फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। दीपावली को पांच पर्वो के महापर्व के रुप में भी जाना जाता है। धनतेरस, भैयादूज व चित्रगुप्त पूजा के लिए बाजार पूरी तरह तैयार है। इन दिनों माटी के दीये का खास महत्व होता है। परंपरागत रुप से माटी के दीपक से ही घर रौशन होते हैं। जिन इलाकों में दीये बनाये जाते है। वहां माटी की सोंधी खुशबू से गमक रही है। वहीं बाजारों में दीपावली को लेकर चौक-चौराहों में अस्थाई दुकानें लग गई हैं। इसमें विशेष तौर पर दीपक, घरौंदा और मूर्तियो की दुकाने है। आपका घर आंगन खुशियों से महके इसलिए इस बार दीयों को रंगों में रंग के बेच रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मिट्टी की गाड़ी महंगी हो गई है। इसके बाद दीयों को बनाने में बहुत मेहनत लगती है लेकिन, दीयों के दाम नहीं बढ़े हैं। आपकी खरीदारी से हमारे घर भी दीपावली मनेगी। कुंभकारो ने बताया कि खरीदार तो आ रहे हैं मगर, अभी फिलहाल कीमत ही पूछ रहे हैं। वे दीये और मूर्तियां खरीदना शुरू करें तो हम भी अपने त्योहार की तैयारी में लगें। वहीं दूसरी ओर शहर मे महिला संगठन और एनजीओ की महिलाओं ने मिट्टी के दीयों से अपना घर रोशन करने के साथ ही कुंभकारों को त्योहार मनाने का संकल्प लिया है। दीपावली पर्व पर लोग अपने-अपने घरों के बाहर और अंदर, पूजा घर से लेकर मंदिरों तक दीपक जलाते हैं। महिलायें समूह में घी की बाती और दीया लेकर मंदिर जातीं है और मंदिर में दीया जला कर फिर जलते दिये को घर वापस लेकर आतीं हैं। इसलिए मिट्टी के छोटे बड़े दीपक की खरीदारी होती है। महिलाओं का कहना है कि दीपावली के लिए ज्यादा खरीदारी नहीं की है पर अब मिट्टी के दीये खरीदने हैं ताकि कुंभकार अपने त्योहार के लिए तैयारी कर सकें। हम हर साल मिट्टी के दीयों से ही अपना घर जगमगाते हैं। इससे जहां हमारे घर की रोशनी में चार चांद लगते तो वहीं कुंभकारों को भी सहारा मिलता है। हर साल मिट्टी के दीयों से ही घर रोशन करते हैं साथ ही अपने साथियों से भी मिट्टी के दीयों की खरीरदारी करने की अपील करते हैं। अब खरीदारी शुरु करेंगे।।
बरेली से कपिल यादव