बरेली। लॉक डाउन में विदेशों में फंसे लोगों को निकालने के लिए सरकार हवाई जहाज चला रही है। वही दूसरी ओर देश में हजारों लोग तपती दोपहरी में घर का सामान बांधकर पीठ पर लादे पैदल ही घर की ओर चले जा रहे हैं। पैदल जाने वालों का रेला गुरुवार को शहर में जगह-जगह दिखाई दिया रोजगार न मिलने से परेशान मजदूर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा के लिए पैदल ही घर के लिए निकल पड़े हैं तेज धूप से बेहाल हुए लोग रास्ते में जगह-जगह रुक रुक कर दो-दो मिनट आराम कर चल रहे हैं। मगर घर जाने की चाह में तपती दोपहरी में घर की ओर चले जा रहे है।
कासगंज से पैदल चल दिए असम
असम के नगांव जिले के रहने वाले लोग कासगंज की फैक्ट्रियों में मजूदरी करते थे। लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद हुई तो यह लोग यहीं फंस कर रह गए। दो माह तक मजदूरी से एकत्रित की हुई जमा पूंजी से खर्चा चला लिया लेकिन अब जमा पूंजी भी खत्म हो गई मजबूरन मजदूर कासगंज से 17 किलोमीटर दूर अपने गांव के लिए पैदल ही निकल पड़े। गुरूवार की दोपहर में यह लोग तेज धूप और भूख से बेहाल होकर सेटेलाइट बस स्टेशन पर ही बैठ गए। इस दौरान जब इन लोगों की समस्या को तहसीलदार सदर आशुतोष गुप्ता को अवगत कराया तो इन लोगों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में भिजवाया गया जहां से इन्हें घर बसों से भेज दिया गया है।
दिल्ली से लाई बस बरेली में छोड़कर भागी
पूर्वांचल के अलग अलग जिलों के रहने वाले मजदूर पिछले कई दिनों से दिल्ली में क्वॉरेंटाइन थे। गुरूवार को इन सभी लोगों को बस के माध्यम से घर की ओर रवाना किया गया। सेटेलाइट स्टेशन पर बैठे मजदूरों ने बताया कि दिल्ली सरकार की ओर से मुहैया कराई गई बस यहां उतार कर वापस लौट गई। अब आगे कैसे जाएंगे इसकी चिंता सता रही है। सेटेलाइट स्टैंड पर बस का इंतजार करने वालों में सुल्तानपुर, बलिया आदि जिलों के करीब 20 यात्री थे।।
बरेली से कपिल यादव