टीबी के इलाज में सावधानी जरूरी, दवा छोड़ने से बीच में  लौट सकता है टीबी : सीएस

  • सरकारी अस्पताल में टीबी की होता है मुफ्त इलाज,   मिलता है निक्षय योजना का लाभ भी 
  • 2 हफ्ते से ज्यादा रहे  खाँसी और, बुखार तो टीबी की जाँच जरूरी

मोतिहारी/बिहार- टीबी की बीमारी लाइलाज नहीं है.  जिले के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में टीबी के मरीजों का  इलाज किया जाता है, यह कहना है जिले के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार का। उन्होंने बताया कि टीबी की बीमारी का अगर समय पर पहचान हो जाए तो लोग टीबी से आसानी से जंग जीत सकते हैं। सीएस ने बताया कि टीबी के इलाज में सावधानी जरूरी है, अक्सर लोग ये गलतियां कर बैठते हैं कि आराम होने पर पूरा कोर्स किए बिना ही दवा बीच में छोड़ देते हैं। ऐसे दवा छोड़ने से बीच में  ही टीबी लौट सकता है । वहीँ मरीज को एमडीआर टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।

टीबी के मरीज बरतें सावधानी:

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि टीबी से बचाव को सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने बताया कि टीबी के मरीज, जो माता पिता या अभिभावक हैं, वे अपने बच्चों से दूरी बनाएं, क्योंकि टीबी संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है। उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति कही खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रमण बाहर निकलता है। जो हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। बच्चों में इस बीमारी के लक्षण पीड़ित माता-पिता या अन्य मरीजों के संपर्क में जाने से मिल रहे हैं।

दवा देने के साथ सीख भी देते हैं नागेश्वर सिंह:

जिला यक्ष्मा केंद्र में कार्यरत यक्ष्मा पर्यवेक्षक डॉ नागेश्वर सिंह ने     कहा कि दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमी और वजन कम होना आदि लक्षण दिखे तो तुरंत उसकी टीबी की जांच कराएं। टीबी रोग की समस्त जांच और दवाइयां सरकार की तरफ से अस्पताल में मुफ्त हैं।

निक्षय योजना का मिलता है लाभ:

निक्षय पोषण योजना के तहत सरकार द्वारा टीबी से ग्रसित लोगों  के लिए प्रतिमाह 500 रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है ताकि टीबी मरीज पौष्टिक आहार का सेवन करें।

– बिहार से नसीम रब्बानी

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