आज़मगढ़- भले ही प्रदेश सरकार सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने और सब कुछ पटरी पर आने का दावा कर रही है लेकिन सरकारी अस्पताल ही मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। आजमगढ़ का जिला महिला अस्पताल जो आये दिन एक से एक खतरनाक घटनाओं का गवाह बनता है। पिछले तीनों से यहाँ लापरवाही का सारा रिकॉर्ड टूट गया। आज रात्रि को एक घंटे के अंतराल में दो महिलाओं की मौत हो गयी। एक को डिलीवरी होने वाली थी जबकि दूसरी को बच्ची पैदा होने के बाद जान गंवानी पड़ी। दो दो लाशों को लेकर परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया। नर्सिंग स्टाफ भाग खड़ा हुआ जबकि डॉक्टर कोई भी लापरवाही न होने की दलील देते रहे। लेकिन जिसकी जान चली गयी उसके लिए कोई जवाबदेह नहीं है। एक दिन पूर्व ही अस्पताल में सभी महिला डॉक्टर अवकाश पर थीं और एक 6 वर्षीया रेप पीड़िता मासूम को 8 घंटे तक मेडिकल के लिए इंतज़ार भी करना पड़ा। प्रशासन व पुलिस के हस्तक्षेप के बाद दूसरे मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर को बुलाया गया था। मंगलवार की शाम को करीब 8 बजे शीला 32 पत्नी प्रभात विश्वकर्मा निवासिनी मुहल्ला ऐलवल शहर कोतवाली डिलीवरी को आयी थी। परिजनों के अनुसार शीला चलती फिरती आयी थी लेकिन महिला अस्पताल में आने के कुछ देर बाद घबड़ाहट होने लगी। डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया कुछ ही देर बाद उसने मुंह से गाज फ़ेंक दिया। शरीर ठण्डा पड़ गया। मौत होने के बाद डॉक्टर रेफेर की कोशिश में लग गए। जब परिज़नों ने हंगामा शुरू किया तो सब भाग खड़े हुए। हालांकि बाद में पुलिस के हस्तक्षेप पर डॉक्टर आये। डॉक्टर के अनुसार कार्डियेक की दिक्कत थी। रेफर किया गया था लेकिन एम्बुलेंस नहीं आने से मौत हो गयी। दूसरी घटना में माधुरी 25 पत्नी भीरू कुमार निवासिनी दुरहनखुर्द थाना कंधरापुर को सुबह ही बच्ची हुई थी। शाम 6 बजे के बाद हालत बिगड़नी शुरू हुई लेकिन डॉक्टर तो क्या नर्स भी सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं थीं। बोलती थीं तो भी कहती थीं कि कुछ नहीं हुआ है। ड्रिप लगा दिया गया था। कुछ दवा दी गयी लेकिन हालत ऐसी बिगड़ी कि प्राण पखेरू उड़ गए। परिजन जब भरोसा देने वाली नर्सों को खोजने लगीं तो सब गायब हो गए। सीएमएस भी मामले में पल्ला झाड़ने में लग गयी ।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़