बरेली। कोरोना संक्रमण के चलते 300 बेड अस्पताल को एल-2 कोविड अस्पताल में परिवर्तित किया गया है। हर दिन बड़ी संख्या में सैंपलिंग व उपचार के लिए मरीज पहुंच रहे हैं। अस्पताल में स्टाफ, डाक्टर और संसाधनों की कमी के बाद भी मरीजों को बेहतर उपचार की कशमकश हो रही है। स्टाफ और चिकित्सकों की कमी के पश्चात भी मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के बीच 45 संविदा कर्मियों की सेवा समाप्ति के बाद राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य सेवा मे तैनात पैरामेडिकल नर्सिंग स्टाफ की तैनाती कर स्टाफ की कमी को पूरा कर कोविड मरीजो का इलाज सुनिश्चित करवाया जा रहा है। कोरोना की पहली लहर के बीच 300 बेड अस्पताल के लिए संविदा चिकित्सक व अन्य स्टाफ को तैनात किया गया था। हाल मे संविदा कर्मियों की सेवा समाप्त होने के बाद भी अभी तक शासन स्तर से स्टाफ की कमी को पूरा करने की कोशिश नही की गई है जबकि सीएमओ कार्यालय से शासन को कई बार स्टाफ के रिक्त पदों की भर्ती के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है। कम स्टाफ के बीच भी दूसरी लहर केआखरी पड़ाव के बाद तीसरी लहर से भी निपटने का तैयार है। 300 बेड कोविड अस्पताल मे चिकित्सकों की कमी के चलते 18 मे से चंद वेंटिलेटर शुरू कराए जा सके हैं। बाकी वेंटिलेटर धूल फांक रहे है। एक वेंटिलेटर की कीमत आठ लाख रुपये बताई गई है। करोड़ों के वेंटिलेटर इलाज की सुविधा के लिए स्टाफ की कमी के चलते इस्तेमाल नहीं किए जा रहे है। संविदा कर्मियों की सेवा समाप्ति के बाद पैरामेडिकल नर्सिंग स्टाफ को तैनात किया गया है। उनको निरंतर वेतन भी उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है। इसके बाद भी कोविड मरीजों केजीवन की डोर बचाने के लिए हाई रिस्क ड्यूटी कर खुद केजीवन की परवाह न करके दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए तैयार रहते है। कोविड अस्पताल में सैंपलिंग कराने के लिए सुबह दस से देर शाम तक लम्बी लम्बी कतारें लगी रहती है। हर दिन चार से पांच सौ लोग सैपलिंग कराने के लिए आते है्। सैपलिंग स्टाफ को भोजन करने का भी समय नहींं रहता है। जिस कारण नाश्ता करके ही पूरे दिन समय गुजार रहे है जबकि कतार में खड़े होने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों की सैंपलिंग कराने की व्यवस्था की गई है।।
बरेली से कपिल यादव