उत्तराखंड – सीएमओ, चम्पावत द्वारा जारी एक आदेश से आयुष चिकित्सकों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। कार्यालय सीएमओ, चम्पावत द्वारा 07 जून 2020 को एक आदेश जारी किया गया है, जिसका कि पत्रांक: nCovid-19/फिवर क्लीनिक/ 2019-20/3090-22 है, जिसमें कि सीएमओ, चम्पावत द्वारा आयुष चिकित्सकों के लिए आई० एस० एम० झोलाछाप लिखा गया है। जो कि आयुष चिकित्सकों के लिए आपत्तिजनक शब्द है। इस अपमान से आयुष चिकित्सकों में रोष फैल गया है।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड(पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला द्वारा बताया गया कि जहां आयुष चिकित्सक फ्रन्टलाइन कोरोना वारियर्स के रूप में प्रदेश के विभिन्न स्क्रीनिंग एवं क्वरंनटाइन सेंटर्स में लगातार तीन महीने से अधिक समय से बिना किसी अवकाश के अपनी उत्कृष्ट सेवायें दे रहे हैं, और उन्हें प्रशासन एवं विभिन्न संगठनों द्वारा बेस्ट कोरोना वारियर्स के सम्मान से सम्मानित भी किया जा रहा है, वहां सीएमओ, चम्पावत द्वारा आयुष चिकित्सकों को आई० एस० एम० झोलाछाप कहना न केवल भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आयुष चिकित्सकों का अपमान है, बल्कि यह उन के लिए दुर्भाग्यपूर्ण भी है। किसी भी जिला स्तरीय अधिकारी द्वारा सरकारी पत्रों में अधिकृत शब्दावली का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।यहां पर जानबूझकर कर आई० एस० एम० झोलाछाप लिखकर आयुष चिकित्सकों को अपमानित किये जाने की मंशा प्रदर्शित होती है या फिर इससे सीएमओ, चम्पावत के अपनी एलोपैथी के दम्भ या उनको भारतीय/आयुष चिकित्सा पद्धतियों का अत्यल्प ज्ञान होना परिलक्षित होता है।
सीएमओ, चम्पावत के इस तरह से आयुष चिकित्सकों के लिए आपत्तिजनक शब्दावली प्रयोग करने का राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड (पंजीकृत) एवं समस्त आयुष चिकित्सकों द्वारा घोर निंदा की गयी है। संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ० के० एस० नपलच्याल एवं प्रान्तीय महासचिव डॉ० हरदेव रावत द्वारा इस सम्बन्ध में सीएमओ, चम्पावत को कड़ा विरोध पत्र लिखकर अपनी शब्दावली पर खेद प्रकट करने की अपेक्षा की गयी है एवं भविष्य में आयुष चिकित्सकों के लिए इस तरह की शब्दावली का प्रयोग दुबारा न हो ऐसी अपेक्षा भी की गयी है।
संघ के प्रान्तीय उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला, डॉ० मो० शाहिद, भारतीय चिकित्सा परिषद के निर्वाचित सदस्यों डॉ० महेन्द्र राणा, डॉ० हरिद्वार शुक्ला, डॉ० चन्द्रशेखर, डॉ० मो० नावेद आजम द्वारा भी इस सम्बन्ध में विरोध व्यक्त किया गया है।