बरेली। सर्किट हाउस सभागार में शुक्रवार को प्रदेश के गो-सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता की अध्यक्षता में मंडलीय अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं समीक्षा समिति की बैठक हुई। जिसमें निराश्रित गोवंश संरक्षण, गोशालाओं की स्थिति, गोचर भूमि पर अवैध कब्जा, हरे चारे की बुआई और गो-आधारित प्राकृतिक खेती जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। गो-सेवा आयोग के अध्यक्ष ने पशुपालन विभाग की अपर निदेशक डॉ. संगीता तिवारी से मंडल की चारों जनपदों में संचालित 621 गोशालाओं में संरक्षित 60347 गोवंश और निर्माणाधीन गो-संरक्षण केंद्रों की जानकारी ली और लू से बचाव के लिए शुद्ध पेयजल, तिरपाल, चिकित्सा व्यवस्था समुचित रूप से उपलब्ध रहने के निर्देश दिए। कहा कि झांसी की कान्हा गोशाला आकर्षण का केंद्र है। गो-आधारित उत्पादों के संवर्धन के लिए स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी पर जोर दिया। अध्यक्ष से गोशालाओं की बाउंड्रीवाल के लिए बजट दिलाने की अपील की गई। अध्यक्ष ने सहभागिता योजना में सुपुर्द गोवंश की सूची प्रदर्शित करने, कितना भूसा दान आया इसका रिकार्ड रखने और पशुओं को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए रेडियम बेल्ट पहनाने के निर्देश दिए। उन्होंने भूषा दान अभियान चलाने और सहयोगियों को सम्मानित करने की भी घोषणा की। आयोग के उपाध्यक्ष महेश शुक्ला, सदस्य रमाकांत उपाध्याय, राजेश सेंगर, दीपक गोयल, कैंट विधायक संजीव अग्रवाल, डीएम अविनाश सिंह, सीडीओ जगप्रवेश आदि मौजूद रहे। वही गो-सेवा आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि फतेहगंज में गोशालाओं का निरीक्षण व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के उद्देश्य से किया गया। उन्होंने स्वयंसेवी संस्थाओं को गोशालाएं सौंपने की बात कही। बोले- गाय का स्थान गोशाला नहीं, किसान का आंगन है। गाय बहुत उपयोगी है, मृत मृदा खेती को स्वस्थ मृदा बनाने के लिए गायों के गोबर और गोमूत्र उपयोगी है। आंवला के ग्राम खनगवां श्याम में गोशाला संचालिका को गोबर से उत्कृष्ट उत्पाद बनाए जाने पर सम्मानित किया।।
बरेली से कपिल यादव