पत्रकारिता पर लगातार हो रहे हमलों से आहत जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया की एक आवश्यक बैठक संपन्न हुई।
बैठक में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि अब देश में लगातार पत्रकारों की आवाज को दवाया जा रहा है।कहीं पुलिस के सहयोग से तो कहीं पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे लिखकर।अभी ताजा मामला महाराष्ट्र का है जहाँ महाराष्ट्र सरकार ने रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के 2 पत्रकारों व कैब ड्राइवर को जो हिरासत में ले रखा है उन्हें जेल भेजा जा रहा है जिन्हें महाराष्ट्र सरकार तत्काल रिहा करें। महाराष्ट्र सरकार का यह कदम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है व वहां की राज्य सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी की जुबान बंद करने पर तुली है।
संगठन के राष्ट्रीय सचिव दानिश जमाल ने कहा कि उत्तराखंड में पत्रकार ने सरकार के खिलाफ खबर लिखने मात्र से ही पत्रकार पर मुकदमा लिखना आज चिंता का विषय बन गया है उत्तराखंड के पत्रकार आकाश नागर के खिलाफ सासंद अजय भट्ट द्वारा मुकदमा लिखाये जानें से उत्तराखंड के पत्रकारों में रोष फैल गया है।
यदि ऐसे ही पत्रकारों पर मुकदमे लिखते रहें और पत्रकारिता का गला घोंटा जाता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब सच्चाई लिखने से पत्रकार बचते नजर आयेंगे ।बैसे तो पत्रकारिता को चौथे स्तम्भ का दर्जा दिया गया है पर यह चौथा स्तम्भ लगातार कमजोर होता जा रहा है।संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि अब समय आ गया है देश के पत्रकार एकजुट हो और पत्रकार सुरक्षा कानून लाने की मांग एक स्वर में करें । जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने अभी हाल ही में एक पत्र प्रधानमंत्री जी को लिखा है जिसमें संगठन ने जल्द ही पत्रकार सुरक्षा कानून लाने की मांग है।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने किया पत्रकारों को एकजुट होने का आव्हान
