फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। लॉकडाउन खुलने के बाद धूल, प्रदूषण की वजह से सांस रोगियों की संख्या में इजाफा भी हुआ है। कोरोना वायरस के इस दौर में बरेली के 25 हजार से अधिक सांस के रोगियों की धड़कन बढ़ी हुई है। बार-बार सांस उखड़ने पर उन्हें कोरोना वायरस का डर सताने लगता है। इसी चक्कर में कई श्वांस रोगी सांस लेने में समस्या होने पर कोविड की जांच भी करा रहे है। बरेली में अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोन्किइस्टेसिस समेत विभिन्न प्रकार के लगभग 25 हजार से अधिक रोगी हैं। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होने के कारण बरेली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 54 पहुंच गया, जबकि यह जनवरी से मार्च तक 200 था। प्रदूषण का स्तर इतना कम होने की वजह से विभिन्न प्रकार के रोग भी कम हो गए थे, लेकिन लाकडाउन खुलने के बाद वाहनों की आवाजाही बढ़ने से एक्यूआई फिर से बढ़ने लगा है। प्रदूषण बढ़ने से श्वांस रोगियों की संख्या भी बढ़ गई है। मरीज सरकारी चिकित्सालयों में चालू टेलीमेडिसन सुविधा के तहत डाक्टर को फोन कर दवाएं पूछ रहे हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमित होने पर कई मरीजों की भी सांस फूलने लगती है, ऐसे में इन दिनों श्वांस रोगियों की भी धड़कनें बढ़ी हुई हैं। जैसे ही किसी रोगी की सांस फूलने लगती है तो उसे कोरोना का डर सताने लगता है।
कोरोना और सांस रोगी में अंतर
– सांस रोगी की श्वांस फूलने पर बुखार नहीं होता, जबकि कोरोना में बुखार हो सकता है।
– दोनों ही बीमारियों में खांसी आती है लेकिन कोरोना संक्रमित की खांसी सूखी होती है।
– कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज को कमजोरी आती है, जबकि, सांस रोगी को ऐसा नहीं होता।
सांस फूले तो ये करें
– तुरंत पीठ के बल लेट या बैठ जाएं।
– 45 डिग्री पर तकिया लगाकर लेटें।
– इन्हेलर का उपयोग भी बढ़ा सकते।
– ऑक्सीजन के लिए खुले में आ जाएं।
– डॉक्टर से भी चिकित्सीय परामर्श लें।
इन दिनों सांस के मरीज बढ़े हैं। टेलीमेडिसिन सुविधा के तहत कई सांस के रोगी फोन पर परामर्श ले रहे हैं। मगर कोरोना वायरस के रोगी में काफी अंतर होता है। लोगों को यह अंतर जानना चाहिए। कोरोना संक्रमित मरीज को खांसी और बुखार भी हो सकता है, साथ ही कमजोरी भी आ सकती है, बेवजह घबराकर सीधे कोरोना वायरस की जांच कराने के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
-डॉ. वागीश वैश्य,वरिष्ठ फिजिशियन, जिला अस्पताल
बरेली से कपिल यादव