गांधी जयंती पर मंडलायुक्त ने किया झंडारोहण

आजमगढ़ – मण्डलायुक्त जगत राज ने गांधी जयन्ती के अवसर पर मंगलवार को अपने कार्यालय भवन पर झण्डारोहण किया तथा तिरंगे का अभिवादन एवं राष्ट्र-गान के उपरान्त कार्यालय सभागार में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर दोनों महानुभावों को श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मण्डलायुक्त जगत राज ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक व्यक्तित्व थे। वह अपने सिद्धान्तों, उसूलों को पहले स्वयं आत्मसात करते तब लोगों को अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने कहा कि आज हमें गांधी जी के साथ ही देश के पूर्व प्रधानमन्त्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री की भी जयन्ती मनाने का सुअवसर प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इन दोनों महापुरुषों की जयन्ती मनाने का मकसद औपचारिक नहीं होना चाहिए बल्कि इसका उद्देश्य देश, समाज के लिए इन लोगों ने जो कुछ किया है उसका अनुकरण कर उनके सिद्धान्तों, विचारों और उसूलों को अपने जीवन में उतारना होना चाहिए। मण्डलायुक्त ने कहा कि गांधी जी जीवन हमें यह भी इच्छा शक्ति यदि दृढ़ हो तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है, चाहे शुरूआत में भले ही असफलता मिले। इस सम्बन्ध में उन्होंने गांधी की इंग्लैण्ड में पढ़ाई और वकालत की मिसाल देते हुए कहा कि वहाॅं उन्हें वकालत में अपेक्षित सफलता नहीं मिली परन्तु यह गांधी जी की दृृढ़ इच्छा शक्ति का ही परिणाम था कि दक्षिण अफ्रीका में उन्हें वकालत में जो सफलता मिली वह अपने आप में एक मिसाल है। मण्डलायुक्त जगत राज ने कहा कि अहिंसा गांधी जी का उसूल और सिद्धान्त था और उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने इस सिद्धान्त से कभी भी समझौता नहीं किया। मण्डलायुक्त ने कहा कि प्रायः गांधी जी के बारे में कई आन्दोलनों को बीच में छोड़ दिये जाने के बारे में सवाल किया जाता है। इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि जब भी कोई आन्दोलन हिंसक होने लगता था तो महात्मा गांधी उस आन्दोलन को छोड़ देते थे, क्योंकि अहिंसा उनका सिद्धान्त था। उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमन्त्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री की जीवन शैली का उल्लेख करते हुए कहा कि शास्त्री सादा जीवन उच्च विचार की जीती जागती मिसाल थे। वह देश के प्रधानमन्त्री पद पर होते हुए भी अपनी सादगी को पूरी तरह बनाये रखा। वह त्याग, तपस्या की प्रतिमूर्ति थे, सारा जीवन देश और समाज की सेवा को समर्पित था। इस अवसर पर अपर आयुक्त राजेन्द्र कुमार, सहायक निदेशक, अभियोजन ओम नारायण विश्वकर्मा, सेन्ट्रल बार एसोसियेशन अध्यक्ष आद्या प्रसाद सिंह एवं मन्त्री दिनेश चन्द्र श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन अपर सांख्यिकीय अधिकारी सुनील कुमार प्रजापति ने किया। स्थानीय जीजीआईसी की छात्राओं द्वारा कई प्रस्तुतियाॅं की गयी। अन्त में मण्डलायुक्त द्वारा छात्राओं को कलम, साहित्य आदि भेंट कर प्रोत्साहित किया गया।

रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़

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