चमकी से बचने के तीन मूल मंत्र खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ: डॉ सुनील केसरी

  • जिला स्वास्थ्य समिति एवं सीफार के सहयोग से चमकी पर कार्यशाला का हुआ आयोजन
  • जागरूकता के लिए 1638 दीवारों पर हो चुका है लेखन
  • जिले के 53 एंबुलेंस ईएमटी को मिलेगा प्रशिक्षण

वैशाली/बिहार- चमकी से बचने के मुख्य तीन सूत्र हैं, सोने से पहले बच्चे को खाना खिलाओ, सुबह स्वयं उठने पर बच्चे को जगाओ और चमकी के लक्षण दिखते ही अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाओ। इनके पालन से चमकी पर नियंत्रण किया जा सकता है। ये बातें जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सुनील केसरी ने सोमवार को भीबीडीसी कार्यालय में जिला स्वास्थ्य समिति और सीफार के सहयोग से आयोजित मीडिया कार्यशाला में मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि चमकी के नियंत्रणार्थ जिला पूरी तरह तैयार है। पीएचसी, सदर और रेफरल स्तर पर उपचार की व्यवस्था की गयी है। पीएचसी में जहां दो बेड के स्पेशल एईएस वार्ड, सदर में दस बेड के पीकू वार्ड तथा रेफरल के लिए एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में व्यवस्था की गयी है। प्रचार प्रसार के लिए आशा, आंगनबाड़ी तथा जीविका दीदीयों की भी मदद ली जा रही है। जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एवं सदर अस्पताल में एईएस/ जेई से संबंधित गैप असेस्मेंट किया गया है। आवश्यक दवा एवं उपकरणों की हमेशा पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु सिविल सर्जन के द्वारा सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को निर्देशित भी किया गया है। प्रचार प्रसार के लिए आरबीएसके के 20 वाहनों द्वारा ग्रामीण इलाकों में ऑडियो माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है वहीं 1638 सरकारी दीवारों पर जागरूकता हेतु लेखन का कार्य भी किया गया है। जिला एवं प्रखंड स्तर पर कंट्रोल रूम की भी व्यवस्था की गयी है।

75 स्वास्थ्यकर्मियों को मिला है प्रशिक्षण:

डॉ केसरी ने बताया कि जिले में अभी तक 19 चिकित्सा पदाधिकारियों को एईएस/जेई से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया है। ये प्रशिक्षित चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा अपने अपने स्वास्थ्य संस्थानों के अन्य चिकित्सा पदाधिकारियों एवं चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। वहीं इसके अलावे 75 स्वास्थ्य कर्मियों को भी प्रशिक्षण दिया गया है। ये प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी अपने – अपने स्वास्थ्य केंद्रों पर आशा कर्मी जीविका, शिक्षक एवं पंचायती राज के कर्मियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर से भी आशा एवं एएनएम को एईएस एवं जेई संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

एक अपील आम जनता से:

डॉ केसरी ने आम लोगों से अपील की है कि वे चमकी के लक्षण दिखते ही सरकारी अस्पताल में ही लाएं। झोला छाप या अन्य किसी प्राइवेट अस्पताल में इस रोग का उपचार संभव नहीं है। वहीं ग्रामीण चिकित्सकों से भी डॉ केसरी ने अपील की है कि वे चमकी के लक्षण दिखते ही उन्हें सरकारी अस्पताल में रेफर करें।

हर पंचायत से एक वाहन किया जा रहा टैग:

डॉ केसरी ने बताया कि हर पंचायत से एक प्राइवेट वाहन को टैग किया जा रहा है, ताकि चमकी से ग्रसित बच्चे को तुरंत अस्पताल लाया जा सके। वहीं इसके अलावा जिले की 53 एंबुलेंस भी चमकी के मरीजों को अस्पताल पहुंचाएगी। कुछ दिनों के बाद इनके इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। इन सबके अलावा अगर कोई व्यक्ति निजी वाहन से किसी भी सरकारी अस्पताल पहुंचता है तो उसे किलोमीटर की दर से तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पर ही भुगतान कर दिया जाएगा। मौके पर जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सुनील केसरी, सीडीओ सीताराम सिंह, गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ एस के साहू, राजीव कुमार भीबीडीसीओ, कुमार धीरेन्द्र भीबीडीसी सहित अन्य लोग एवम मीडियाकर्मी मौजूद थे।

– बिहार से नसीम रब्बानी

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