दानजी की होदी के खसरा नम्बर 3521/1296 के लोगों को जल्दी ही मिलेगें पट्टे

बाड़मेर/राजस्थान- बाड़मेर जिला मुख्यालय पर कृषि भूमि पर खातेदारों ने अपनी भूमि को इकरारनामो पर बेचकर लाखों रुपए वसूले लेकिन सरकारी खजाने को भरने वाले राजस्व विभाग को करोड़ों रुपए की चंपत लगाने के बाद, शहरीक्षेत्र के नजदीक दानजी की होदी क्षेत्र के पटवारी हल्का बाड़मेर शहर मे तो ओर भी बुरा हाल था। खातेदारों द्वारा बारिश के दौरान फसलों को बोने के स्थान पर कृषि भूमि पर ग्रेवल रोड, डामरीकरण सड़कों, नगर परिषद द्वारा रोड लाइटें, बिजली पानी की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद भी आवासीय क्षेत्र को नगर परिषद के नाम दर्ज करने के साथ ही वहाँ पर बसें हुए लोगों को बहुत जल्द पट्टे मिलेगें।

नगरपरिषद क्षेत्र में हर साल नई नई कॉलोनियों कृषि भूमियों पर बस रही है। लेकिन इन कॉलोनियों में ज्यादातर इकरारनामों के रूप में स्टाम्प पेपर पर प्लॉट खरीदने वालों को यह कितना महंगा पड़ेगा, कृषि भूमि धारक या फिर कॉलोनाइजर खरीददारों को इसकी जानकारी तक नहीं देते हैं। नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण खरीदारों को भूखंड पर मिलने वाली बिजली-पानी व सीवरेज समेत अन्य सुविधाओं के लिए बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। वहीं खातेदारों ने भी राज्य सरकार के राजस्व की भारी भरकम राशि को सरकारी दफ्तरों में जमा कराने के बजाय अपनी जेब में डालकर हजम कर रहे हैं। इसके लिए नगर परिषद बाड़मेर द्वारा कालोनियों को काटकर पट्टे भी दिए जाते हैं लेकिन भूमाफियाओं और दलालों के चक्कर में फसकर लोग अपनी जीवन भर की पूजी लूटा कर ही नगर परिषद की कालोनियों में प्लांट खरीद रहे हैं इससे नगर परिषद को भी करोड़ों रुपये की राजस्व प्राप्त होगी और रहवासियों को मूलभूत समस्याओं से भी निजात मिलेगी।

बाडमेर नगरपरिषद क्षेत्र में भी बीते चार दशकों में बाड़मेर शहर के आस पास करीबन चार पांच दर्जन नई कॉलोनियां काटी गई हैं। जबकि नगरपरिषद में 90 ए की कार्यवाही के तहत इनमें से महज दो चार कॉलोनाइजर ने ही शुल्क अदा किया है। इनके अलावा जितनी भी कॉलोनियां काटी गई, वे बिना मास्टर प्लान और नियमविरुद्ध काटी गई। ऐसे में कृषि भूमि पर इकरारनामे से भूखंड खरीदने वाले लोगों को अब बिजली के घरेलू कनेक्शनों के लिए डिस्कॉम में हजारों रुपए की डिमांड राशि जमा करानी पड़ेगी। सस्ते और कम दाम के चक्कर में लोगों ने दलाली करने वालों के बहकावे में आकर कृषि भूमि खातेदारों को लाखों रुपए अदा किए, लेकिन उनसे कॉलोनी में मिलने वाली सुविधाओं के बारे में कोई पूछताछ नहीं की। ऐसे में अब हाल यह है कि अपने रजिस्ट्रीसुदा प्लॉट पर बिजली कनेक्शन के लिए डिस्कॉम की ओर से उसे हजारों रुपए का डिमांड नोटिस थमाया जाता है। जबकि भूखंड खरीदने से पहले अगर कॉलोनाइजर निगम और जलदाय विभाग में आवेदन कर कॉलोनी में संबंधित नेटवर्क डवलप शुल्क अदा करता तो क्रेताओं को यही घरेलू बिजली कनेक्शन सामान्य दर पर मिल सकता है।

कृषि भूमि पर बने अधिकांश भवनों का निर्माण भी नियमानुसार नहीं होने से इसका खामयिाजा कालोनी वासियों को भुगतना पड़ रहा है। यहां शौचालय और पानी की निकासी के लिए नालियां तक नहीं होती हैं। वहीं बरसाती पानी को सहेजने और पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं होती है। शहर में कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियां आज भी विकास को तरस रही हैं। खातेदारों द्वारा कॉलोनी बसाने के दौरान तय मापदंडों का पालन नहीं करने से अधिकांश कॉलोनियों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। जिससे यहां रहने वाले लोग सरकारी विभागों के रोजाना चक्कर काट रहे हैं।

पटवारी हल्का बाड़मेर शहर के दानजी की होदी क्षेत्र में आई हुई मूल कृषि भूमि के खसरा नम्बर 1296 के, 3519/1296, 3520/1296 ओर पिछले साल ही नगर परिषद में शामिल किया गया कृषि भूमि खसरों में से खसरा नम्बर 3521/1296 को शामिल करने के साथ ही दो खबरों को छोड़ दिया गया था जिन्हें पूर्व में वरिष्ठ नगर नियोजक, नगर नियोजन विभाग जोधपुर द्वारा पत्र क्रमांक /जेडीजेड /1628/पीडब्लूआर/2034/दिनांक 02.11.2012 के तहत सम्पूर्ण रुप से आवासीय भूमि प्रयोजनार्थ आरक्षित किया गया था l

कृषि भूमि पर बसें हुए कालोनी निवासियों ने बताया कि वरिष्ठ नगर नियोजक द्वारा उपरोक्त कृषि भूमि के खसरों को आवासीय भूमि प्रयोजनाथ इसलिए आरक्षित किया गया है क्योकि इस क्षेत्र में तीन चार दशकों से सेकड़ों परिवार मकान बनाकर आवास करते आ रहे है। इतना ही नहीं बाड़मेर शहर की मूल आबादी से जुड़ता हुआ यह क्षेत्र दानजी के हौदी और कलाकार कालोनी है जो पूर्ण रुप से स्थापित हो गया है। यथा विदासर,इन्द्रा कोलोनी, कलाकार कोलोनी, श्रीयादे नगर, कोजोणियों की ढाणी, उम्मेदसिंह की ढाणी, के नाम से विख्यात है। कई कोलोनियों में पिछले दो तीन दशक से ग्रेवल संड़को , डामर सड़कों, नालियों का निर्माण, सभी क्षेत्रों में पानी की पाईप लाईने,बिजली कनैक्शन, सम्पूर्ण इलाके में रोड़ लाईटे नगर परिषद बाड़मेर द्वारा लगाईं जा चूकी है। उक्त कोलोनियों की जमी खसरों के कृषि भूमि दर्ज है जो कृषि भूमि के खातेदारों द्वारा 1986 से नक्शा वगैरह बनाकर के लोगों को विक्रय कर अपने हिसाब से कालोनियां बसाई गई है।

कालोनी क्षेत्र के लोगों के अनुसार शहरी क्षेत्रों के आसपास अधिकतर इकरारनामों से भूमि बेच देने के बाद भी कई खातेदारों का जमाबंदी में नाम अंकित होने के बहाने वर्तमान में प्लाट खरीदकर आवास कर रहे,कहाँ कहाँ पर मोहल्ले वासियों को खातेदारों द्वारा झूठी कानूनी कार्यवाही के नाम पर अवैध वसूली के नाम पर परेशान कर रहे है ऐसे बोगस खातेदारों से निजात दिलाने का आग्रह पूर्वक निवेदन है।

कृषि भूमि खातेदारों की ओर से जनता के साथ की जा रही धोखाधड़ी और सरकार को हो रहे करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान को लेकर हाल ही में नया नियम लागू किया गया है। जिसके तहत नगर निकाय किसी भी भूमि के लिए 90ए की कार्रवाई मास्टर प्लान के अनुसार ही कर सकेगी। किसी भी शहरी क्षेत्र में कृषि भूमि पर बिना 90ए के भूखंड नहीं बेचे जा सकते हैं। इसकी जिम्मेदारी सम्बंधित नगरपरिषद या नगरपालिकाओं की रहेगी।

कोई भी खातेदार कृषि भूमि पर प्लॉटिंग करता है तो इसके लिए उसे उस भूमि में सड़क, सीवरेज, बिजली व पानी समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का नियम है। ऐसा नहीं होने तक उस कृषि भूमि का 12.5 प्रतिशत हिस्सा नगर निकायों के अधीन रहता है। कृषि भूमि में सारी सुविधाएं मुहैया कराने के बाद इंजिनियर इसका सर्टिफिकेट जारी करता है और उसके बाद निकाय इस 12.5 प्रतिशत हिस्से को रिलीज करती है।

नगरपरिषद या पालिका के नजदीकी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर भूखंड से आवासीय या कॉमर्शिलय में लेंड यूज चेंज कराने को लेकर राज्य सरकार की ओर से नए आदेश जारी किए गए हैं। लेंड यूज चेंज कराने के बाद अगर पांच साल तक इस जमीन का उपयोग उसी उद्देश्य से नहीं किया जाता है तो भूखंड मालिकों को दुबारा लेंड यूज चेंज कराना पड़ेगा। यानी उसकी ओर से लेंड यूज चेंज को लेकर पूर्व में अदा किया गया शुल्क फिर से भरना पड़ेगा। अन्यथा उस जमीन की किस्म यथावत हो जाएगी l

अधिकांश दुकानों का निर्माण बिना एनओसी के ही हाईवे की परिधि में हुआ है। वर्ष 2010 में निर्माण के समय एनएच परिधि से आबादी भूमि को व्यवसायिक में परिवर्तित करने पर 132 फीट दूर मार्केट निर्माण के लिए एनओसी मिलती थी, लेकिन डवलपर ने पुरानी दुकानों की मरम्मत की एनओसी लेकर हाईवे से मात्र 75 फीट की दूरी पर ही बहुमंजिला निर्माण करवा दिया। वहीं शहर में कई जगह कॉम्पलेक्स निर्माण से पहले नक्शे में पार्किंग व सैट बैक की जगह तो छोड़ी गई, लेकिन निर्माण पूरा होने के बाद यहां ऐसी कोई सुविधा तक नहीं है।

कालोनी निवासियों ने बताया कि विगत अनेक वर्षो से बसी हुई उक्त कोलोनियों को नगर परिषद द्वारा रोड़ लाइट्स, नालियों और सडको,का निर्माण किया गया है और सैकड़ों परिवारों की पट्टे लेने की पत्रावलिया नगर परिषद में जमा है और न हीं यहां बसे लोगों के मकानों का नियमन हो पाया है l इन परिस्थतियों में राज्य सरकार द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं के रुप में जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि उपरोक्त सभी कोलोनियों में बसे हुए लोगों का राजस्व कर्मचारियों यथा भू-अभिलेख निरक्षक, पटवारी, तहसीलदार द्वारा सम्पूर्ण सर्वे करवाया जावें तथा मौहलेवासियों के आवासों को नियमन योग्य घाषित किया जावें ताकि सम्बन्धित परिवारों द्वारा नगर परिषद से पटटे प्राप्त कर सकेंगे।

– राजस्थान से राजूचारण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *