बरेली। शासन की सख्ती के बाद भी खनन का अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। योगी सरकार मे भी अवैध खनन के कारोबार पर पाबंदी लगाना मुश्किल हो रहा है। खनन माफियाओं का मकडज़ाल जिले भर में फैल चुका है। खाकी और नेताओं की सरपरस्ती में खनन कारोबारी नदियों को खोखला करने में जुटे हुए है। जिले में अवैध खनन का धंधा फल-फूल रहा है। खनन माफिया चांदी कूट रहे हैं। पुलिस और नेताओं की सरपरस्त बनी हुई है। बेखौफ होकर अवैध बालू खनन में लगी ट्रैक्टर ट्रालियां सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं। धरती का सीना चीरने वालों को यूपी 112 पुलिस का भी संरक्षण मिल रहा है। जिले के फतेहगंज पश्चिमी, सीबीगंज, बिथरी चैनपुर, रामगंगा क्षेत्र और बहेड़ी अवैध खनन को लेकर बदनाम हो चुके है। जिसकी सरकार होती है उस पार्टी के नेताओं को खुश करके नेताजी की सरपरस्ती और पुलिस का साथ होने के बाद खुलेआम दिन हो या रात माफियाओं की मुख्य मार्ग से लेकर हाइवे पर ट्रैक्टर ट्रालियां और खुद की जेसीबी दौड़ती हुई दिखाई देती है। खनन से भरी ट्रैक्टर ट्रालियों के पीछे पीछे माफियाओं के गुर्गो की गाडियां भी लगी रहती है। इसके बाद फिर किस की जुर्जत जो खनन से भरी ट्रैक्टर ट्राली को हाथ भी लगा दे। यदि ऐसा होता भी है तो गुर्गे अफसर व पुलिस से सामना करने से भी गुरेज नहीं करते है। इसका उदाहरण इज्जतनगर क्षेत्र मे अवैध खनन होने की शिकायत पर पहुंचे एसडीएम सदर विशुराजा के कर्मचारियों को पीटने के साथ ही फायर झोंकने की घटना है। फायर मिस न होता तो एक तेज तर्रार प्रशासनिक अफसर खनन माफियाओं के खेल का शिकार हो जाता। ऐस हमले अक्सर होते रहते है। खनन माफियाओं के लिए अफसर और पुलिस पर हमला करना कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि उनके ऊपर सत्तापक्ष से जुड़े नेताओं का हाथ होता है। यदि कोई खनन माफिया पुलिस की गिरफ्त में आ भी जाता है तो लखनऊ से लेकर स्थानीय मंत्री विधायकों के फोन खनकने लगते है। जिले भर में फैले अवैध खनन के कारोबार के चलते गरीबों के खेत खलियान और नदियों की जमीन को खोदकर कब्र सा बनाने में माफियाओं का हाथ रहा है। खनन करके माफिया करोड़ों का मोटा मुनाफा कमाकर पुलिस ओर नेताओं को भी खुश करने में कामयाब होते है। पुलिस को हफ्ता महीने देकर फिर जितना खनन करना हो कर लीजिए कोई नहीं रोकने वाला है। खनन विभाग के अफसर माफियाओं से सांठगांठ कर खुद की जेबें भरने में व्यस्त रहते है। माफिया कलेक्ट्रेट में आकर विभागीय अफसरों के पास बैठकर चाय नाश्ता करने के बाद सेटिंग करके बेखौफ होकर अपने गुर्गो से खनन करवाने में कामयाब हो रहे है। खनन विभाग के अफसर महीना पहुंचने के बाद खामोश रहने को मजबूर हो जाते है। डीएम चाहे कितना भी सख्त हो खनन विभाग के अफसर माफियाओं के अलावा किसी की एक सुनने तक को तैयार नहीं रहते है। अवैध खनन के कारोबारियों के बढ़ते हौंसले और कारोबार पर पाबंदी लगवाने के लिए बिल्सी विधायक आरके शर्मा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अवैध खनन के कारोबार पर पाबंदी लगाने की मांग कर चुके हैं। इसके बाद भी प्रशासन व विभागीय अफसर रोक लगाने के बजाए माफियाओं को शह देने में लगे हुए है। खनन माफियाओं से सांठगांठ के चलते यदि कोई प्रशासनिक अफसर खनन माफियाओंं पर कार्रवाई का मन बनाता है तो खनन अफसरों को नागवार गुजरता है। वह नहीं चाहते कि माफियाओं पर कोई कार्रवाई की जा सके। खनन माफियाओं की प्रदेश मे जिस पार्टी की सरकार होती है उस पार्टी के सांसद, विधायक और मंत्री से लेकर लखनऊ में बैठे सचिवालय तक में ऊंची पहुंच रहती है। जिस कारण कारोबार के सामने आड़े आने वाले अफसर हो या पुलिस पर वह सीधे फायर झोंकने से भी परहेज नहीं करते हैं। उनको मालूम है कि उनके आका नेता आला अफसर उनको बचाकर ले जाने में कामयाब हो जाएंगे। अवैध खनन कराने वालों में रेता बजरी का कारोबार करने वाले कई असरदार लोगों ने अपनी खुद की जेसीबी ले रखी है। जेसीबी के माध्यम से उनके गुर्गे ग्राम पंचायतों से लेकर नदियों में खनन कर खुद का कारोबार चमकाने में लगे हुए है। इन पर न तो पुलिस की नजर है और न ही विभागीय अफसर ही सक्रिय है। जिस कारण रेता बजरी वालों का कारोबार खूब फल फूल रहा है।।
बरेली से कपिल यादव