जी का अवतरण दिवस

बरेली- समस्त ब्रह्मांड के न्यायाधीश एवं समस्त मानव जाति का लेखा-जोखा रखने वाले ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न सत्रवें पुत्र के रूप में भगवान श्री चित्रगुप्त जी की अवतरण हुआ था मान्यता यह भी है कि जब भगवान राम लंका विजय के बाद अयोध्या वापस आए थे तब उन्होंने वशिष्ठ मुनि को सभी देवी देवताओं को निमंत्रण भेजने के लिए कहा था तब महर्षि वशिष्ठ मुनि जी ने सबको निमंत्रण दिया परन्तु भगवान श्री चित्रगुप्त जी को निमंत्रण देना वे भूल गए जब राज्य अभिषेक का कार्यक्रम संपन्न हुआ दीपावली का उत्सव मना लिया गया तब सारे काम रुक गये इसी वजह से पडवा के दिन कोई कार्य नहीं होता है तब भगवान विष्णु जी ने कहा यह क्या हो रहा है सृष्टि की कार्य में क्यों उछल-पुथल हो रही है तब उन्होंने भगवान श्री चित्रगुप्त जी से इसका कारण पूछा तब भगवान श्री चित्रगुप्त जी ने कहा की अयोध्या में भगवान श्री राम ने सबको आमंत्रित किया परंतु मुझे नहीं बुलाया यह मेरा अनादर है तब भगवान राम से इसका कारण पूछा गया तब पता चला की वशिष्ठ मुनि जी ने भूलबश निमंत्रण देना भूल गए तभी भगवान श्री राम जी ने भगवान श्री चित्रगुप्त जी की पूजा अर्चना की और अपनी गलती की क्षमा मांगी उसी दिन अयोध्या में चित्रगुप्त मंदिर की स्थापना भी हुई उसी दिन से दूज से सभी कार्य आरंभ हो जाते हैं और पांच दिवसीय त्योहार य़ह संपन्न होता है

दूसरा यह भी मान्यता है की यमुना जी के भाई यमराज थे और यमराज को बुलाने के लिए यमुना जी ने कई बार आग्रह किया काफी दिनों तक उनका इंतजार किया फिर उन्होंने भगवान श्री चित्रगुप्त जी का पूजन किया तब की यमराज आज ही के दिन अपनी बहन से पास आए तब यमुना मैया ने उनका बड़ा आदर सत्कार किया और उनका तिलक उत्सव किया उसी दिन से यमराज जी ने यह बचन दिया कि आज के दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसको कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी इसीलिए भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन द्वारा मनाया जाता है

कायस्थ चेतना मंच ने 12 अक्टूबर को भगवान श्री चित्रगुप्त जी की शोभायात्रा से अपना पर्व प्रारंभ किया और आज महा आरती के उपरांत पांच दिवसीय त्योहार संपन्न किया।

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