पटना – मनरेगा योजना का आधा काम अब पंचायत समिति करायेगी. अब तक मनरेगा का पूरा काम ग्राम पंचायतों के हवाले थी. पंचायती राज विभाग ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. इसी सप्ताह इसकी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. मुखिया द्वारा कराये जा रहे मनरेगा कार्यों में से 50 फीसदी कार्यों का क्रियान्वयन अब प्रमुख की अध्यक्षता में गठित पंचायत समिति के सदस्यों द्वारा कराया जायेगा. हर पंचायत से एक पंचायत समिति सदस्य का निर्वाचित होता है. त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत समिति दूसरे पायदान पर है. पंचायत मेें मुखिया के कार्यों के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी वार्ड विकास कमेटी को सौंपने के बाद राज्य सरकार दूसरे निर्णय के तहत मनरेगा कार्यों में भी आधी कटौती करने जा रही है. 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत समिति और जिला परिषद के पास विकास का कोई काम ही नहीं रह गया है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अब पंचायत समिति के सदस्यों की जिम्मेवारी बढ़ाते हुए उनको मनरेगा योजना के तहत होनेवाले आधे कार्यों को सौंपा जा रहा है. स्थानीय स्तर से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए मनरेगा योजना के तहत विभिन्न योजनाओं का चयन किया जाता है. इन योजनाओं पर जॉब कार्डधारी मजदूरों के परिवारों को सलाना 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि मनरेगा में ऐसा प्रावधान है कि राज्य सरकार इसके क्रियान्वयन में पंचायत समिति की भूमिका बढ़ा रही है. उन्होंने बताया कि पंचायत समिति के सदस्यों द्वारा मनरेगा कार्यों को संपन्न कराने के लिए विभाग में प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. इस सप्ताह इसकी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. मालूम हो कि मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण संपर्कता, जल संचयन, परंपरागत जलस्रोतों का जीर्णोद्धार, बाढ़ नियंत्रण, सूखा रोधी कार्य, नहरों का निर्माण, भूमि का विकास, मत्स्य पालन और शौचालयों का निर्माण की योजनाओं को पूरा कराया जाता है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 14 करोड़ का का बजट निर्धारित किया गया है. राज्य में दो करोड़ 25 लाख 28 हजार मनरेगा मजदूर हैं. एक करोड़ 54 लाख 33 हजार परिवारों का जॉबकार्ड तैयार किया गया है. राज्य में सक्रिय जॉब कार्डधारी मजदूरों की संख्या 38 लाख आठ हजार है।
-नसीम रब्बानी, पटना/ बिहार