गांधी जयंती पर हुआ कलेक्टेट परिसर पर कार्यक्रम

आजमगढ़ – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर कलेक्ट्रेट में 150 वी गांधी जयन्ती समारोह का आयोजन सम्मानपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी शिवाकान्त द्विवेदी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया तथा जिलाधिकारी शिवकान्त द्विवेदी, मुख्य राजस्व अधिकारी अलोक कुमार वर्मा, अपर जिलाधिकारी प्रशासन नरेन्द्र सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व गुरू प्रसाद द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र का अनावरण व माल्यार्पण किय गया। इस पर अवसर पर जीजीआईसी के छात्राओं द्वारा “रघुपति राघव राजराम“ भजन की प्रस्तुति की गयी। इस अवसर पर जिलधिकारी शिवकान्त द्विवेदी ने कहा कि महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने जिंदगी भर भारत को आजादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहुत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे। भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आजादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था। महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आजादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये। उन्होने कहा कि गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।
महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी। इस अवसर पर मुख्य राजस्व अधिकारी अलोक कुमार वर्मा, अपर जिलाधिकारी प्रशासन नरेन्द्र सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व गुरू प्रसाद तथा कलेक्ट्रेट परिवार के कर्मचारीगण द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर कलेक्ट्रेट परिवार के कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़

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