कागजी बनकर रह गयीं शासन की अनेकों योजनाएं

*लाभ नहीं मिल पाने की स्थिति में आये दिन अधिकारियों के चक्कर लगाते हुए देखे जाते हैं

मध्यप्रदेश/ तेन्दूखेड़ा- राज्य और केंद्र शासन ने प्रदेश के विकास हेतु कई कल्याणकारी योजनाएं जनता के हितार्थ बना तो दी है जिनका यदि जनता को सही तरीके से लाभ मिल जावे तो निश्चित ही लोगों की जिन्दगी बदल सकती है लेकिन उनको अमलीजामा पहनाना संदिग्ध हो चला है।क्योंकि सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं का कितना क्रियान्वयन हुआ है और उनमें क्या उसमें कमी है इसकी सूक्ष्मता से जांच होनी जरूरी है सरकार द्वारा चलाये जाने वाली अनेक योजनाओं का लाभ आम लोगों को या तो अधिकारियों की उदासीनता के चलते नहीं मिल पाता है या फिर उनमें खानापूर्ति के चलते लोग इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं इस स्थिति के चलते इन योजनाओं को अधिकारियों द्वारा कागजी आंकड़ों में तो सफल बता दिया जाता है मगर आमजन इन योजनाओं से कोसों दूर दिखाई पड़ रहा है जिसका उदाहरण इस समय तेन्दूखेड़ा नगर सहित आसपास के गांवों में आसानी से देखने मिल सकता है जहां पर अनेक वृद्व लोग शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेने के लिए भटकते हुए देखे जा रहे हैं।इतना ही नहीं इस बात की सच्चाई तेन्दूखेड़ा नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से देखने मिल सकती है जहां पर अनेक वद्व आये दिन शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगाते हुए देखे जाते हैं जिसके चलते जहां शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं वहीं दूसरी ओर योजनाओं से हितग्राही बंचित हो रहे हैं। मगर इसके बाद भी जिम्मेदार माने जाने वाले नौकरशाह और अफसरशाही वर्ग जो कि नेताओं को गुमराह कर योजनाओं को नीतियों को सफल क्रियान्वयन होना तो बता देते हैं परंतु आम जनता को उनका लाभ मिलने का नतीजा शूल्य ही होता है।जबकि सच्चाई पर गौर किया जावे तो मध्यप्रदेश शासन ने आम जनता के हितों का ध्यान रखते हुए योजनाओं की झड़ी लगा दी है मगर इसके बाद भी क्षेत्र के ग्रामीण जनों की स्थिति जहां कि तहां दिखाई पड़ रही है तो फिर आखिर में इन योजनाओं का लाभ मिल किसकों रहा है।गौर करने वाली बात तो यह है कि इन योजनाओं की परिणति क्या हुई होगी इसका अंदाजा पूर्व से लेकर अब तक ग्राम पंचायतों में जनप्रतिनिधि बने बैठे पार्टी के हम दर्दों द्वारा ही शासन की योजनाओं को किस प्रकार से क्रियान्वयन किया है जो मात्र कागजों में तो दिखाई दे रही है जबकि धरातल पर सच्चाई देखी जावे तो कुछ और ही दिखाई दे रहा है प्रदेश में पंचायतीराज की सच्चाई पर गौर किया जावे तो यह इस समय पूर्णरूप से भ्रष्टाचार इर्ष्याद्वेष एवं भाई भतीजावाद के आधार पर चलते जान पड़ रहे हैं क्योंकि अनेक पंचायतों में देखा जा रहा है कि पंचायतों के माध्यम से जिन योजनाओं के कार्य सौंपे जाते हैं।

– विशाल रजक मध्यप्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *