क्रांति गुरु चन्द्रमोहन के कार्यों पर पानी फेर रहे चेले:भोजन की आड़ में कहीं बीमारियां तो नहीं बांट रहे

पौड़ी गढ़वाल/उत्तराखंड – बात पौड़ी गढ़वाल के पट्टी कौड़िया वन से फोर तक के कुछ गावों में बुजुर्गों को निशुल्क भोजन बांटने वाले क्रांति गुरु चन्द्रमोहन बुडॉकोटी की है मंजकोट गांव के निवासी क्रांति गुरु चन्द्रमोहन बुडॉकोटी विगत वर्ष से मंजकोट के निकटवर्ती गावों में बुजुर्गों को एक समय का भोजन बांटते है ये बात सत्य है

क्रांति गुरु चन्द्रमोहन बुडॉकोटी का ये कार्य बहुत ही अच्छा है परंतु भोजन की आड में उनके चेले कहीं बुजुर्गों को बीमारियां तो नहीं बांट रहे हैं ये हम नही कह रहे हैं ये फोटो कह रहे हैं आपको अवगत करा दें कि पॉलीथिन पर पूरी तरह से बैन लग चुका है फिर क्रांति गुरु चन्द्रमोहन बुडॉकोटी जी के चेले बुजुर्गों को पॉलीथिन में दाल सब्जी देते हैं

वंही आपको पता होगा कि अखबार छापने में जो इंक प्रयोग होती है वो बहुत ही जहरीली होती है और गर्म रोटी यदि उसमें रखते हैं तो वो इंक रोटी पर आ जाती है और रोटी खाने से बुजुर्गों के पेट के अंदर

यानि की रोटी खिलाने की आड में बीमारियां बांट रहे हैं क्रांति गुरु चन्द्रमोहन बुडॉकोटी के चेले

अब देखना होगा कि शासन प्रशासन इस मामले में क्या कार्यवाही करता है

*जाने अखबार के ज़हर के बारे में
*अक्सर हम लोग चाय-पकौड़े आदि नाश्ते का सामान अखबार में लपेटकर रख देते हैं और उसी में खाने लगते हैं। देखने में तो ये एक मामूली-सी बात लगती है। मगर क्या आपको पता है ये सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। तो कैसे ये हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है और कौन-सी बीमारी होने का खतरा रहता है आइए देखते हैं

1.अखबार में खाना रखने, खासतौर पर कोई गर्म चीज रखने से अखबार की प्रिंटिंग में इस्तेमाल हुआ इंक खाने पर लग जाता है। ये स्याही शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। क्योंकि इसमें डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट और डाइएन आईसोब्यूटाइलेट जैस खतरनाक केमिकल्स होते हैं।

2.ये रसायन जब गर्म खाने के संपर्क में आते हैं तो ये बायोएक्टिव तत्व को सक्रिय कर देते हैं। जिससे ये खाने में मिलने लगता है और ये खाना खाने से विषैले तत्व पेट तक पहुंच जाते हैं।

3.अखबार की स्याही किसी कार्ड बॉक्स में इस्तेमाल होने वाले केमिकल से कम नहीं होता है। ये भी शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक है। अखबार में लिपटा खाना खाने से पाचन तंत्र खराब हो जाता है।

4.शोधकर्ताओं के मुताबिक जब अखबार में गर्म खाने की चीज रखी जाती है तो इंक पिघलकर खाने में चिपक जाती है। इससे स्याही में मौजूद ग्राफाइट नामक विषैला तत्व खाद्य पदार्थ में मिल जाता है। इसके शरीर में जाने से गुर्दे एवं फेफड़े से संबंधित रोग हो सकते हैं।

5.अखबार की इंक में खतरनाक रसायन होते हैं इसके शरीर में जाने से हार्मोन्स का संतुल भी बिगड़ सकता है। जिस वजह से प्रजनन क्षमता कमजोर हो सकती है। इससे कई बार संतान का सुख भी छिन जाता है।

6.स्याही में मौजूद विषैले तत्व स्किन के लिए बहुत नुकसानदायक है। इससे स्किन की परत कट जाती है। इंक में मौजूद हार्ड केमिकल त्वचा को रूखा बना देते हैं। इससे मॉयश्चर खत्म हो जाता है, लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इससे स्किन कैंसर का भी खतरा होता है।

7.न्यूज पेपर में काफी मात्रा में टॉक्सिन्स होते हैं। क्योंकि अखबार के कागज को रिसाइकल करके बनाया जाता है। इसके बाद प्रिंटिंग होने की प्रक्रिया से लेकर लोगों तक पहुंचने तक के दौरान इसमें कई बैक्टीरिया आ जाते हैं। इसमें खाना रखने से ये हानिकारक जीवाणु शरीर मेें चले जाते हैं जिससे पेट दर्द और गैस की समस्या होाने लगती है।

8.अखबार में रखे खाने को खाने से प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। इससे अलावा इससे व्यक्ति का शारीरिक विकास रुक जाता है। ये बच्चों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है क्योंकि उस समय उनका विकास हो रहा होता है। इंक वाले खाद्य पदार्थ को खाने से बेनजीफीनोन्स नामक हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है।

9.भारतीय खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक अखबार में इस्तेमाल हुए इंक के पेट में जाने से मुंह, गले और पेट का कैंसर हो सकता है। क्योंकि इसमें काफी मात्रा में हार्ड केमिकल मिले होते हैं, जो मानव शरीर को सूट नहीं करते हैं।

10.अखबार में लिपटे हुए खाने को खाने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। क्योंकि प्रिंटिंग में इस्तेमाल हुए केमिकल में डाई कलर का इस्तेमाल होता है। ये काफी तेज होते हैं। इनके शरीर में संपर्क में आने से आंखों एवं त्वचा को नुकसान हो सकता है।

*अब देखे जरा पॉलिथीन के बारे में भी*

*प्लास्टिक और पॉलिथीन का प्रयोग पर्यावरण और मानव की सेहत दोनों के लिये खतरनाक है। कभी न नष्ट होने वाली पॉलिथीन भूजल स्तर को प्रभावित कर रही है। देखा जा रहा है कि कुछ लोग अपनी दुकानों पर चाय प्लास्टिक की पन्नियों में मँगा रहे हैं। गर्म चाय पन्नी में डालने से पन्नी का केमिकल चाय में चला जाता है, जो बाद में लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाता है। चिकित्सकों ने प्लास्टिक के गिलासों और पॉलिथीन में गरम पेय पदार्थों का सेवन न करने की सलाह दी है।

– पौड़ी गढ़वाल से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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