बरेली। कोरोना की दूसरी लहर से जहां संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है। वहीं इसका फायदा बड़े व्यापारियों ने उठाना शुरु कर दिया है। आपदा मे अवसर के लिए कई व्यापारी माल दबाए बैठे है। लॉकडाउन के दौरान छोटे दुकानदारों के आगे संकट खड़ा हो गया है। वही बड़े व्यापारियों की चांदी आ गई है। छोटे दुकानदारों को अब थोक में सामान बहुत ही मुश्किल से मिल पा रहा है। अगर मिल भी रहा है तो बहुत ही महंगा। जबकि बड़े व्यापारियों के पास पहले से ही पुराना सामान स्टॉक में है और वे उस पुराने दामों में खरीदे गए सामान को ही लॉकडाउन के नाम पर महंगे दामों में बेचकर मोटा मुनाफा कर रहे है। कई व्यापारी आपदा में अवसर के लिए माल दबाये बैठे हैं क्योंकि हालात जितने विकराल होंगे उनका माल उतना ही महंगा बिकेगा। मढ़ीनाथ के दुकानदार मिलन सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से शुक्रवार रात से मंगलवार सुबह तक का लॉकडाउन घोषित किया गया था। उसके हिसाब से उनके पास बिक्री के लिए सामान पर्याप्त था। मगर सोमवार को ही लॉकडाउन मे दो दिन की और बढ़ोत्तरी कर दी। इस सूचना के बाद वे थोक मे सामान लेने पहुंचे तो दाम बहुत बढ़ चुके थे। उनका मानना है कि शुक्रवार रात से कोरोना कफ्र्यू चल रहा था। सोमवार को दो दिन और बढने की खबर मात्र से थोक व्यापारियों ने कीमतें बढ़ा दी। जबकि लॉकडाउन काल में उन्होंने नया माल नहीं मंगाया होगा। प़ुराना ही स्टाक में रखे सामान के दाम को बढ़ा दिया। अब दुकानदार भी उसमें मुनाफा कमाएगा। ऐसे में आम आदमी पर ही बोझ बढ़ेगा और बड़े व्यापारी चांदी काटेंगे। आपदा मे अवसर तलाशने मे जुटे माफिया किस्म के व्यापारियों पर अंकुश लगाने मे प्रशासन पूरी तरह विफल है। ऐसे व्यापारी जमाखोरी करके आपदा में कालाबाजारी कर रहे हैं। जिसका असर आम आदमी पर पड़ रहा है। पिछले साल के लॉकडाउन से अब तक आम आदमी आर्थिक संकट से जूझ रहा है । कई लोगो का तो रोजगार ही चला गया। उस पर फिर से लॉकडाउन और व्यापारियों की कालाबाजारी ने तो आन आदमी की कमर ही तोड़कर रख दी है। मगर प्रशासनिक अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नही दे रहे।।
बरेली से कपिल यादव