कोरोना काल मे रोजी रोटी की तलाश में मजदूर भूल रहे कोविड गाइडलाइन

बरेली। देशभर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार हर दिन बढ़ती जा रही है शासन की गाइडलाइन के अनुसार प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हर दिन लोगों से मास्क लगाने और उचित दूरी रखने की सलाह दे रहा है। कई राज्यों में वीकेंड कर्फ्यू भी लागू किया जा चुका है। उसके बाद भी हर दिन सुबह आठ बजे से नौ बजे तक सैकड़ों मजदूरों पर जमा होते है। भीषण सर्दी और कोरोना संक्रमण की परवाह न करते हुए उनको सिर्फ रोजी-रोटी पैदा करने की तलाश रहती है। साइकिल या पैदल आकर सुबह को हाथ में टिफिन लेकर खुले आसमान के नीचे उनकी नजरें शायद कोई हमें लेने के लिए आ जाए और शाम को परिवार चलाने के लिए दिहाड़ी मिल जाए। बस इतनी सी हसरत उनके मन में रहती है। कोरोना में मजदूरों से पूछे जाने पर कई मजदूर एक साथ कहते हैं कि हम मजदूर तो बिना कोरोना के ही मरने के समान है। हमारी जीवन की फिक्र न नेताओं की है और न ही किसी अफसर की। सरकार से सिर्फ घोषणा ही होती हैं मजदूरों को लाभ नहीं मिलता। हर दिन सुबह को आधा दर्जन से ज्यादा अड्डों पर मजदूर काम की तलाश मे सुबह आकर खड़े हो जाते है और फिर वहां पर यदि कोई भी व्यक्ति आकर रूकता है तो मजदूरों का गुट आकर खड़ा हो जाता है पूछता है कि हम चले हम चले। उनकी इस मनोदशा को देखकर बनता है कि यह कोरोना को भूलकर काम को महत्व देते नजर आते है। कोरोना की तीसरी लहर से जहां लोग सहमे हुए है। वही मजदूरों में कोरोना का खौफ तनिक भी महसूस नहीं किया जा सकता। शासन की मंशा अनुसार श्रम विभाग सिर्फ कागजों मे ही मजदूरों को लाभान्वित करने के हवा हवाई दावे करता रहा है वास्तविकता में मजदूर अभी भी सरकारी योजनाओं से काफी दूर है।।

बरेली से कपिल यादव

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