बरेली- करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन बेचने के मामले में विजिलेंस की सीओ ने शंकर सहकारी समिति के सचिव व एक अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी लिखाई है। उन्होंने पुलिस को बताया कि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सांठ-गांठ कर करोड़ों की जमीन को हड़पा गया।
विजिलेंस की सीओ सीमा जादौन ने प्रेमनगर थाने में प्राथमिकी लिखाई। उनकी जांच रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि वर्ष 1987 में बीना राठौर ने शिवनगर कालोनी में 36 नंबर प्लाट खरीदा था। वर्ष 2011 में जब कालोनी के नियमितीकरण की प्रक्रिया हुई, तो बीडीए के तत्कालीन जेई सुखपाल और शंकर समिति के सचिव विपिन कुमार ने फर्जी नक्शा पेश कर पार्क की जमीन का क्षेत्रफल कम दिखा दिया जिसके बाद पार्क की जमीन को दो हिस्सों में बांटकर बेच दिया गया।
दोनों प्लाटों की रजिस्ट्री भी बीना के बेटे सचिन कुमार के नाम की गई। जांच में स्पष्ट हुआ कि यह पूरी साजिश तत्कालीन सचिव विपिन कुमार व सचिन कुमार की मिलीभगत से रची गई। इसकी वजह से शंकर सहकारी समिति को कुल 38.63 लाख का नुकसान हुआ है। मामले में पुलिस ने दोनों के विरुद्ध प्राथमिकी लिख ली है।
इस प्राथमिकी के विरूद्ध शंकर सहकारी आवास समिति लि0 के उपसचिव अब्दुल लतीफ ने कई सवाल खड़े करते हुए प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।अब्दुल लतीफ ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र मे कहा है शंकर सहकारी आवास समिति लि० बरेली द्वारा ग्राम उदयपुर खास मे आई०वी०आर०आई० रोड पर खसरा नं0-99ए, ‘की भूमि भूधारक से बैनामा द्वारा खरीदी गयी थी। जिसका कुल क्षेत्रफल 10950.00 वर्ग मी० था, यह भूमि भूमिधर थी न की सरकारी।उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2008 में अवैध कॉलोनी को नियमितकरण का आदेश पारित हुआ जिसमें नियमितिकरण की गाइड लाईन देते हुए कहा गया था जिन कॉलोनियों में 5% पार्क की भूमि उपलब्ध है उनका नियमितकरण सर्वे करने के उपरान्त, जैसी है वैसी ही करें। उसी क्रम में बरेली की 05 कॉलोनी का नियमितिकरण किया गया जिसमें शंकर सहकारी आवास समिति लि० बरेली की कॉलोनी शिवनगर, आई०वी०आर०आई० रोड़ का भी नियमितिकरण किया गया।
शासनादेश के क्रम मे बी०डी०ए० अधिकारियो द्वारा सर्वे कराने के उपरान्त शिवनगर कॉलोनी को नियमितिकरण करने की कार्यवाही की गई और शासनादेश के अनुरूप बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियो मण्डल आयुक्त, उपाध्यक्ष, सचिव व जेई के साथ
अन्य अधिकारियो द्वारा शिवनगर कॉलोनी के नियमितिकरण को अनुमोदित किया गया। बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा नक्शा बनाया गया जिसमे 588.88 वर्ग मी० का पार्क दर्शाया गया है जो कि वर्तमान मे उपलब्ध है और किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं है, इसी नक्शें के आधार पर कॉलोनी के अन्य लोगो के मकान के नक्शें पास किये गये यदि यह नक्शा गलत है तो जो नक्शें पास किये गये वह भी गलत पास किये गये है। यदि मकानो के नक्शें सही पास किये गये है तो बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा पारित पार्क का क्षेत्रफल 588.88 वर्ग मी० ही है।
अब्दुल लतीफ ने भेजे पत्र में कहा है कि शिवनगर कॉलोनी अभी तक किसी भी सरकारी संस्था या सरकारी विभाग नगर निगम आदि को हैंडओवर नहीं है। यह सम्पूर्ण भूमि शंकर सहकारी आवास समिति लि० की निजी भूमि है। बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा मन्दिर/पार्क की दीवार गिराने का वाद सिविल जज के यहाँ विचाराधीन है जिसकी वाद सं0-795/2023 है। जिसमे सरकार / बरेली विकास प्राधिकरण अपना जवाब नहीं दे रहे है। भूमि विवाद का सिविल सूट मा० न्यायालय में विचाराधीन होने के दौरान एफ०आई०आर० करना मा० उच्च न्यायालय के अनुसार गलत है।इसी के साथ पुलिस अधीक्षक नगर द्वारा खुली जॉच की जा चुकी है। सहकारी समितियों उ०प्र० सहकारी समिति अधिनियम 1965 (उ०प्र० अधिनियम सं0-11,1996) के अन्तर्गत आती है और समिति नो लॉस नो प्राफिट पर भूखण्ड विक्रय करती है और समिति का लेखा परीक्षण हो चुका है उसमे किसी भी प्रकार के गबन का उल्लेख नहीं है।
विजीलेन्स अधिकारी द्वारा निजी स्वार्थ मे बिना सहकारी अधिनियमों को जाने एफ०आई०आर० की है जबकि विपिन कुमार व बरेली विकास प्राधिकरण की सांठ-गांठ को दिखाया गया है। यदि सांठ-गांठ हुई है तो एक ही पक्ष को दोषी क्यों माना गया व बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियो कर्मचारियों को दोषमुक्त क्यों किया गया।
अब्दुल लतीफ ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र मे कहा है कि प्लाट सं0-36ए व 36बी को 10% धनराशि समिति मे जमा कर क्रेता द्वारा फ्रीहोल्ड कराया जा चुका है और उ०प्र० सहकारी समिति अधिनियम 1965 के अन्तर्गत यदि कोई कार्य नियम विरूद्ध तरह से होता है तो समिति सदस्य ही मध्यस्त वाद योजित कर अनुतोष प्राप्त कर सकता है कोई बाहरी व्यक्ति किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
ऐसे मे विजिलेंस अधिकारी द्वारा कराई एफआईआर पर प्रश्न चिह्न लग रहे है। सर्वप्रथम विजिलेंस अधिकारी यह बताये कि उक्त जमीन सरकारी कैसे है साथ ही बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों कर्मचारियों को इस एफआईआर मे दोषमुक्त क्यों कर दिया गया।