- बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार
- आरके-39 कीट से करें कालाजार के संभावित मरीजों की जांच
मोतिहारी/बिहार- जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से सोमवार को सदर अस्पताल स्थित जीएनएम पारा मेडिकल ट्रेनिंग कॉलेज में सीएस डॉ अंजनी कुमार की अध्यक्षता में मोतिहारी अनुमंडल के 5 प्रखंड, मोतिहारी सदर तुरकौलिया, पीपराकोठी, कोटवा, बंजरिया के ग्रामीण चिकित्सकों को एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान सीएस ने प्रशिक्षणार्थियों को कालाजार के मरीजों की पहचान, जाँच व इलाज के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं । जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि कालाजार उन्मूलन अभियान में सामुदायिक स्तर पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
- बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार
डीभीबीडीसीओ डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। इससे बचाव को लेकर साल में दो बार एसपी की दवाओँ का छिड़काव कराया जाता है। उन्होंने बताया कि 2 हफ्तों से अधिक समय तक बुखार का होना, भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनने लगे तो ये पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिले में नवम्बर 2022 तक भीएल के 48 तो पीकेडीएल के 14 केस
मिले हैं।
- आरके-39 कीट से करें कालाजार के संभावित मरीजों की जांच
इस मौके पर प्रशिक्षक केयर इंडिया के डीपीओ मुकेश कुमार ने कहा कि कालाजार फिर से पांव नहीं पसारे, इसको लेकर कालाजार रोग के लक्षण की पहचान के लिए ग्रामीण चिकित्सकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीज जिन्होंने एंटीबायोटिक दवा का सेवन किया हो एवं उसके बाद भी बुखार ठीक ना हुआ हो, भूख की कमी एवं उदर का बड़ा होना जैसे लक्षण हों , वैसे व्यक्ति की जांच आरके 39 किट द्वारा किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी स्तर पर ऐसे मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाँच के साथ ही मुफ्त इलाज की जा रही है।
- क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा दी जाती है 7100 रुपये की राशि
भीडिसीओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि पीकेडीएल के केस में 84 दिनों तक दवा का सेवन जरूरी होता है, वहीँ भीएल होने पर इसका एक ही दिन में इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया कि कालाजार के मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने का प्रावधान है। इस मौके पर भीडिसीओ धर्मेंद्र कुमार, रविंद्र कुमार, सत्यनारायण उराँव, केयर डीपीओ मुकेश कुमार, पीसीआई के मनोज कुमार, चंद्रभानु कुमार सहित ग्रामीण चिकित्सक मौके पर मौजूद थे।
– बिहार से नसीम रब्बानी