केंद्रीय बजट को लेकर मिली जुली रही प्रतिक्रियाएं, कुछ की उम्मीदें जुड़ी तो कई हुए निराश

बरेली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश होने के बाद राजनीति गलियारों से  प्रतिक्रिया आने लगी है। विपक्ष बजट पर  सरकार को निशाने पर ले रहा है तो सरकार पेश बजट की तारीफ कर रही है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतामरण द्वारा मंगलवार को प्रस्तुत किए गए बजट पर आमजन ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी। मोबाइल, ज्वैलरी, कपड़े, जूते इत्यादि सस्ते होने पर महिलाओं ने भी इसे ठीक ठाक करार दिया। वहीं व्यापारी वर्ग ने भी कर में छूट दिये जाने के निर्णय को सराहनीय बताया। हालांकि बड़े वर्ग को टैक्स दरों में छूट मिलने की उम्मीद थी, जिसे झटका लगा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव चौधरी असलम मियां ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि गरीब मजलूमों नौकरीपेशा, मध्यमवर्गीय नौजवानों किसान विरोधी बजट पेश किया मोदी सरकार ने सरकार ने कॉरपोरेट घरानों के अहसानों का हक अदा किया। वेतनभोगी वर्ग और मध्य वर्ग बेरोजगार युवा वर्ग किसान दबे कुचले को तथा कोरोनो ओमिक्रोन जैसी भयंकर बीमारी के समय में और उससे पीड़ितों को कोई राहत न देकर उनके साथ विश्वासघात किया है। आमजन अपने आपको मोदी सरकार के हाथों ठगा महसूस कर रहा है। केवल पुराने रटे रटाये वायदो और जुमलेबाजी, आत्मनिर्भर बनाने जैसी भाषणबाजी कर आमजन को लूटने बाला बजट पेश किया है। लोग चुनाव को देखते हुए राहत की उम्मीद कर रहे थे मगर आम जनता को निराशा के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा है। सपा प्रवक्ता मयंक शुक्ला ने बजट पर कहा कि सरकार ने वेतनभोगी वर्ग और मध्य वर्ग को राहत नही देकर उनके साथ विश्वासघात किया है। आम लोगों के लिए कुछ नहीं है। वेतनभोगी वर्ग, मध्य वर्ग, गरीबों, किसानों, युवाओं और छोटे कारोबारियों के लिए कुछ नहीं है। आम आदमी की महंगाई से कमर टूट रही है। बजट पूर्णता किसान विरोधी है चंद कॉरपोरेट को फायदा पहुचने का काम मोदी सरकार ने किया है। लोग राहत की उम्मीद कर रहे थे मगर आम जनता को निराशा के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा है। किसान यूनियन के जिला सचिव महिपाल सिंह गुर्जर ने बजट पर कहा कि किसानों व आमजन मजदूरों को मोदी सरकार से इस चुनाव के समय नए बजट में कुछ नया पेश होने की बहुत उम्मीद थी लेकिन मोदी सरकार ने पेश किए गए बजट में देश के सबसे गरीब लोगों के पेट पर जोरदार लात मारी है। मनरेगा के लिए वित्त मंत्री ने सिर्फ 73000 करोड़ रुपये दिए है जो 98000 करोड़ के पिछले आवंटन से कम हैं। कोविड की दोनों लहर में मनरेगा ने ही गांव में लोगों को जिंदा रखा था। खाद्य सब्सिडी को 2.86 लाख करोड़ से घटाकर 2.06 लाख करोड़ किया गया है। उर्वरक सहायता की राशि को 1.40 लाख करोड़ से घटाकर 2022-23 के लिए 1.05 लाख करोड़ कर दिया गया है। 2021-22 में एमएसपी पर खरीदी का बजट 248000 करोड़ था जो 2022-23 के बजट में घटकर 237000 करोड़ रह गया वह भी सिर्फ धान और गेहूं की खरीदी के लिए ऐसा लगता है। सरकार दूसरे फसलों की एमएसपी पर खरीदी करना ही नही चाहती। मोदी सरकार से बड़ा किसान, गरीब विरोधी और कोई हो ही नहीं सकता। बजट का भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक पूर्णता विरोध करती है और इस देश के मजदूर तथा किसान इसका होने वाले चुनाव में खामियाजा भी सरकार को भुगतना पड़ेगा।।

बरेली से कपिल यादव

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