क्या ऐसे विकास होगा लैंसडौन विधानसभा का: केंद्रीय प्रवक्ता पहाड़ी पार्टी

पौड़ी गढ़वाल : क्या ऐसे विकास होगा लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र का ये कहना है नई नई बनी पहाड़ी पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता मंगत सिंह रमोला का ।मंगत सिंह रमोला कहते हैं कि क्या जनता ने विधायक मास्क सेनेटाइजर बांटने के लिए बनाया था विधानसभा लैंसडाउन के दुर्गम स्थानों में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही है अस्पतालों में दवाइयां नही है जहाँ दवाइयां है वहां डॉक्टर नही है कही डॉक्टर है तो वहाँ शराब की बोतलें पाई जाती है अस्पताल में

लैंसडाउन विधानसभा के कुछ इलाकों का भर्मण जब पार्टी प्रवक्ता ने किया तो उनका कहना था कि रिखणीखाल के 25 बेड के अस्पताल में न पैथोलॉजी लैब है न एक्सरे मसीन न टेक्नीशियन यदि वहाँ पर है तो केवल शराब की बोतलें क्या अस्पताल सरकार ने नशाखोरी के लिए अस्पताल बना रखे हैं यही हाल अंदर गांव के अस्पताल का है जहाँ पर भवन उद्धघाटन के बाद ही क्रेक होने लगा है यहां पर डॉक्टर भी नहीं है
उन्होंने स्थानीय विधायक पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो 10 साल से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं क्या उनकी नजर कभी दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं पर नही गया
अभी तक मौजूदा सामानों मे PPE Kit और Thermostat Thermometer की संख्या बहुत कम है , उन्होंने इस विषय को गंभीरता से लेने के लिए कहा और यदि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही होती हैं तो इसकी पूर्ण रूप से जिम्मेदारी सरकार की होगी।
यदि किसी व्यक्ति को सामान्य रूप से बुखार भी आ रहा है और जब सरकारी अस्पतालों में Thermostat Thermometer (थर्मोस्टेट थर्मामीटर) की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है तो चिकित्सक भी स्वयं भयभीत हो रहे हैं मरीजों को देखने में।
उन्होंने कहा कि PPE Kit की कमी होने के कारण वहां से डॉक्टरों की लगातार शिकायतें आ रही है
लैंसडाउन कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि न तो सिर्फ लैंसडाउन बल्कि जयहरीखाल के अति दूरस्थ गांव के लोग भी वहां पर इलाज के लिए आते हैं वह सिविलयन का भी अस्पताल है जिसमें उन्होंने कहा PPE Kit अौर Thermostat Thermometer लैंसडाउन कैंटोनमेंट बोर्ड को भी उपलब्ध करवाए जाएं।

ये बिडम्बना ही लगती है कि न तो कोरोना कंट्रोल रूम न जनप्रतिनिधि सही जानकारी जनता तक पहुंचा रहे हैं | क्या सत्ता पक्ष मास्क, सैनिटाइजर बांटने मे ही लगी है |जन जागरूकता करता कोई नजर नहीं आ रहा है | यो जो #सर्जिकल #मास्क जिनकी उपयोग अवधि 24 घंटे है, ग्रामीणों में बांटे जा रहे हैं, वह भी बिना जानकारी के | अगर मास्क में ही यह खेल खेला जा रहा है तो सैनिटाइजर की गुणवता पर कैंसे बिश्वास किया जा सकता है ? यह एक बिचारणीय प्रश्न है | पहाड की भौगोलिक स्थिति परिस्थिति के हिसाब से निम्न तथ्यों पर ही फोकस किया जाय तो हम पहाड में कोरोना को पहुंचने हीं नहीँ देगें :-
1) जन जागरण (Public awareness) बाहरी (शहरी) ब्यक्तियों की गांवो में प्रवेश पर बिशेष नजर
2) ग्रामीणों को स्वच्छता हेतु जागरुक करना
3) मात्र सैनिटाइजर ही नहीं, सैनिटाइजर मैटेरियल ग्रामीणों को उपलब्ध कराना और प्रयोग बिधि सिखाना।

– इन्द्र जीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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