क्या ऐसे ही देश में पंजीयन बढ़ेंगे?

केन्द्र एवं राज्य सरकारों का अनवरत प्रयास चल रहा है कि जीएसटी के अन्तर्गत देश में पंजीयन बड़ी संख्या बढ़े। उल्लेखनीय है कि 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद से अभी तक मात्र 1.40 करोड़ ही पंजीकृत डीलर्स देश में व्यापार कर रहे हैं। लेकिन एक सूचना के अधिकारी के माध्यम से प्राप्त सूचना से जानकारी सामने आ रही है कि केन्द्रीय कर विभाग ने प्राप्त पंजीयन आवेदनों संख्या 4,935,505 के साक्षेप में 2,693,179 आवेदनों को विभाग द्वारा रिजेक्ट कर दिये जो कि कुल 54.57 प्रतिशत पंजीयन प्रार्थना पत्रों को रिजेक्ट कर दिया। सोशल मिडिया में घूम रहे यह सूचना, जिसको सूचना के अन्तर्गत प्राप्त जानकारी बताया जा रही है, प्रमाणिकता के बारे मंे नहीं कह सकते परन्तु विश्वास किया जा सकता है।

प्राप्त सूचना से प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि केन्द्र सरकार के साथ राज्य की सरकारें, इस प्रयास में सघन अभियान तक चला रही हंै, उत्तर प्रदेश शासन ने प्रदेशभर में इसी वर्ष फरवरी 23 में 45 दिनों का व्यापक अभियान चलाकर पंजीयन करवाने हेतु प्रयास किये गये थे, जिसको बीच में रोकना पड़ गया था। इस अभियान को समाचार पत्रों ने छापेमारी का नाम दिया था। फरवरी में माह केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने देशभर में पंजीयन अभियान चलाने का संकेत दे दिया था, जिसके क्रम में पुनः 16 मई 23 से देशव्यापी अभियान प्रारम्भ किया गया है।

यह सत्य भी है कि देश के व्यापारीवर्ग व्यापार करने हेतु जीएसटी के अन्तर्गत पंजीयन लेना चाहता है परन्तु विभागीय अधिकारी पंजीयन देने के अपेक्षा रिजेक्ट करने में अधिक रुचि लेते हैं। आपको बता दें कि इस संदर्भ में गत माह एसोसिएशन आॅफ टैक्सपेयर्स एवं प्रोफेशनल द्वारा केन्द्रीय वित्त मंत्री के साथ सभी राज्यों के मुख्यमंत्रीगण को पत्र भेजकर मांग की थी कि पंजीयन आवेदन पत्रों को रिजेक्ट करने की प्रवृति पर रोक लगायी जाये।

सूचना के अधिकार अन्तर्गत जो सूची उपलब्ध करायी गई है। ट्वीटर पर दिख रही है, उत्तर से कहा गया है कि उपलब्ध करायी गई सूची केन्द्रीय कर जोन विभाग की है राज्यों का डाॅटा राज्य उपलब्ध कराएंगे। उसमें पंजीयन रिजेक्ट करने में सबसे पहला स्थान चंडीगढ़ का आ रहा है, सूची के अनुसार चंडीगढ़ जोन में 232,368 पंजीयन आवेदन पत्र प्राप्त हुए, और 174,176 पंजीयन आवेदन को रिजेक्ट किया गया, रिजेक्शन का प्रतिशत 74.96, दूसरे नंबर पर दिल्ली का है कुल 330,883 पंजीयन आवेदन प्राप्त हुए जबकि 236,937 रिजेक्ट हुए, प्रतिशत 71.61। तीसरे नंबर पर आ रहा है मुम्बई, कुल प्राप्त पंजीयन आवेदन 268,374, रिजेक्ट की संख्या 189,331 प्रतिशत 70.53। प्राप्त सूची के अनुसार अहमदाबाद में प्राप्त पंजीयन आवेदन 199,299 रिजेक्ट 123,848 प्रतिशत 62.14, बंगलुरु 345,200, रिजेक्ट 196,758 प्रतिशत 57.00। भोपाल प्राप्त आवेदन 237,426, रिजेक्ट 140,577 प्रतिशत 59.21। भुवनेश्वर में प्राप्त हुए 103,248 रिजेक्ट संख्या 35,952 प्रतिशत 34.21। चेन्नई 368,626 रिजेक्ट संख्या 165,928 प्रतिशत 45.01। गुहावटी प्राप्त पंजीयन 117,489 रिजेक्ट 62,364 प्रतिशत 53.08। हैदराबाद प्राप्त पंजीयन 186,458 रिजेक्ट संख्या 102,003। जयपुर प्राप्त पंजीयन 286,121 रिजेक्ट संख्या 150,809 प्रतिशत 52.71। कोलकाता प्राप्त पंजीयन 194,833 रिजेक्ट संख्या 129,193 प्रतिशत 66.31। लखनऊ प्राप्त आवेदन 438,914 रितेक्ट संख्या 144,518 प्रतिशत 32.93। मेरठ 303,662 रिजेक्ट संख्या 141,897 प्रतिशत 46.73। नागपुर प्राप्त आवेदन 167,546 रिजेक्ट संख्या 103,928 प्रतिशत 62,03। पंचकुला प्राप्त आवेदन 213,976 रिजेक्ट संख्या 136,770 प्रतिशत 63.92। पूणे 175,426 रिजेक्ट संख्या 110,463 प्रतिशत 62.97। रांची प्राप्त आवेदन 346,352 रिजेक्ट संख्या 172,480 प्रतिशत 49.80। थिरुवंनतपुरम प्राप्त आवेदन 101,462 रिजेक्ट संख्या 24,209 प्रतिशत 23.86। बड़ोदरा प्राप्त आवेदन 175,945 रिजेक्ट संख्या 73,395 प्रतिशत 41.71। विशाखापट्टनम प्राप्त आवेदन 141,897 रिजेक्ट संख्या 77,643 प्रतिशत 54.72। उपरोक्त सूची में सबसे कम प्रतिशत थिरुवंनतपुरम का आया है। उपलब्ध सूची केन्द्रीय जोनल की है राज्यवार कितने रिजेक्ट हुए होंगे इसकी संख्या ज्ञात नहीं है अतः अब आप स्वयं विचार कर लिजिए कि पंजीयन देने में विभाग कितनी सख्ती बरतता है अथवा कंजूसी!!!

विभाग का मानना है कि देश में जीएसटी के अन्तर्गत फर्जी आईटीसी का खेल व्यापक स्तर पर चल रहा है, इसलिए पंजीयन को देने में सर्तकता बरती जाती है। सत्य तो यही है कि बिक्रीकर एवं वैट में फर्जी पंजीयन के मामले कम नजर में आते थे। जीएसटी में फर्जी पंजीयन और फर्जी आईटीसी का खेल चल निकला है, परन्तु सरकार को विचार करना चाहिए कि जीएसटी में फर्जी पंजीयन एवं आईटीसी का खेल क्यों एवं कैसे चल रहा है? कारण क्या हो सकते हैं?
सबसे पहले विचार इस बिन्दु पर विचार करना होगा कि जीएसटी में कितने प्रतिशत में फर्जी आईटीसी का खेल चल रहा है? तो क्या सभी पंजीकृत डीलर्स फर्जी पंजीयन एवं फर्जी आईटीसी में सलंग्न हैं? विचार करने योग्य बिन्दु यह भी है कि जब जीएसटी के अन्तर्गत सभी खरीद-बिक्री जीएसटीएन पोर्टल के माध्यम से संचालित हो रहा है फिर फर्जी पंजीयन एवं फर्जी आईटीसी क्यों और कैसे? ऐसे तो जीएसटीएन पर कार्यकुशलता पर प्रश्नचिन्ह् लग रहा है!!

हमने कुछ बिन्दुओं पर अनेकों अधिवक्ता के साथ विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया। निष्कर्ष सामने यह आया कि पूर्ववर्ती बिक्रीकर प्रणाली एवं वैट में भी अधिवक्ता को आवेदक को प्रमाणित करने का अधिकार अधिवक्ताओं को दिये जाने का प्रावधान एक्ट में दिये गये थे। परन्तु जीएसटी एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। जैसा कि इंझिउयन पैनल कोड की धारा7139 में अधिवक्ताओं को प्रमाणित करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जीएसटी एक्ट में धारा-116 उपधारा ;2द्ध के अन्तर्गत चार को जीएसटी की पैरवी करने का प्रावधान यानि अधिकार दिये गये हैं। उसमें भी विभागीय अधिकारियों को छूट दी गई है कि वह अधिवक्ताओं को उपस्थित होने से रोक सकते हैं। स्पष्ट है पंजीयन फर्जी हों, आईटीसी फर्जी क्लेम का डीलर्स में कोई भय नहीं रहा साथ ही कोई रोकटोक! दूसरा वैट प्रणाली में पंजीयन प्राप्त वाले करदाता का बायोमैक्ट्रिक कराने का प्रावधान रखा गया था। जिसके चलते फर्जीफिकेशन पर काफी रोकथाम थी परन्तु जीएसटी के अन्तर्गत ऐसा कोई रोकथाम पर ध्यान ही नहीं दिया गया।

हम पुनः केन्द्र सरकार के साथ जीएसटी परिषद को कहना चाहते हैं कि पंजीयन आवंटन के साथ जीएसटीएन पोर्टल की कार्यशैली पर पुनः उच्चाधिकार समिति का गठन किया जाए, जिसमें प्रशासननिक अधिकारियांे के साथ जीएसटीएन पोर्टल के लाभार्थी जैसे पंजीकृत डीलर्स की भी भागीदारी हो, वह समिति तिमाही या छमाही तो पर समीक्षा करे और सरकार को सुधारीकरण पर सुझाव दें। साथ ही पंजीयन हेतु प्राप्त हो रहे आवेदनपत्रों को किस आधार पर रिजेक्ट किया जा रहा है, और क्यों? इस पर विभागीय कार्यर्शली पर अंकुश लगाए, प्रश्न वही खड़ा होता है कि 142 करोड़ की आबादी के साक्षेप में मात्र 1.40 पंजीकृत डीलर्स एवं प्रतिमाह औसतन 160 लाख करोड़ राजस्व, क्या संतोषजनक कहा जा सकता है? ऐसे एक नहीं बल्कि अनेकों कारण है जिसके चलते भारत सरकार के ‘इज आॅफ डूईग बिजनेस’ पर विराम लग रहा है और प्रयास निरर्थक हो रहा है।
-पराग सिंहल

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