थाने में आई एक नन्ही परी

झांसी- अकसर आपने पुलिस चौकियों और थानों को अपराधियों से भरे देखा होगा। लेकिन आज हम आपका परिचय एक ऐसे थाने से करा रहे हैं जहां एक नन्ही परी रहती है। यह परी थाने में कभी रोती है, तो कभी सोती है। कभी उसकी मासूम सी खिलखिलाहट से तनाव में जिंदगी जी रहे पुलिसकर्मियों के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ जाती है।
यह नन्ही परी है अनिका जो झांसी कोतवाली में तैनात महिला सिपाही अर्चना की बेटी अनिका जो अभी सिर्फ 6 महीने की है। घर पर कोई देखभाल करने वाला न होने के कारण अर्चना अपनी बेटी को लेकर ही काम पर आती हैं। अर्चना झाँसी में एक किराए के मकान में रहती हैं। उनकी 10 साल की बड़ी बेटी अपने दादा-दादी के पास कानपुर में रहकर पढ़ाई कर रही है। अर्चना ने दूसरा बच्चा होने पर मातृत्व अवकाश लिया और अवकाश खत्म होने के बाद अपनी नन्ही बेटी को लेकर नौकरी जॉइन कर ली।
आगंतुक रजिस्टर पर ड्यूटी के दौरान अर्चना अपनी बेटी को हर समय अपने साथ रखती हैं। थाने में बेटी के साथ अर्चना को काम करते देख हर आने-जाने वाला उसकी कर्तव्यनिष्ठा की तारीफ करता है। थाने का स्टाफ भी अर्चना की देखभाल में मदद करता है। डीआईजी सुभाष सिंह बघेल को जब अर्चना के बारे में पता चला तो उन्होंने अर्चना को हज़ार रुपए का नगद पुरस्कार देने की घोषणा कर दी।
अर्चना का कहना है कि वह आगरा स्थानांतरण का प्रार्थना पत्र दे चुकी है। दरअसल आगरा में उसके परिवार के लोग रहते हैं। यदि अर्चना का स्थानांतरण आगरा हो जाता है तो वह अपने परिजनों के पास अनिका को छोड़ चिंतामुक्त नौकरी कर सकती है।

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