नई दिल्ली- कहते हैं दिल्ली का रास्ता UP यानी की उत्तर प्रदेश से होकर जाता है और ऐसे में सभी पार्टियों की नजर वहां के लोकसभा चुनाव पर गढ़ी हुई है। यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि इस चुनाव में यादव वोटर्स अहम भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं। दरअसल, एक तरफ हैं अखिलेश यादव जिन्होंने शुरुआत से ही मुस्लिम-यादव समीकरण पर फोकस करते हुए राजनीती किया है। मगर इस चुनाव में उनका फोकस PDA रहा। जिसके चलते कहीं न कहीं उनका ध्यान यादव समाज पर काम रहा। अब इसी का फायदा उठाते हुए BJP ने यादव वोटर्स को साधने और सेंधमारी के लिए मध्य प्रदेश के मौजूदा CM मोहन यादव को कमान सौंपी है। ऐसे में अब मध्य प्रदेश के यादव का यूपी के अखिलेश यादव से चुनौती है। इन सबके बीच में बड़ा सवाल है कि क्या एमपी से आये मोहन यादव यूपी के अखिलेश यादव वाले M/Y समीकरण को बिगाड़ पाएंगे…..? दरअसल, सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों शोरों पर है कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर BJP का यह चक्रव्यूह यूपी में यादव वोटर्स पर कब्ज़ा जमाए सपा के समीकरण को बिगाड़ सकता है। क्योंकि मोहन यादव भी यादव समाज से आते हैं और इधर यूपी में यादव वोट बैंक पर सपा के यादव परिवार का पुराना कब्ज़ा माना जाता है। जिससे यह प्रतीत होता है कि BJP के इस रणनीति से अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ सकती हैं। चलिए एक नजर डालते हैं कि UP में मोहन यादव की एंट्री अखिलेश के लिए कैसे चुनौती बन सकती है।प्रदेश की करीब 50 विधानसभा सीटों को यादव वोटर प्रभावित करते हैं। यानी कि यहां की 24 करोड़ आबादी में यादवों की करीब 9-10 फीसदी की हिस्सेदारी है। साथ ही प्रदेश में 54 जिले जैसे आजमगढ़, देवरिया, गोरखपुर, बलिया, गाजीपुर, बनारस, जौनपुर, बदायूं, मैनपुरी, एटा, इटावा और फर्रुखाबाद और कुछ अन्य जिलों में यादवों का दबदबा है। यहाँ 12 जिलों में यादवों की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है। यहाँ मौजूद ज्यादा तर यादव वोट बैंक पर सपा का कब्ज़ा है। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार साल 2022 के विधानसभा चुनावों में करीब 83% यादवों ने एसपी को वोट दिया था। ऐसे में रविवार यानी 3 मार्च को बीजेपी ने यादव वोट बैंक को साधने के लिए मोहन यादव को मैदान में उतारा है।मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में आयोजित यादव महाकुम्भ में शामिल होंगे। इससे पहले वो यूपी के यादव बहुमूल्य क्षेत्र आजमगढ़ पहुंचे। जहाँ उन्होंने बताया कि उनका यूपी से पुराना नाता है। उनका यूपी से सिर्फ यादव कनेक्शन ही नहीं है बल्कि जिस आजमगढ़ में वे अभी प्रवास पर पहुंचे हैं, वहां से करीब चार सौ साल पहले उनके पूर्वज भी निकले थे। साथ ही यूपी के सुल्तानपुर में उनका ससुराल भी है। वहीं बीजेपी ने भी तैयारी करते हुए यादव महाकुंभ से पहले कई शहरों में सीएम मोहन यादव के पोस्टरों लगवाएं। इन पोस्टरों पर नारा लिखा है, ‘श्री राम-कृष्ण विरोधियों का छोड़ हाथ, यादव चला मोहन के साथ।’इससे साफ़ हो जाता है कि इस बार के आम चुनाव में BJP यादव समाज को अपने सॉफ्ट हिंदुत्व वाले कार्ड से एमपी के यादव के जरिये अपनी ओर खींचने को पूरा तैयार है। कुल मिलाकर सपा के लिए रास्ते आगामी चुनाव में भी आसान नहीं दिख रहे हैं। एक तरफ तो मुस्लिम वोट बैंक खिसक रहा है तो दूसरी तरफ अब पार्टी के परंपरागत यादव वोट बैंक पर भी खतरे की घंटी बजने लगी है।
क्या उत्तर प्रदेश में अखिलेश को चुनौती दे पायेंगे मोहन यादव
