बरेली। थिएटर अड्डा में रंगलय एकेडेमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर द्वारा आयोजित तृतीय पंद्रह दिवसीय थिएटर फेस्टिवल का आठवां दिन सामाजिक सरोकारों से जुड़ी प्रस्तुति के नाम रहा। इस अवसर पर माधव रंगमंडल, बरेली ने खुशलोक सभागार में चर्चित नाटक ‘अज़ातघर’ का मंचन किया।
नाटक की शुरुआत एक ऐसे घर से होती है, जिसमें रहने वाले लोग एक-दूसरे की जाति और धर्म से अनभिज्ञ हैं। यह घर समाज की उस कल्पना को सामने लाता है, जहाँ इंसान-इंसान के रिश्ते जाति और धर्म की दीवारों से ऊपर उठकर स्थापित होते हैं। लेखक ने बहुत ही सूझ-बूझ और चतुराई के साथ वर्तमान समाज की जटिलताओं, विशेषकर जातिगत भेदभाव की चुनौती, को इस “अज़ातघर” रूपी प्रतीक से जोड़ा है। नाटक कई गहरे सवाल दर्शकों के समक्ष रखता है कि आखिर क्यों इंसान होने से बड़ी पहचान जाति और धर्म को मान ली जाती है, और यदि हम इन विभाजनों से ऊपर उठें तो एक सुखद, समानता पर आधारित समाज का निर्माण संभव है।
रामेश्वर प्रेम द्वारा लिखित एवं शालिनी गुप्ता द्वारा निर्देशित इस नाटक ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया। मंच पर शौर्य सक्सेना, अजय सुमन, राहुल और कमल शर्मा ने उम्दा अभिनय करते हुए पात्रों को जीवंत कर दिया। उनकी संवेदनशील प्रस्तुति ने दर्शकों में गहरी सोच और आत्ममंथन की स्थिति उत्पन्न की।
कार्यक्रम की शुरुआत परंपरानुसार दीप प्रज्वलन से हुई। इस मौके पर डॉ. दीपक गंगवार और डॉ. विनोद पागरानी ने दीप प्रज्ज्वलित कर फेस्टिवल के इस दिन का उद्घाटन किया। सभागार में उपस्थित दर्शकों ने नाटक की संकल्पना को सराहा और जोरदार तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
फेस्टिवल के अंतर्गत विविध रंगशैलियों और विषयवस्तु वाले नाटकों का मंचन लगातार दर्शकों को नए दृष्टिकोण और विचार दे रहा है। आयोजकों के अनुसार अगले दिन शाहजहांपुर का यूथ थिएटर दल अपनी प्रस्तुति ‘कहानी’ लेकर मंच पर उतरेगा, जिसका दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।