डब्ल्यूएचओ की तरफ से कहा गया कि उसने परिस्थितियों और कुछ शोध के आधार पर अपने पुराने दिशानिर्देशों में कुछ बदलाव किया है। इसमें कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए फेस मास्क को सार्वजनिक जगहों पर पहनना अनिवार्य बताया गया है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम गेब्रेसियस ने कहा कि हमने नए दिशानिर्देश उपलब्ध प्रमाणों की समीक्षा करते हुए और अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट, सिविल सोसाइटी समूहों के सुझावों के आधार पर तैयार की है।
डब्ल्यूएचओ के नए दिशानिर्देश:
सभी देशों की सरकारें आम जनता को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करें। जहां संक्रमण ज्यादा है, वहां के लोगों को हर हाल में मास्क पहनना चाहिए। इसके साथ ही भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पताल और दुकानों में भी मास्क पहनना बेहद जरूरी है।
सभी स्वस्थ लोगों को तीन परतों वाला फैब्रिक मास्क पहनना अनिवार्य बताया गया है। इसमें सूत का अस्तर, पोलिएस्टर की बाहरी परत और बीच में पोलिप्रोपायलीन की बनी ‘फिल्टर’ हो। जो लोग बीमार हैं, वे ही केवल मेडिकल ग्रेड का मास्क पहनें।
जिन जगहों पर संक्रमण का स्तर बहुत ज्यादा है, वहां सभी लोगों को मेडिकल-ग्रेड का मास्क ही इस्तेमाल करना चाहिए। अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही मरीजों और वहां मौजूद सभी लोगों को मेडिकल- ग्रेड का मास्क पहनना होगा।
मास्क के कुछ नुकसान भी हैं। कपड़े का मास्क गीला होने पर बदला न जाए तो संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही मास्क लगाने वाले लोग खुशफहमी का शिकार हो जाते हैं और सामाजिक दूरी का ध्यान नहीं देते। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए सामाजिक दूरी और हाथों को समय पर धोना भी बेहद जरूरी है।
टेड्रोस ने कहा, ‘फेस मास्क इस खतरनाक कोरोना वायरस बीमारी को हराने के लिए एक व्यापक रणनीति का हिस्सा भर है। इसके अलावा अन्य एहतियाती कदम भी अपनाया जाना चाहिए। महज मास्क ही कोविड-19 से नहीं बचा सकता। इसके अलावा शारीरिक दूरी बनाने, हाथों को साफ रखने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के अन्य उपायों को किया जाना चाहिए।